पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/१०९

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अजीगढ़ ज्ञानकोश (अ)६६ अजोयोगिक है उत्कृष्ट समय । (२) अवसर्पिणी । इसका अर्थ | यह नगर बसा हुआ था। पॅलेस्टाइनके पाँच है निकृष्ट काला प्रसिद्ध नगरो में से यह भी एक था । यहाँ ड्रेगन जैनियोंका कथन है कि दूसरे काल (दुःखरूप) | ( उड़नेवाले सर्प ) की पूजा प्रचलित थी। इस- के पाँचवें हिस्से में इनका जन्म हुआ था। इनके गइल सत्ताका निरन्तर प्रतिकार करते हुए यह तीर्थङ्कर होने के पहलेके जन्मके विषयमें वह इस मकावीसके काल तक स्वतन्त्र था। सन् १२० ई० भाँति व्यौरा देते हैं. इसका नाम वैजयन्त था, पू० में अॅसिरियन ( Assyrian) लोगोंने यह और दूसरा अनुत्तर विमान था। इसकी जन्म. नगर जीत लिया। परन्तु शीघ्र ही यह स्वतन्त्र नगरी अयोध्या थी। इसके पिता जितशत्रु और हो गया और अगली शताब्दीमें यह मिथके सेमे- माता विजयसेना देवी थी। शरीर ४५० धनुष ! टिक राजासे लोहा लेता रहा। ईसा सम्बत्के और सुवर्ण के समान वर्ण था। श्रायुष्य इसकी । प्रारम्भमै यहाँ एक विशप (पादरी. पुरोहित ) ७२ लाख थी। पूर्व दीक्षा-स्थान सप्तच्छद वृक्ष | नियत किया गया किन्तु इसका विशेष फल न ( सात बाणोंसे विधा हुश्रा वृक्ष ) निर्वाण श्रासन हुआ। अशदाद में सॉगसन पद्धति पर बनी हुई खगासन ( कायोत्सर्ग)। निर्वाण स्थान-सम्भेद खान नामक इमारतका (जो धर्मशालाके समान शिखर। इसके बाद ३० लाख करोड़ सागर सं- है) अवशेष अब भी पाया जाता है। वत मैं शंभवनाथ का जन्म हुआ। (जैन इतिहास अजोयौगिक--(Azo-exm]kond ) श्राज- लेखक-शमन्ततनय)। यह बात निश्चित करने की : कल जो विदेशोसे कृत्रिम रङ्ग आते हैं, वे प्रायः है कि सब सद्धर्मालंकार में उल्लिखित अजितकेश ! इसी वर्गक हैं। इन्हें अंग्रेजीम अँजोडाई (AO- कम्बल महावीर पूर्वी-तीर्थङ्कर और अजित एक dye) कहते हैं। ये सब रङ्ग रसायन-प्रयोग ही है अथवा नहीं । ( देखिये पूर्व-तीर्थङ्कर) द्वारा तय्यार किये जाते हैं। किसोडाइन नामसे अजीगत-(१) भृगुकुलमें उत्पन्न एक ब्राह्मण ! जो रङ्ग आते हैं वे प्रायः नरङ्गी रङ्ग, विस्मार्क हो गया है। इसका शुनःधुच्छ, शुनःशेप और । वाउन, फेनिलिन बाउन, मैनचेस्टर याउन इत्यादि शुनोलाङ्गल नामके तीन पुत्र थे। बरुणको बलि भूरे या हल्के बादामी रङ्ग तथा ऑरख नम्बर देने के लिये उसने अपने द्वितीय पुत्र शुनःशेषको तीन हैं। इनमें से कुछ लाल और पीले रङ्ग भी राजा हरिश्चन्द्रके हाथ बेच दिया था ( देखिये श्राते हैं। कार्यनिक (सजीव (Organion ) रसा- शुनःशेष और हरिश्चन्द्र) (२) (अध्यगमनाय ' यन शास्त्रमें अजोयौगिकसे तात्पर्य है श, नः न श । गर्त अस्य ) सर्प। इस सूत्र (formula) में ज्ञ=(Arvi) रिल मूलक अज़ीम गञ्ज-बंगाल प्रान्तके जिला मुर्शिदा- अथवा सुरभिल मूलक । कदाचित् रिल शब्द बाद में गंगाके दक्षिण तट पर यह गाँव बसा हुआ संस्कृत भाषाके ऋधातुसे बना होगा जिसका है। दूसरे नीर पर बने हुए जियागञ्ज और अर्थ श्रोजखिन होना है। कुछ कुछ अर्थ-साम्य इसकी कुल मिलाकर जनसंख्या लगभग तेरह होनेसे कदाचित् इस शब्द का उपयोग किया गया चौदह हज़ार है। नलहटीसे इस स्थान तक होगा। नाइट्रो कम्पाउण्ड ( नत्र यौगिक ) के एक रेलवे लाइन । व्यापार यहाँ साधारण (Reduction Process) लयीकरण क्रियासे ही होता है। अज़ीम पुरसे बुरहानपुरके लिये छोटी अम्लों (Atid ) की उपस्थितस इस जातिके छोटी नावें चलती हैं। १६:३-४ ई० में यहाँ की अमिन पदार्थ तय्यार होते हैं । (Alkali) क्षारीय म्युनिसिपैल्टीकी प्राय १६००७) थी। अब तो पदार्थों में लध्वीकरण किया डाग श्रेजो-यौगिक यह बढ़ गई है। तय्यार होता है। इसके लिये जस्ता (Zinc ) अज़ोटस-ग्रीक ( यूनानी ) और रोमन ! और क्षारका उपयोग किया जाता है। द्विजो- लेखकोने पॅलेस्टाइनके अशदाद नामक प्राचीन | यौगिक ( Di-axo Compound) की अपेक्षा नगरको ही 'बाज़ोटस'का नाम दिया था। ऐति- अजो-यौगिक अधिक स्थायी रहते है। इसका हासकोका विचार है कि अाधुनिक एकर (Acre) e) मुख्य कारण यह हैं कि अँजा-यौगिककं द्वि-बन्धित नगरके अशदादमें जो टूटी फूटी इमारतें पाई (Doubly-linked) नत्र-परमाणु ( Benxve जाती हैं वे अज़ोटसकी ही हैं। एकर उत्तर Nuclues ) wma e attached) अक्षांश ३३२०' और पूर्व देशान्तर ३० पर है। श्रासक्त रहते हैं। राम जो ( Azculyo ) सीरिया और मिश्रके सैनिक मार्ग पर और भूमध्य | अँजोके रङ्गके नामसे प्रसिद्ध है उनका इसी वर्गमें सागर (Mediterranean Sen) से ३ मील पर | समावेश होता है।