पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/१०२

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अजमेर हुआ है। ज्ञानकोष (अ) ८६. अजमेर

  • कनिंगहमका ऐसा मत है कि अजमेरकी और अजयमेरु भी उसी समय बनवाया होगा। .

स्थापना चौहान अथवा चाहमान राजा अजयपाल उसका प्रमाण नीचे दिया जाता है। ने की। यह राजा E१९ ई० के पहले हो गया अजयराजाके पुत्र अर्णोराजने गुजरातके जय- कनिंगहमकी फेहरिस्तके आधारपर ऐसा विदित सिंह सिद्धराजकी कन्या काञ्चनदेवीसे विवाह होता है कि यह शहर बहुत प्राचीन है क्योंकि किया इससे यह निश्चित होता है कि वह जयसिंह फरिश्तेके लेखों में अजमेरके राजाका उल्लेख | सिद्धराजका समकालीन होगा और उससे छोटा ६८४ ई० में मिलता है । महमूद गजनवीने सोमनाथ होगा। जयसिंह सिद्धराजने १०६४ से ११४३ पर चढ़ाई करते समय अजमेरको लूटा था। ई. तक राज्य किया। जयसिंहके उत्तराधिकारी + राजपुताना गजेटियरमें अजमेरकी स्थापना ! कुमारपालने अाराज नथवा आनाकसे युद्ध का काल १४५ ई० और बसाने वालेका नाम किया। इस लड़ाईका अन्त ११४६-५० लाथवा अनलका वंशज पहला चौहान राजा अज दिया | ११५०-५१ ई० में हुआ । अर्णोराजके दूसरे पुत्र चवथा-विग्रह अथवा वीसलदेवके अजमेरके मोलसेन साहब का अनुमान है कि इस अंकित लेखका काला ११५३ ई० है। इससे अनुमान शहरका नाम अजमीढ़ होगा और उसके बाद | किया जाता है कि अर्णोराजका देहान्त ११५० 'अजमेर नाम पड़ा होगा। टॉलेमीने इस शहर और ११५३ ई० के बीच हुआ होगा । इसलिये का उल्लेख १५० ई० में गंगस्मिर (Sangasmira) | अर्णोराजके बारहवीं शताब्दीके दूसरे पद, नामसे किया है। और उसके पिताने सन् १९०४-१९२५ काल में जयचंन्द्रके हम्मीर महाकाव्य (१-५२) में राज्य किया होगा। ऐसा लिखा है कि चौहान वंशके चाहमानके तीसरे उत्तराधिकारी अजयपालने अजमेर बसाया के समयमै अर्थात् १२ वीं शताब्दीक दूसरे पदमे पृथ्वीराज विजय नामक ग्रंथ दूसरे पृथ्वीराज प्रबन्ध चिन्तामणि नामक ग्रंथमें चाहमान रचा गया है। हम्मीर महाकाव्य १४ वीं शताब्दी राजाओंकी एक सूची दी हुई है। उस सूची के अन्त में और फरिश्तेकी पुस्तक १६वीं शताब्दी चौहान वंशके चौथे राजा अजय राजको “अजय के अन्तमें लिखी गई है। डॉ० मॉरिसन् साहवका मेरु दुर्गणारकः कहा है। इस चौहान वंशका ! मत है कि इस पुस्तकके लेख और 'पृथ्वीराज श्रारम्भ ६८ ई से हुआ है । अतः अजमेर शहर विजय' में दी हुई चाहमानोंकी वंशावली मिलती बहुत प्राचीन है। इस सम्बन्धमे ऊपर दिये हुये | जुलती है। इससे यह निश्चित होता है कि इस प्रायः सभी ग्रंथोंका एकमत है, परन्तु डॉ० जे० | ग्रंथका प्रमाण अधिक महत्वका है। मॉरिसन साहबने चाहमान वंशके विषयमे लिखते प्राचीन भूगोल शास्त्रवेत्ता अजमेर शहरका हुये एक छोटी सी टिप्पणी दी है कि इस वंश | उल्लेख नहीं करते। केवल प्रभावक चरिता में का बीसवाँ राजा अजयराज सल्हणने अजयमेरु' । इसका उल्लेख किया है । फरिश्ते के समय अजमेर नामक नगर बसाया। यह 'पृथ्वीराज विजय' चाहमान राजाओंकी राजधानी होगा। पूर्व नामक पुस्तक में दिया हुश्रा है। इस आधारसे | गजपूतानेमें इन राजाओंकी सत्ता छठीं शताब्दीसे ऐसा निश्चित होता है कि इस शहरकी स्थापना | थी। इससे भालूम होता है कि फरिश्तेने भूलसे उत्तरकालीन है ! ११०० और ११२५ ई० में या | शाकांभरीके चाहमानोंको "अजमेरका राजा" इसके लगभग अजय राजाने राज्य किया होगा कहा होगा। इन सब बातोंसे सिद्ध होता है कि पृथ्वीराज विजय' का ही विधान सत्य है। यह Archaeological Survey Reports v. 2 Page | विधान इस प्रकार है कि शाकाम्भरीका चाहमान वंशीय बीसवाँ राजा अजय इसका संस्थापक † Rajputana Guzeltecr Pol. II Page 14. पृथ्वीराज विजयसर्ग 1 Indische Alter thunskunde Vol. III Page 15). + Gujarat Chronicles. Bonrbuy cdition of the Prabandha Chintamani 1 Epigraphíu Indica Vol. II Page 422. Page 52 ff .. 3 Indian Antiquary Vol XX Page 201. The date is that of the incision of Vipra! S Vienna Or. Journal Vol VII. L'age 101, Harakcii nutika. 8 Prithvirnj Vijaya Surga V. 77, 99, 100, 102. $ XXII 420 252 ff.