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पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/२९२

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२७४
जहांगीरनामा।

जहांगीरनामां। २७४ जब उस विलायतमें कुछ बस्ती न रही तो वहांका जमीन्दार यहाड़ों और जंगलों में जाछिपा और दूतं भेजकर फिदाईखांसे अप- राध क्षमा करा देनेको कहलाया। बादशाहने हुक्म दिया कि उसको बचन देकर दरगाहमें ले आवें। . . . . . . - हरान जमीन्दार चन्द्रकोटा। मुरव्वतखांने चन्द्रकोटेके जमीन्दार, हरभानको नष्ट करनेको प्रतिज्ञा की जो मुसाफिरों को सताया करता था। इस पर उसका मनसब दो हजारो जात और पन्द्रह सौ सवारोंका होगया। राजा सूरजमल। ... .. १३ (आश्विन सुदी ५) को राजा सूरजमलने खुर्रमके बखशी . तकीके साथ उपस्थित होकर अपने मनोरथ निवेदन किये उनका साधन उस सेवाके वास्ते जो उसने खौकार को थौ अच्छी तरहसे होगया और खुर्रमको .प्रार्थनाके अनुसार उसको झण्डा और नकारा दिया गया। तकीको भी जो उसके साथ जानेके लिये नियत हुआ था जड़ाऊ खपवा मिला। हुक्म हुआ कि अपने काम का प्रवन्ध करके शौवही कूच कर जावे। . सूरजमलका कांगड़े जाना। १७ ( आखिन सुदी १० ) को बादशाहने राजा सूरजमलको हाथी सिरोपाव जड़ाज खपवा और तकीको सिरोपाव देकर कांग- डेको बिदा किया। . . . . खुर्रमका दक्षिणसे कूच । . . शाह खुरमके दूत आदिलखांके वकीलों और उसकी भेजी हुई भेटको लेकर बुरहानपुर में आये और उसका चित्त दक्षिणके कामों से निश्चिन्त होगया तो उसने बराड़, खानदेश और अहमदनगरको सूबेदारी सेनापति खानखानांके वास्ते बांदशाहसे मांगकर उसके बेटे शाहनवाजखांको जो जवान खानखाना था बारह हजार सवारीसे नये जीते हुए देशोंको रक्षाके लिये भेजा। प्रत्येक ठौर और स्थानोंको विश्वासपात्र पुरुषों को जागीरमें देकर वहांका प्रवन्ध