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पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/३०४

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२८८
जहांगीरनामा।

२८८ जहांगीरनामा। जदारामको दक्षिण नियत किया और उसके हाथ एक खास सुन- हरी कटार खानखानांके वास्ते भी भेजा। केशव मारू। ११ (अगहन सुदी ४) शनिवारको ४। कोसका कूच होकर गांव नलोतमें और दूसरे दिन पांच कोस पर मदलोरमें डेरे हुए। बाद- शाह लिखता है-“यह परगना. मेरे पिताके समयसे केशवदास मारूको जागीर में है और उसके वतनके समान होगया है उसने बाग और भवन बनाये हैं। उनमेंसे एक बावलो जो रास्ते पर है बहुत सुन्दर और सजौली बनी है। मेरी समझमें अगर कहीं कोई बावली रास्ते पर बनाई जावे तो चाहिये कि इसी ढङ्गको बनावे पर इससे दूनी हो।" __हाथीको गर्म पानी। जबसे नूरबखत हाथौ आया था खासोआम दौलतखाने में बांधा जाता था। हाथो जाड़ेमें भी पानौसे प्रसन्न होता है इसलिये जहां कहीं नदौ तालाब नहीं मिलता तो नूरबख्त मशकमेंसे पानी लेकर अपने शरीर पर डालता। जाड़े में पानी ठण्डा होता है इसलिये बादशाहने अपने मनमें ठण्डका बिचार करके गुनगुना पानी उसकी संडमें डलवाया। और दिनों तो ठण्डोपानीसे कांपने लगता था अब जो गर्म पानी मिला तो खस्थ और प्रसन्न हुआ। बादशाह लिखता है-"यह मेरोही उपजाई हुई बात है।" . सबलगढ़। १४ (अगहन सुदी ७) मङ्गलवारको ६ कोस चलकर सबलगढ़में और ८ बुधका मही नदौसे उतरकर रायगढ़में डेरे हुए यह भी ६ कोशका पड़ाव था। _____ राजा पेमनारायण। १६ (अगहन सुदी १०) गुरुवारको गढ़ेका राजा पेमनारायण जिसका एक हजारी मनसब था अपनी जागौरको बिदा हुआ। राजा भरजौव। . . · बगलाणेके राजा भरजीवको बादशाहने चार हजारी. मनसब