फिर वही प्रश्न उठता है कि हमारी यह हीन दशा क्यों है ?
हमने अभी संकेत किया है कि वर्तमान जात-पाँत ही हमारे
संगठन में भारी रुकावट है, पिछले कौंसिलों के चुनाव के अव-
सर पर देश के नेताओं के सामने यह समस्या आई थी और
कइयों ने बड़े दुःख से अनुभव किया था कि देशसेवा के मार्ग
में भी यह जात-पाँत भारी पत्थर हैं। ऐसे लोगों में श्रीयुत
जयकर, सावरकर, गौड, मुंजे, टैगोर, लाजपतराय, वारदाराजलू,
नायडू आदि की गिनती है । अछूतपन तो इस जात पाँत का
बच्चा ही है, हमें तो यहां तक कहते हैं कि अनाथों और
विधवाओं को प्रश्न तथा संगठन, शुद्धि और दलितोद्धार के
प्रयोजन हल हो नहीं सकते जब तक इस झूठी जात पात को
जड़ से नहीं मिटाया जायगा । बाल-विवाह, असमान-विवाह
और विधुर-कुमारी विवाह सब इन्हीं जाति पांतियों के अत्याचार हैं।
देश, जाति और धर्म की ऐसी विकट स्थिति को देखकर कई सहृदय सज्जनों से रहा नहीं जाता, ऐसे ही कोमल-हृदय महानुभावों में ग्रन्थकार की गिनती है, इस पुस्तक के लेखक हैं। कोटा के श्रीयुत रामलालजी वकील, आप साहित्य और संगीत दोनों के रसिक हैं, कोटा आर्यसमाज के प्रधान तक रह चुके हैं परन्तु आप के स्वभाव में बहुत सरलता है, आप चुपचाप सेवाभाव से काम करने वाले व्यक्ति हैं, आप ने यह पुस्तक दैवी प्रेरणा से लिख रक्खा था, अकस्मात् कोटा में मेरा जाना