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देशयात्रा खंड


ततखन राज पंखि एक आवा। सिखर टूट जस डसन डोलावा॥
परा दिस्टि वह राकस खोटा। ताकेसि जैस हस्ति बड़ मोटा॥
आइ ओहि राकस पर टूटा। गहि लेइ उड़ा, भँवर जल छूटा॥
बोहित टूक टूक सब भए। एहु न जाना कहूँ चलि गए॥
भए राजा रानी दुइ पाटा। दूनौं बहे, चले दुई बाटा॥
काया जीउ मिलाइ कै, मारि किए दुइ खंड।
तन रोवै धरती परा, जीउ चला वरम्हंड॥१०॥


 

डहन = डैना, पर।