पृष्ठ:जातिवाद का उच्छेद - भीम राव अंबेडकर.pdf/१७९

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बाल-विद्या के यही जौहर दिखा सकता है?
किन्तु हाथों में न तेरे आज तीर-कमान है।
अस्त्र-शस्त्र के बिना अब हम निकम्मे हो रहे,
धमकियां देता इसी से क्या हमें जापान हैं?
दूर हो यदि यह व्यवस्था वर्ण के बिलगाव की
देख लें फिर हम कि हम-सा कौन वीर महान है।
वर्ण के बिलगाव का विष छा रहा इस जाति में
क्या उसी से दूसरे का दास हिन्दुस्तान है?
वर्ण का विलगाव नव तक है, न होगा संगठन,
संगठन के बिन किसी का कब हुआ कल्याण है?
ऐक्य आपस में बने सब तोड़कर यह जात-पाँत
ऐक्य-पल से ही हुआ हर देश का उत्थान है।
वर्ण का बिलगाव , ले सीख 'ब्रहानन्द' की,
चाहता यदि मानव संसार में सम्मान है।

श्रीमती कूपर-वाह-वाह ! बहुत अच्छा गीत है। भला यह जात-पात क्या चीज़ है, जिसको इस गीत में विष बतलाया गया है ? यह हिन्दू जाति में कैसे आई ! यह ऐसी बुरी वस्तु है तो तुम लोग इने छोड़ क्यों नहीं देते ?

किशोर एक लंबी सांस छोड़ कर बोला-माता जी! यह बहुत लम्बी और दुःख-भरी कहानी है। इस समय आपको नींद आ रही होगी। आप सो जा‌इये । मैं फिर किसी दिन आपको सुनाऊँगा।

श्रीमती कूपर--नहीं बेटा ! सफर में सोना अच्छा नहीं होता । अभी मैं इसका परिणाम देख चुकी हूं। कमला तो सोई ही पड़ी है, और इसका सोना ही अच्छा है, क्योंकि इसकी