पृष्ठ:जायसी ग्रंथावली.djvu/४३४

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२५२
पदमावत

२५२ पुन जूईि जाज, जगदेऊ। जियत न रहा जगत महू केऊ ॥ जिनि गोरा सो ग्रकेला। सिंघ के मोंछ हाथ को मेला ? जानहु । सिव जयत नहि आए धरावा। मुए पाछ कोई घिसियावा ॥ करै संघ मुख सौहदि दोठी । जो लगि जिये देइ नहि पीठी ॥ रतनसेन जो वाँध, मसि गरा के गात । जी लगि रुधिर न धोवों, तो लगि होझ न रात 1१४। सरजा बीर सिंघ चढ़ि गाजा । श्राइ सौंह गोरा सौं बाजा ॥ पहलवान सो बखाना बली । मदद मीर हमजा श्री अली ॥ लंधउर धरा देव जस शादी । औौर को बर बाँ, को बादी ? ॥ मदद अयूब सीस चढ़ कोपे । महामाल जेइ नावें अलोपे ॥ श्री सालार ग्राए। जेई कौरव पंडव पिंड पाए । ताया मो पहचा थाइ सिंघ सवारू। जहाँ सिंघ गोरा बरियारू ॥ मारेस साँग पेट महूँधंसी कालेसि हुमुकि ऑाँति भुहूं खसी भाँट कहाधनि गोरा ! तू भा रावन राव । ग्राँति समेटि बाँधि के, प्रय देत है पव 1१५। । कहसि अंत अब भा मुद्दे परना। अंत त खसे खेह सिर भरना ॥ कहि के गरज सिंघ स धावा। सरजा सारचूल पहें आावा ॥ सर लीन्ह साँग पर घाऊ। परा खड़ग परा निहाऊ ॥ बलू क साँग, बलू के । उठा डॉड़ाआागि तस बाजा खड़ा । जानह व व लू स बाजा। सब ही कहा पी अब गाजा। दूसर पड़ग कंध पर दोन्हा । सरजे श्रोहि मोड़न पर लीन्हा। जाज, जगदेऊ = जाजा और जगदेव कोई ऐतहासिक वीर जान पड़ते हैं। । घिसियावा घिसियावेघसीटे

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रतनसेन ज‘गात रतनसेन जो बाँधे। गए इसका कलंक गोरा के शरीर पर लगा हश्रा है । से । रुहिर रुधिर रात लाल श्रथात् कलकराहत। (१५) मीर हमजा = मीर हमजा मुहम्मद साहब के चचा थे जिनकी वीरता की बहुत सी कल्पित कहानियाँ पीछे से जोड़ी गई। रंधउर = धौर देव नामक एक कल्पित हिंदू राजा जिसे मीर हमजा ने जीतकर अपना मित्र बनाया था, मीर हमजा के दास्तान में यह बड़े डील डील का और बड़ा भारी वीर कहा गया । मददअली = मानों इन सब बीरों की छाया उसके ऊपर है। थी । हठ या प्रतिज्ञा करके सामने श्राए । वादी = शद् । महामाल वर बाध = = या 1 = सालार कोई क्षत्रिय राजा वीर। जेइ = जिसने मसऊद गाजी (गाजी मियाँ) । बरियारू = बलवान् । हुमुfि सालार शायद कारेंसि हकि = सरजा ने जब भाला जोर से खींचा । कि = जोर से । सर* = सरजा ने । जनु परा निहाऊ = मानो निहाई पर पड़ा अत् िसाँग खसी = गिरी। (१६) को काट । डॉड़ा = या । ोड़न = कूड़ = लोह न सका) दड खग ढाल । का टाप । । गुरुज = , गदा ।