पृष्ठ:जायसी ग्रंथावली.djvu/३२५

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नागमती संदेश खंड
१४३

जौ पै काढि देइ जिउ कोई। जोगी भँवर न यापन होई॥
तजा कँवल मालति हिय घाली । अब कित थिर पाछै अलि, प्राली।
गंध्रबसेन प्राव सूनि बारा । कस जिउ भएउ उदास तुम्हारा?

मैं तुम्हही जिउ लावा, दीन्ह नैन महँ बास ।
जो तुम उदास तौ यह काकर कबिलास? ॥१५॥


चित्त उठावा = जाने का संकल्प या विचार किया। हिय घाली = हृदय में प्राकर। २०