और उसे पूना बुला लिया, लड़की इस प्रकार अकेली रह
जाना पसन्द नहीं करती थी, उसने अपने प्रेम-पात्र से बहुत
कुछ कहा सुना, परन्तु युवक को पिता की आज्ञानुसार जाना
ही पड़ा, इन्दिराबाई का विश्वास हो गया कि उसका प्रेमी
पूना में विवाह करने जा रहा है। लड़की इस चोट को सहन
न कर सकी, और उसने एक पत्र देशपाण्डे को लिखा और
फिर आत्महत्या करली । पत्र का आशय इस प्रकार था कि,
“मुझे यह कर्म करने में दुःख होता है। तुम्हें भी मेरे कारण
से बहुत दुःख होगा, परन्तु मैंने जो कुछ किया वह मेरे वश
की बात नहीं थी, परलोक में तुम मेरे पति होगे और मैं
तुम्हारी पत्नी हुँगी, मुझे क्षमा करो और एक सुन्दर रमणी
से विवाह करलो और खुशी से अपना जीवन व्यतीत करो।”
जात पाँत के अत्याचारों की ऐसी बीसियों घटनाएं हमारे सामने आती हैं, परन्तु यह आर्य्य जाति है कि जिसके कान पर एक भी जू नहीं रेंगती ।
आगे जात-पाँत के कुछ भयंकर परिणाम संक्षेप से लिखे जाते हैं।
सच पूछिये तो इस कुप्रथा ने भारत का सर्वनाश ही कर डाला है।
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