पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/२९०

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जहांगीरनामा।

जयसिंहको हाथी।

१८ (भादी सुदी १०) को बादशाहने जयसिंहको हाथो दिया।

केशव मारू।

२० (भादों सुदी ११) को केशव मारूका मनसब बढ़कर दो हजारो जात और बारह सौ सवारोंका होगया।

अहदाद पठान ।

२३ (भादों सुदी १४) को बादशाहने अहदाद पठानको रशीद- खांका खिताब और खासा. परम नरम दिया।

राजा कल्याणको हाथी।

राजा कल्याणसिंहकी ओरसे १८ हाथी नजर हुए जिनमेंसे सोलह तो बादशाहने निज गजशालामें भेजे और दो उसोको लौटा दिये।

जैतपुर पर चढ़ाई।

२५ (आश्विन बदौ २) को फिदाईखां सिरोपाव पाकर अपने भाई राहुलह और दूसरी मनसबदारों के साथ जैतपुरके जमीन्दारको दण्ड देनेको बिदा हुआ।

नर्मदाको जाना।

२८ (आश्विन बदौ ५) को बादशाह बेगमों सहित किलेसे उतर कर नर्मदाको देखने और शिकार खेलनेको गया। दो मजिलोंमें वहां पहुंचा। परन्तु मच्छरों और खटमलोंके मारे. एक रातसे अधिक न रह सका। दूसरे दिन तारापुरमें आगया और आखिन बदी ८ शुक्रवारको लौट आया।

राजा कल्याणको भेट।

राजा कल्याण श्रामिफखांकी तहकीकातमें, निर्दोष निकला. इसलिये २ महर (आश्विन बदौ १०) को उसका मुजरा' हुआ उसने इतने पदार्थ भेट किये।-

१ मोतियोंको एक लड़ निसमें ८० मोती थे।

२ लाल दो।