पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/२८८

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२०२ नहांगीरनामा । सवाया करके पुत्रको उपमासे फरमान लिखने की आज्ञा दी और उसके सिर पर अपनी लेखनौसे लिखा-"तू शाह खुर्रमको प्रार्थना से हमारा पुत्र होकर जगतमें विख्यात हुआ। ... ४ (भादों बदी ११) को यह फरमान लिखाकर नकल' सहित खुर्रमके पास भेजा गया कि वह नकल देखकर असल आदिलखांके पास भेज दे। आसिफखांके डेरे पर जाना। " 2 गुरुवार (भादों बदौ ३०) को बादशाह वेगमों सहित आमिफ खांके डेरे पर गया जो एक स्वच्छ और सुहानी घाटी में था। उसके याम और भी कई घाटियां थीं जहां पानीके झरने थे और आम आदि हरे भरे वृक्षोंको छाया थी। दो तीन सौ केवड़े भी एक घाटौमें फूले हुए थे। यह दिन बड़ी प्रफुल्लतामें निकला। मद्य- पानकी मजलिस भी जड़ी। बादशाहने अमीरों और मुसाहिबों को प्याले दिये। आसिफखाने भेट दिखाई। उसमेंसे कुछ चीजें वादशाहने पसन्द करके लेली शेष फेर दीं। राजा पेमनारायणको मनसब। गढ़े के जमींदार राजा पेमनारायणको हजारौ जात और पांच सौ सवारीका मनसब मिला। और जागौरकी तनखाह भी उसीके वतनमें लगाई गई। राजा सूरजमलको प्रतिज्ञा। १२ (भादों सुदी ३) को खुर्रमको अर्जी पहुंचौ कि राजा बासू का बेटा सूरजमल जिसका राज्य कांगड़ेके पास है प्रातज्ञा करता है कि मैं एक वर्षके अन्दर कांगड़ेका किला बादशाहो अधिकारमें करां दंगा। शाहजादेने उसका प्रतिज्ञापत्र भी लिखाकर भेज दिया था। बादशाहने जवाबमें लिखा कि उसकी बातोंको समझकर उसे यहां भेज दो। वह अपने मनोरथों का साधन करके उस काम पर चला जावे।