पृष्ठ:जातिवाद का उच्छेद - भीम राव अंबेडकर.pdf/१०१

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( २ ) योकि वोगों की समनुष्यता के स्वस्व देनी और साथी के साथ विवाह-निषेध ओइदा देना पड़ा, पदि रक्तराम होने के बाद फ्रांस में भी दास-प्रथा बंद करनी पी, तो क्यो पाप समझते हैं कि इस प्रकार कावटें आने से आप इसे भारतीय दास-प्रथा अर्थात् जाति-पति को चिरकात तक बनाए रख सकेंगे ? क्या इतिहास से शिक्षा क्षेते हुए यही बुद्धिमत नहीं कि आप जाति-पति-तोड़ विवाह-बिया को चुपचाप पास छ। खेमे हैं ? इस लिये जोगों को व्यर्थ को छ सहने पर भाप क्यों विवश करते हैं ? जाति-पाँति ? ने से हिंदू-समाज नष्ट नहीं हो जायगा । मुसलमान, ईसाई और बौद्ध-समाजों में जाति-पाँति नहीं। जाति-पाति के बिना जीते ह सकते हैं. सो कोई कारण नहीं कि हिंदू-समाज क्यों न रहेगा ? भारत में सर से बचा हिंदू-साम्राज्य महाराज अशोक का हुआ है। यह ह समय था जब कि युद्ध धर्म के प्रचार से fiदुओं में जाति-पाँसि वित- कुल मिट चुकी थी। इस समय भी जाति-पति को माननेवाधा भारत पराधीन हैं और जाति-पति को न माननेवाले सभी पारचात्य देश स्वाधीन हैं। संदिग्ध वर्ण और वर्णहीन संतान के झूठे भय को छोविए। ये सब कविपत होए लोगों को जाति-पाँति की कैद-कोठ- रियों में बंद रखकर फूट द्वारा उन पर शासन करने के लिये ही बनाए गए थे। क्या वर्णहीन मनुष्य के एक टाँग पर एक हाथ होता है ? इंगलैंड में गत महायुद्ध में हज़ारों बच्चे ऐसे पैदा हो गए, जिनके पिता का पता ही नहीं। यह सारी समर-संतान ज्या समाज की अंग नहीं बना दी गई हैं महाभारत पर दृष्टि अपने से तो सच काही वर्णन है। मनुष्य देख पाते हैं। नीच जाति के लोगों में भी बासि-पति विष आपका ही फैला हुआ है। अपने ही उन्हें पर गुरु-मंत्र दिया है। अप-जितना जाति से हर विवाह करनेवाला हिंदू अपने