बहुत पहले भगवान बुद्ध धार्मिक और सामाजिक क्रान्ति पैदा कर
चुके थे | महाराष्ट्र के साधु-महात्माओं द्वारा सामाजिक और धा-
र्मिक सुधार के बाद ही शिवाजी राजनीतिक क्रान्ति ला सके थे ।
सिक्खों की राजनीतिक क्रान्ति के पूर्व गुरु नानक सामाजिक और
धार्मिक क्रान्ति पैदा कर चुके थे। और अधिक उदाहरण देने की
आवश्यकता नहीं । यह दिखलाने के लिये इतने ही उदाहरण पर्याप्त
हैं कि किसी जाति के राजनीतिक विस्तार के लिए पहले उसकी
आत्मा और बुद्धि का उद्धार होना परम आवश्यक है।
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साम्यवाद और वर्ण-भेद
भारत का साम्यवादी दल वर्ण-भेद को मिटा कर सामा-
जिक समता लाने के बजाय सारा बल आर्थिक समता पर ही दे
रहा है। वह सामाजिक अवस्था से उत्पन्न होने वाली समस्याओं
की उपेक्षा करना चाहता है। पर क्या ऐसा करना उस के लिए
सम्भव है ? भारत के साम्यवादी, योरप के साम्यवादियों के अनु-
कारण मे, इतिहास को अर्थिक अर्थ भारत की अवस्थाओं पर
लागू करने का यत्न कर रहे हैं । वे कहते हैं कि मनुष्य एक
आर्थिक प्राणी है, उस की चेष्टाएँ और आकांक्षाएँ आर्थिक तथ्यों
से बँधी हुई हैं। उन के मत से सम्पत्ति ही एक मात्र शक्ति है। इस
लिए वे प्रचार करते हैं कि राजनीतिक और सामाजिक सुधार
भारी भ्रम मात्र हैं, और किसी भी दूसरे सुधार के पूर्व सम्पत्तिक
समता द्वारा आर्थिक सुधार का होना परमावश्यक है। जिन बातों