पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/१६४

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आठवां वर्ष।

सन् १०२१।

फागुन सुदी ३ संवत् १६६८ से फागुन सुदी २ संवत् १६६९ तक।

राणाकी लड़ाई।

फागुन सुदी ३ को मिरजा शाहरुखका बेटा बदीउज्जमान राणाके लशकरमें नियत किया गया और उसके हाथ एक तलवार राजा बासूके वास्ते भेजी गई।

जहांगीरी आईन।

बादशाहको सुनाया गया था कि सीमाप्रांतके अमीर कुछ अयोग्य बर्ताव करते हैं उनके तौर(१) तथा जाबतेका ध्यान नहीं रखते। बादशाहने बखशियोंको हुक्म दिया कि सीमाप्रान्तके अमीरोंको लिख देवें कि अबसे फिर यह बातें जो विशेष करके बादशाहोंके करनेकी हैं न किया करें।

१ झरोखेमें न बैठे।

२ अपने सहायक सरदारों और अमीरोंको सलाम करने और चौकी देनेको तकलीफ न दें।

३ हाथी न लड़ावें।

४ दण्ड देनेमें किसीको अन्धा न करें नाक कान न काटें।

५ किसी पर मुसलमान होनेके वास्ते दबाव न डालें।

६ अपने नौकरोंको खिताब न देवें।

७ बादशाही नौकरोंको कोरनिश(२) और तसलीम(३) करनेको न कहें।


(९) चङ्गेजखांके बांधे हुए प्रवन्धोंको तौरा कहते हैं।

(२) झुककर सलाम करना।

(३) गरदन आगे रखकर मुजरा करना।