पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/१७८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१६२
जहांगीरनामा।

से निकल गये हैं फिर अधीन होजावें। शुभचिन्तकोंने समयका संग ढङ्ग देखकर इस बातकी अर्जी भेजी एक प्रकारकी संधि होगई और खानखानांने वहांके कामोंको ठीक करदेनेका जिम्मा कर लिया तो बादशाहने खानाजमको जो पुण्य(१) को प्राप्तिके लिये सदा राणासे लड़नेको जानेकी प्रार्थना किया करता था हुक्म भेजा कि अपनी जागीर मालवेमें जाकर बाद तैयारीके राणाके ऊपर जावें।



——————————————









(१) कट्टर मुसलमान हिन्दुओंसे लड़ने उनको मारने या उनके हाथसे मरनेको पुण्य समझते हैं।