पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/१७४

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जहांगीरनामा।

शुजाअतखांकी विचित्र मृत्यु।

शुजाअतखांको उसमान पर जीत पानेके पीछे इसलामखांने उड़ीसे जानेकी आज्ञा दी थी। वह एक रात चौखण्डीदार हथनी पर सवार हुआ और एक बालक नाजिरको पीछे बैठा लिया जब अपने उर्दू मे निकला तो रास्ते में एक मस्त हाथी बंधा था वह घोड़ोंको टापोंसे भड़ककर सांकलें तुड़ाने लगा जिससे बड़ा कोलाहल मचा। शुजाअतखां उस समय या तो नींदमें था या शराबके नशे में अचेत था नाजिरने घबराकर उसको जगाया और कहा कि मस्त हाथी खुल गया है इधर आता है। शुजाअतखां व्याकुल होकर चौखण्डीमेंसे कूदा पांवकी उंगली एक पत्थर पर लग कर फट गई बस इसी चोटसे दो तीन दिनमें वह मर गया।

बादशाहको सुनकर बड़ा आश्चर्य्य हुआ कि ऐसा पुरुष सिंह जो जंगी हाथियोंसे लड चुका था एक बालककी बातसे घबराकर हाथी परसे कूद पड़ा।

हाथी।

इसलामखांने बंगालसे १६० हाथी भेजे थे वह खासेके हाथियों में दाखिल किये गये।

कमाऊंका राजा।

कमाऊं के राजा टेकचन्दने बिदा चाही। उसके बापको अकबर बादशाहके समय एक सौ घोड़े दिये गये थे उसी मर्य्यादासे बादशाहनेभी उसे घोड़े दिये एक हाथीभी दिया। जबतक यहां रहा सिरोपाव पाये जड़ाऊ कटार भी मिला। उसके भाइयोंको भी खिलअत और घोड़े मिले। उसका देश उसीके पास रहा और वह सब प्रकारसे प्रसन्न और पूर्णकाम होकर गया।

अबुलफतह दक्षिणी।

१० अमरदाद (सावन सुदी ५) को अबुलफतह दक्षिणी जो आदिलखांके मुख्य सरदारोमेंसे था बादशाहकी सेवामें उपस्थित