पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/१७९

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नया व सन् १०२२। सागुन सुदौ ३ संवत् १६६८ से फागुन सुदो २ संवत् १६७० तक। ४५७ बादशाह आगरे में। बादशाह दो महीने बीस दिन शिकारमें रहकर नौरोजके समीप आजानसे २४ असफंदार (चैत बदौ ११) को बागदहरेमें लौट पाया और २७ (चैत बदौ १४) को आगर में आया। इस बार इतना शिकार हुया था- हरन आदि . २२३ करवानक आदि पक्षी ३६ नीलगाय ८५ मछलियां चूथर आठवां नौरोज। २७ मुहर्रम १ फरवरदौन (चैत बदौ ३०) गुरुवारको साढ़े तीन बड़ी रात गये सूर्य भगवान मौन मेख राशिमें पधारे। दूसरे दिन आठवें नौरोजका उत्सव हुआ पिछले दिनसे बादशाह तख्त पर बैठा। अमौरों और वजौरीने नजर और न्योछावर को। ___ बादशाह रोज आमदरबार करता था लोगोंको अर्ज सुनता था और चाकरोंको भेट लेता था। .४ फरवरदीन (चैत्र मुदी८) शुक्रवारको अफजलखान बिहारसे आकर एक सौ मोहरें और एक सौ रुपये नजर किये इस दिन एक और चौथे दिन १० हाथी उसके हाथियोंमेंसे भेट हुए। ____ मोतकिदखां एक जगह मोल लेकर कई दिन उसमें रहा तो उस पर लगातार कई दुःख और कष्ट आपड़े। यहां बादशाह लिखता है-"हमने सुना है कि १ स्त्री २ गुलाम ३ घर और ४ घोड़े में शुभाशुभ कहा जाता है। घरके शुभाशुभ देखनेको यह विधि है जो मिलती भी है कि थोड़ी धरतीको खोदकर मट्टी