पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/१११

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1 अॅज़ोयोगिक ज्ञानकोश (अ)६८ अज़ोयौगिक इसके मणिमा ( Crystalk) भूरे होते हैं और लध्धीकरणसे शासन ( श्रार्थी ) शमीन-मानल गरम जल में सरलतासे घुल जाते हैं। इससे सूत | और अनिलिन तय्यार हो जाता है। (Cotton) पर गहरा रङ्ग चढ़ाया जाता है, किन्तु मित प्राण-डॉज़ो बेनजीन ( क ६ उ ५ लन रँगनेके पहले सूत पर रङ्ग पकड़नेके लिये किसी (१) क ६ उ ४ (प्र उ)३ श्रासन्न सालेयिदीन रसायनका प्रयोग कर लेना चाहिये। ( श्रार्थी-छानिसिडिन ) और द्वि-श्रेज़ो-बेनजीनके मेथिल आरेञ्ज ( Methyl orange ) में ही । गाढ़ी-करण (Coritlensation) से तय्यार होता गोल्डारेज,मन्दारिनॉरेज अथवा शारेञ्जन०३ है। इस भाँति जो पदार्थ तय्यार होता है उसका इत्यादि आ जाते हैं। यह परा द्वि मेथिल ( Para- | द्वि-जोटाइजिड अलकोहलसे लध्वीकरण करने di-methyl ) अमीन बेनजीन अजोबेनजीन | से बेनजीन अजो-अनिसोल तय्यार होता है। तथा गन्धकिकाम्न ( Sulphuric Acid ) का | अल्युमिनियम क्लोराइडके साथ इस पदार्थ पर सिन्धु क्षार है। इसका सूत्र (क र ३)२ नं क. रासायनिक क्रिया करनेसे मित-प्राण अंजाबेनजीन उ ४ न २ क ६ उगम ३ धु है । यह नारङ्गी रङ्ग | तय्यार होता है। इसका द्रवाणाङ्क ११२ से की रवेदार वुकनी होती है। पानीमें यह घुल ११४ नक है । इसके-लघवीकरणकी क्रिया सरल जाती है। अम्लके अतिरिक्त और कुछ न होनसे । ही है और ताज्जातीय ( corresponding ) वह लाल रङ्गकी होती है। नरङ्गी रङ्ग होना आम्नकं । उद् जीव योगिक तय्यार होता है। साथ क्षार भी होना सूचित करता है । उदारान द्वि अजो-अमीन----इसका सूत्र शन: न नउश युक्त द्रव; बंगस हरिद्र के साथ लध्वीकरण १ (श= मूलक) है। इसको निम्नलिखित प्रकार क्रिया करनेसे गन्धकिक शानिलिनान और पॅग से तय्यार किया जा सकता है ( १ ) आय ( 1Pri- अमीन-द्वि-मेथिल अनिलिन पृथक पृथक हो जाते | nary) अमीनकी क्रिया द्वि-जानियम क्षार पर हैं। इससे मेथिल-पारेञ्जके विषयमें बहुन कुछ करने से, (२) असंयुक्त ( Prec ) आद्य स्पष्ट हो जावेगा। अमीन पर त्रासकी क्रिया करनसे, और (३) प्राण-अजो यौगिक---( Hydro Axo Com श्रादा अमोन पर नत्र अमीन को क्रिया करनेसे। round ) यह तय्यार करनेके लिये भानल ये मणिम जमे हुए पीतवर्णके होते हैं। अनसे क्षार तथा ठण्डे द्रवमें द्वि अज़ानियमके क्षारका इनका संयोग नहीं होता। अमीन श्रेजो-योगिक द्रव मिलाना चाहिये । यह द्विजोसंघ | मै इनको रूपान्तर शीघ्र ही होता है । गाढ़े तैलादि (डाइ. अॅज़ो-ग्रुप) उत्प्राणिल संघ ( हाइड्रा-' उपधातु ( Halogen) अनके योगसे इसका क्सिल ग्रूप) के सम्मुख आकर पॉरास्थानमें , पृथक्करण हो जाता है और बेनजिन इलाइडस् व्याप्त हो जाता है, किन्तु रुकावट होनेसे वह नत्र और अमीन अलग अलग हो जाता है। आसन-स्थान पर रह जाता है। स्वयं वह मित अन्न-निरुजदिद (Acid unhydroid ) स्थान पर कभी नहीं जाता। अमीन उज परमाणु के स्थान पर जाकर उसके (Peroxy ) पगँ प्राण-अॅजो वेनजीन अथवा स्थान पर. अनिल (अॅसिडिल)मूलक (radicles) बेनजीन अंजो भानल (क ६ उपनः क ६ उप्र३) निविष्ट होते हैं। यदि यह पानीके साथ उबाला तय्यार करनेके लिये द्वि-अंजो टाइजड़ अनिलिन जाय तो भानलमें रूपान्तर होता है । का संयोग क्षारद्वके सानलसे करना आवश्यक द्वि-शंजो अमीन बेनजीन--(क ६उ ५नन है। यह नरगी तथा लाल घर्णके मणिभ के श्राकार उक६ उ ५) यह पदार्थ पहले पहल पी० ग्रीसने का होता है। इसका द्रवणाङ्क १५४ है। निकाला था। ये पीत वर्णके मणिभ होते है। यह नासन्न-प्राण-अजा-बेनज़ीन (ऑर्थों श्राक्सि पर पिघल जाते हैं। यदि तापमान अधिक श्रेज़ो बेनजीन-क ६ उ ५.नन (१) क ६ उ ४ कर दिया जाय तो इसका स्फोट हो जाता (म उ) २) का किसी अन्य पदार्थ में रूपान्तर | है। इथर और बेनजीन अल्कहलमें सहज ही करनेसे वह उसके साहितशाल्पांश प्रमाणमें होता धुल जाते हैं। है । अतः उसको बाष्पोद्रेकसे नीचे लाना चाहिये। द्वि-अज़ो-बनीन पर-ब्रोमाइड पर अम्नवायु यह आसन्न पदार्थ वाष्पपातके साथ आता है। को क्रिया का प्रयोग करनेसे द्वि-अज़ा-मन-धेन- इस पदार्थके मणिभ नरङ्गी रङ्गके होते हैं । इसका जीन (क ६ उ. ५. न उ) तय्यार हो जाता है। द्रव ८२५ से ३ तक होता है। पतले हरिद | यह पोतवर्ण का तेलके समान रहता है। इसका अमीन के द्रव में इसका यशद चूर्ण के साथ क्वथनाङ्ग 98 होता है इसको सूंघनेसे अचेतना