पृष्ठ:जातिवाद का उच्छेद - भीम राव अंबेडकर.pdf/११२

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अम्मू नेता स्वीकार आने को चिकुरा तैयार हैं । जमने अब सारे अनि की मूख आति-पति को मिटा देने से इङ निश्चय कर लिया है। इनमें आरम-सम्मान-दोन बरे ओर से वध रहा है। अब कोई भी शक्ति अति-पति को सुरक्षिन रख सकेगी। इन को दुखित ह और अछूतों की फैंक से पति-पति इस तरह बड़ जायगी जैसे अभी के सामने पीपल को सूखा हुआ पत्ता । यही कारण है जो भ० अमृतास राय-जैसे सनातनधर्मी जाति-पति की मृत्यु पर इतना विपि करने लगे हैं। अब अति- पाँति-तौ विवाह की संतान को अपनी वैतृक संपत्ति से वंचित होने का भी डर नहीं। क्योंकि सिविध मैरिज ऐक्ट या अॅक्टर गौड़ के मैरिज ऐक्ट के अनुसार जानि-सि तोहक विवाह रजिस्ट्री हो सकता है और उसकी संतान कानून की दृष्टि में अपने माता-पिता की संपत्ति की अथज़ वारिस समझी जाती है। अब तक इंतरजातीय विवाह का प्रचार नहीं होता और अब सके हिदू जन्म-मूलक जात-पाँति की अंजीरों में बँधे हुए हैं, भय तक अछूतोद्धार, शुद्धि संगठन, अन् स्व. राज्य भी सर्वथा असंभव है। इसलिये प्रत्येक देश-हितेषी की आर्तव्य है कि जाति-ति का समूख नाश करने में तन, मन और धन से मंच की माया करे, तभी हिंदू समाज और भारत-जननी का पाच होगा ।