पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/१०

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उद्देश्य तो हैं अपने देश-वासियों में हिन्धीकी सच्ची लगन अधुरित करनेके साथ ही साथ विद्या तथा ज्ञानकी पिपासाको उत्तेजित करना; फिर इसी शान-कोशको श्रनन्त शान-धाराओं द्वारा शान्त करना। दूसरे धर्म, समाज, विज्ञान तथा इतिहासके अनेक विवादग्रस्त विषयों पर असीम उदारता से प्रत्येकपक्षके विचार तथा भावोंका नग्न चित्र खींचकर ही छोड़ दिया गया है-किसी विशेष मतका समर्थन नहीं किया गया है। ऐसी सत्य-पूर्ण तथा निष्पक्ष आलोचनाओं द्वारा सच्चे स्थिति-झानके कारण देश तथा समाजसे सङ्कुचित भावौके विनाश तथा परस्पर सहानुभौतिक प्रेम-विस्तार तथा रागात्मक सम्बन्धी पूर्ण सम्भावनाकी जाती है। इस साहस-पूर्ण प्रयत्नका अन्तिम ध्येय है भविष्यके लिए आधुनिक समयकी सच्ची स्थिति तथा सभ्यताका पूर्ण व्योरा जाननेका अनुपम साधन छोड़ जाना । शान-भरडारकी सहयतासे आनेवाले युगवालों को केवल इह-कालिक तथा तत्कालीन सभ्यता. विकासकी तुलनामें सहायता नहीं मिलेगी, वरन् वे इन अथाह-सञ्चित अनुभवास लाभ उठाकर उन्नति-पथपर अधिक सुगमतासे श्राग्रसर हो सकेगें। शानकोश ऐसे प्रयासमें अपने जीवन की सर्वोत्तम शक्तियांका वस्लि-दान करके भी पूर्ण सफलताको अाशा करना सरल नहीं है। इसमें जिस विपुल व्ययकी श्रावश्यकता है तथा अन्य जो बाधाये, आपत्तियाँ तथा कठिनाइयाँ पग-पग पर उपस्थित होती है उनका विचार करके व्यक्तिगत परिश्रमसे इसके सफल होनेकी श्राशा करना दुराशामान है। इस दुस्साध्य प्रयत्नकी पूर्ण सफलता तो सम्पूर्ण हिन्दी-संसार, वरन्, समूचे राष्ट्रकी समुचित तत्परता, सामयिक सहायता तथा सच्ची सहानुभूति पर ही निर्भर है। हिन्दीभाषा तथा साहित्यके सदा खटकनेवाले इस अभावको दूर करनेका कार्य हमने प्रारम्भ कर दिया है, किन्तु इसकी सफलता तो हिन्दी संसारके सहयोग तथा सहानुभूति पर हीनिर्भर है। अभी तक हिन्दी संसार तथा विद्वनमण्डलसे जो सहायता तथा सहानुभूति मुझे प्राप्त होती रही है और जिसके लिये न जाने हृदयसे कितना अनुगृहीत है-उसे देखते हुए ना श्राशा की जाती है कि अपने ज्ञानप्रकाशसे यह 'शानकोश' अखिल भारतको शीघ्र श्रालोकमय भर देगा। भार्गव ब्रदर्स, पुलेमानी प्रेस, बनारस। विनीत... विश्वनाथ प्रसाद भार्गव, बी० ए० सम्पादकीय सञ्चालक नोट:-इस प्रयास को लिमिटेड कम्पनी का रूप देने का प्रयत्न किया जा रहा है।