पृष्ठ:जातिवाद का उच्छेद - भीम राव अंबेडकर.pdf/१९५

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मि० कूपर भी उन सब को देखने के लिये व्याकुल हो रहे थे। एक दिन किशोर को उनका तार मिला, जो उन्होंने लंडन से भेजा था। वह श्रीमती कूपर की ओर से था। उसमें रखा था तुम्हारे पिता बहुत अधिक बीमार हैं। वह तुम्हें, बच्चों और कमला को देखना चाहते हैं। हवाई जहाज़ द्वारा शीघ्र चले आओ।

किशोर ने तत्काल अपनी नौकरी से त्याग-पत्र दे दिया। सारी सम्पत्ति एक ट्रस्ट को सौंप दी। ट्रस्ट की सम्पूर्ण आय देश, समाज और जाति की सेवा में व्यय होने लगी। वह स्वयम् , स्त्री-बच्चों समेत इँग्लेंंड, चला गया। इस प्रकार हमारे समाज की कुरीतियों और कुरूढ़ियों के कारण हमारा देश किशोर जैसे सुपुत्र और कमला जैसी सुपुत्री से शुन्य हो गया। भूलें मनुष्य से ही होती हैं, और इसके लिये प्रायश्चित्त भी होता है। किन्तु जो लोग दिन-रात लाखों भूले और भयानक दुष्ट कर्म छिप कर करते हैं, किन्तु समाज के भय से औरों की एक भूल भी क्षमा नहीं करते वे समाज के सहस्त्रों रत्नों से हाथ धो बैठते हैं और अपनी जनसंख्या कम करने का कारण बनते हैं। अस्तु यह इसी को कुपरिणाम है ।

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मुद्रक-विश्वनाथ, एम.ए, आर्य प्रेस वि०,मोहनलाल रोड,लाहौर।

प्रकाशक-श्री सन्तराम, बी.ए. जात-पति तीड़क महल, लाहौर।