पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/१०३

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अजमेरीगंज ज्ञानकोष (अ). अजमोदल था आर यह नगर उत्तरकालीन है-यही कहना अन्य औषधियों के साथ मिलाकर किया जाता है। इतिहाससे युक्तिसंगत है। धाव और कट जानेपर भी इसको लगानेसे फायदा 'अजयमेरु नामका अर्थ 'पृथ्वीराज विजय होता है। सन्निपात ज्वग्में अंतड़ियोंको साफ में "डाजय राजाका बनाया हुआ मेरु" है। इसी रखने के लिये यह गुणकारी है। (Ankylostome प्रकार अनेक दूसरे नाम प्रचलित हैं। उदाहरणार्थ | Dhodenale ) अंकिलोस्तोम ज्योडिनेल के जैसलमेरु जैसलमीर, कमलमेरु ( कुम्भल मेर ) कोटाणुको नाश करने के लिये यह अत्यन्त लाभ- बालमेर अथवा बार्मेरू (बाहडमेरु), झांझमेरु दायक है। अमेरिकाके अस्पतालोंमें अदिद नाम और अजयमेरुगढ़ (अजमेरगढ़) इत्यादि । औषधिके साथ इसका बहुत कुछ प्रयोग अब अजमेरका मराठीसे बहुत कुछ सम्वन्ध रहा किया जाने लगा है। अॅरिस्टाल और अनिडि- है। (१) दिल्लीके बादशाह और मराठौके | लिन नामक औषधिमै भी इसका बहुत कुछ हिस्सा सन्धिपत्रके अनुसार १७५० ई० मै अजमेरकी सूबे रहता है। ग्लॉकोथायमोलीन नामकी औषधि दार्ग मल्हारराव होलकर और जयाजीराव कफ और आंतड़ियोंके शीतमे अति लाभदायक सीन्धियाको प्राप्त हुई। । नॅफथलीन, कपूर और अजमोदलका मिश्रण (२) जोधपुर पर चढ़ाई करने के लिये मार्गमै | 'थायमोलीन' के नामसे बिकता है। अजमेर दृष्टिसे बड़े महत्वका स्थान था। अजमोदलकी रासायनिक प्रकृति क०१० उ. १७५८ ई० में राजा विजयसिंहने अप्पाजी सींधिया १४ प्र० अथवा (क, ६ उ.३)(प्रउ ) ( क उ ३) के बहुतसे गाँव उजाड़ डाले। इसपर मराटोने (क. ३ उ.७) है। [१:३६] अजमोदल मथिल अजमेरको अपना केन्द्र बनाकर जोधपुर और इसो प्रापिल फिनील और कठिजगल (करवा- रटके आसपासके गाँवोंको लूटना शुरू कर क्रीज ) के समान है। इसमें गन्ध विशेष होती दिया। (० खं० १.४८-८) है। अजमोदल में उत्कर्व सायमीन क. १० उ. १५ (३) बादमे यह सूबा होलकरको पुरस्कार | और चायमीन क १० उ. १६ रहता है। यह अज- रूपमें मिला था। शक १७६४ में जब पठानोंके वाइन इत्यादिक तेलों में भी पाया जाता है । तेल दिल्ली पर आक्रमणका समाचार बादशाहने सुना से अजमोदल निकालने के लिये उसमें सौम्यवाहक तो सोंधियाको बादशाहने सहायतार्थ दुलाया। पलासका जलद्रव डालकर पहले उसका मिश्रण इस सहायताके बदलेमें बादशाहने अजमेरका करना चाहिये। तब इस द्रबको छानकर उद्ध. सूबा मल्हाररावको उपहार स्वरूप दे दिया । गम्नमें डालकर फिरसे छानना चाहिये । अजमेर-यह काठियावाड़का एक छोटासा अजमोदलका निपात होता है। वह छान कर गाँव है परन्तु अब इसका समावेश नवानगरमें और सुखा कर. उर्ध्वपतनकी क्रियासे शुद्ध करके हो गया है। यहाँकी जन-संख्या ५०० है । व्यवहारमै लाना चाहिये। अजमेरीगंज-आसाम प्रान्त । जिला सिल- अजमोदल मेन्थॉनसे कृत्रिम रीतिसे तय्यार हटके हवीगंजका विभाग। उ० अ० २४३३' किया जा सकता है। मेन्थॉनका हरीपुत्तिका और पू० रे० ६१०१५'। यह गाँव सुर्मा नदीके (Chloroform) पर स्तंभन करना चाहिये। तब किनारे पर बसा है। इसकी जनसंख्या ६०० है। द्विस्थम्भ-मेन्थॉन तय्यार होता है। इसमें उद- यहाँ बहुत कुछ व्यापार होता है। यहाँसे चावल, स्तयाम्लके अणु निकलने पर अजमोदल तय्यार सूत्री मछली, वाँस, चटाईयाँ इत्यादि बाहर होता है। इसके मणिभ ( Crystals) बड़े, जाती है। चपटे और स्वच्छ निर्वर्ण होते हैं। इसका रसांक अजमोदल-( थायमल Thymol ) यह ४४ श और उत्कथ्याँक २३श होता है। अजमो. अजमोदासे निकाला जाता है। इसका उपयोग दल और स्फुर-गंधकिद मिश्रण करनेसे सायमीन कीटाणुओंके नाशके लिये अत्यन्त लाभदायक है। तय्यार होता है। (Eczema) येक्जेमा. इसव तथा प्सोरी आसिस होता है। अल्कहल, इथ, हरिपुत्तिका अथवा अजमोदलकी मुगन्ध तंज और स्वाद तीक्ष्ण इत्यादि बाहरी रोगोंमें यह गुणकारी है। दाद, जैतूनका तैल (Olive oil ) में यह विद्राव्य है। गजकर्ण, खुजली इत्यादि रोगोमें इसका उपयोग परन्तु ठंडे जलमें यह नहीं गलता। यह कर्नाम्ल

  1. VI 100.

Indian Antiquary Vol. XXVI P. Page 262-164 | अधिक शक्तिमान है । किन्तु अविद्राव्य होनेसे इस ( Carlholic acid) के साथ कीटाणु नाशके लिये