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जात-पांत का गोरखधंधा

जाति के नर को दूसरी जाति की नारी से प्रेम करने की इच्छा तक उत्पन्न नहीं होती। पाठक विचार करें कि एक घोड़ी अर्य देश की हो और घोड़ा काठियावाड़ का तो भी उन दोनों में प्रीति हो सकती है और बच्चा पैदा हो सकता है। क्योंकि संसार में जहां कहीं भी घोड़ा घोड़ी हैं, वे एक जाति के हैं। हां गुणों की पृथक्ता से नाम अलग अलग हो सकते हैं। मगर जाति अलग नहीं हो सकती । घोड़ा और बैल दोनों अलग अलग जाति के हैं। इसलिये बैल घोड़ी में गर्भ स्थापित नहीं कर सकता और घोड़ा गाय में । गर्भ की बात तो बहुत दूर की है वे ऐसी इच्छा तक नहीं कर सकते ।।

तीसरी बात यह भी है कि एक जाति दूसरी जाति की नकल नहीं कर सकती, जैसे गधा या बैल घोड़े के हिनहिनाने की नक़ल नहीं कर सकता । इसी तरह घोड़ा गधे की तरह रेंक नहीं सकता; बये का घोंसला दूसरी जाति का पक्षी नहीं बना सकता; मामूली मक्खियां शहद की मक्खियों की नकल करके शहद नहीं बना सकती।

जाति में चौथी प्रकार का गुण यह है कि जाति कभी बदलती नहीं-जन्म से मरण पर्यन्त एक ही बनी रहती है।

पाठक ! अब वेदशास्त्र की बताई हुई इन घरों कसौटियों पर मनुष्य जाति को परखए, आप को ज्ञात हो जायेगा कि मनुष्यमात्र एक जाति के हैं अथवा पशु पक्षियों की भांति मनुष्यों में भी अनेक जातियांँ हैं।