पृष्ठ:जायसी ग्रंथावली.djvu/४३१

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गोरा बादल यद्ध खड २४' लेई राजा चितउर कहें चले । छूटेड सिंघ मिरिग खखेलमेले ॥ चढ़ा साहि चढ़ि लागि गोहारी : कटक असू पी जग कारी ॥ फिरि गोरा बादल सों कहा। गहन छूटेि पुनि चाहै गहा ॥ चहें दिसि आाव लोपत भानू । अब इ, गोइ, इहैमैदान तुइ अब राजहि लेई चढ गोरा। हीं अब उलटि जुत भा T जोरा ।॥ वह चौगान तुनक कस खेला। होड़ खेलार रन जुरी ग्रकेला है। ती पावर्टी बादल अस नाऊँ। जो मै दान गोइ लेइ जाऊँ । अफ़ खड़ग चौगान गहि, कर्फ सोस रिपु गोइ । खेलों सौंह साह सों, हाल जगत महें हो । तब अगमन होई गोरा मिला। तुड़ राजहि लेइ चलूबादला !। पिता मरे जो सँकरे साथा । मच न देड पूत के माथा ॥ मैं अब ग्राउ भरी औौ भजी। का छिताव आा जो जी ? ॥ बहुतन्ह मारि म जी जूझी। तुम जिनि रोएहु तो मन भी । कुंवर सहस सँग गोरा लोन्हे । और वीर बादल सँग कौन्हे । गोरह समदि मेघ अस गाजा। चला लिए आागे करि राजा ॥ गोरा उलटि खेत भा ठाढ़ा। पूरुप देखि चाव मन बार्ता ॥ श्राव कटक सुलतानी, गगन छपा मसि माँभ । परति भाव जग कारीहोत आाव दिन साँ । । होइ मैदान परी अब गोई। खेल हार दहें काकरि होई ॥ जोबन तुरी चढ़ी जो रानी। चलो जीति यह खेल सयानी ॥ कटि चौगान, गोड़े कूच साजी। हिय मैदान चली लेइ बाजी ॥ हाल सो करै गोइ लेइ बाढ़ा। करी दृौ पेज व काढ़ा ॥ भड़ें पहार वैदूनो कूरी । दिस्टि नियरपचत सुटि दूरी । ठाढ़ बान अस जानह दोऊ। साल हिये न काहूं कोऊ ।। सालहि हियन जाहि संहि ठाढ़े । सालहि मरे चहे ग्र नकार ॥ मृहमद खेल प्रेम करगहिर कटिन चौगान । सोस न दी गोइ जिमि, हाल न होइ मैदान 1 ८ ॥ (६) कारी = कालिमा, अंधकार । फिरि = लौटकर, पीछे ताककर । गोइगो = य, गेंद । जोरा = खेल का जोड़ा या प्रतिद्वंद्वी । गोइ ले जाऊँ = बल्ले से गेंद निकाल ले जाऊँ। सीस रिपु = शव के सिर पर । चौगान = गेंद मारने का डंडा । हाल = कपहलचल। (७) आगमन = ग्राग । सँकरे साथ = संकट की स्थिति में । समदि = विदा ले कर । पूरुप = योद्धा । मसि = अंधकार । (८) गोई = गेंद । खेल = खेल में । काकर = किसकी। हाल करै = हलचल मचावेमैदान मारे । कूरी =धुस या टीला जिसे गेंद को लघाना पड़ता है । पैज = प्रतिज्ञा। अनकाढ़े = बिना निकाले ।