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जाति-पाँति का गोरखधंधा

 

आजकल वर्ण-व्यवस्था तो आर्य्यों के लिये मरण-व्यवस्था बन
गई हैं, देखें इस डाकिन से अर्य्यों का पीछा कब छूटता है।

"महर्षि दयानन्द"

 

लेखक—

रामलाल वकील, कोटा.