पृष्ठ:जातिवाद का उच्छेद - भीम राव अंबेडकर.pdf/१०२

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( २३ ) परिवार के घरेलु सु को नष्ट करता है, उतना सा के साथ गाँउ साँठ करनेवाला अँगरेज़ अपने परिवार में म एक भाई की ऊँच- अति | भो दूसरे भाई की नीच जाति की भी है । थि अना भोजन खाना तो दूर, उसके भाथ यह बैठ भी कैसे सकती है ? ऊँची जाति को भी अपनी नीच जाति की देवरानी को अपने साथ कुज-देवता की पूजा कैसे करने देगी ? इस पर भी इस बिल को अपनी इच्छा का ( Per}11issive ) कहा जाता है, मानो संपत्ति के प्रश्न को छोड़कर भी इसका असर वर और वधू के सिवा और किमी पर नहीं 1 पोस में स्तुती हुई शराब की दुकान या ने कोठी में जाने के लिये किसी को मजबूर नहीं किया जाता, फिर भी यह सब के लिये अनिष्टर सिद्ध होती है। फिर जाति-पति तोड़कर विवाह करने वाला युवक तब तक घरवालों को चैन नहीं लेने देगा, जब तक वह--यदि उसके बाप ने अपनी मृत्यु से पहले ही उसे विरासत में वंचित नहीं कर दिया-संपत्ति बँटवाकर अपने आक्री भाइयों से अलग नहीं हो जायगर । इस प्रकार पाए हुए अपने दाम भाग वह अपनी सी के साथ भोग-विलास में फेंक आहेगा, किसी को उस अति-पति तोड़ने पर कोई आपत्ति न होगी, यदि यह बाकी परिवार से संपत्ति छ। भाग न घटाए और घर छोड़ अपनी मौज करता किरै । पर बिल उन कुमियों और बच्चों के सुभीते के लिये है, जो हिंद-परिवार की प्रत्येक पवित्र और प्रिय धीज़ को पाँव तले रौंदना चाहते हैं, जो बदमाशी और आवारगी । जीवन व्यतीत करना चाहते हैं। | उत्तर-~-ति-पाँसि तोड़ने का एक बड़ा बहेर भन्ममूलक ॐ५- नीथ का झूठा भेद-भाव मिटर हिंदुओं में समता और भ्रातृभाष वैदा करना है। इसी झूठे भेद-भाव ने fiदुओं में फूट डर उनको कड़े-टुकड़े कर क्या है। यदि एक मूम जैठानी, आप लोगों को