पृष्ठ:जातिवाद का उच्छेद - भीम राव अंबेडकर.pdf/१८९

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अनुगृहीत हैं। मैं स्वयम् आप से प्रार्थना करने जा रहा था कि यदि आप आज्ञा दें तो मैं आई. सी. एस. की परीक्षा पास कर लूंँ ।

मि० कूपर---हाँ हाँ, बड़ी प्रसन्नता के साथ ।

दूसरे ही दिन से किशोर ने परीक्षा की तैयारी प्रारम्भ कर दी, और खूब परिश्रम करने लगा।

लंडन पहुँचने के ६ पास उपरान्त कमला के पुत्र उतपन्न हुआ । उसका नाम नरेश रखा गया । एक-एक करके दिन बीतते गये । एक वर्ष बाद किशोर ने परीक्षा पास कर ली और दो माह पश्चात् उसे बम्बई प्रान्त में पूना का कलेक्टर होकर भारत जाने की आज्ञा मिल गयी। कमला और नरेश के साथ जहाज़ पर सवार हो उसने भारत के लिए प्रस्थान किया।

यद्यपि लंडन मैं उसे सब प्रकार का सुख प्राप्त था किन्तु जन्मभूमि अंत में जन्मभूमि है । न जाने जन्म-भूमि की मिट्टी में क्या आकर्षण होता कि मनुष्य कहीं भी हो, उसकी पवित्र स्मृति उसे कभी नहीं भूलती । जिस देश में उसने जन्म धारण किया, जिस मिट्टी को वह बचपन में मिश्री के समान स्वादिष्ट समझ कर खाता रहा, मारपीट होने पर भी जिस मिट्टी को खाना बन्द न किया, उसे कैसे भूल जाये ? मातृभूमि की मिट्टी का कण-कण इतना प्यारा होता है कि वीर आत्मा उसके लिये कट मरते हैं । अस्तु । कमला और किशोर अपनी प्यारी मातृ-भूमि के दर्शनों के लिये लालायित हो उठे। जिस समय जहाज़ में बैठे हुए उन्हें बम्बई नगर दृष्टिगोचर हुआ, उनके हृदय आनन्द-सागर में डुबकियाँ लमाने लगे । जहाज़ किनारे लगा, सामान उतरवाकर टैक्सी में रखवाया गया, और उसी रायल होटल में जाकर