पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/११७

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अटलस पर्वत ज्ञानकोष अ)१०४ अटलांटिक महासागर अटलस पर्वत-( उ०२० ३२ और प० रे० ६ कठिन भार वाहन करना पड़ता था। पौराणिक- से प्रारम्भ होता है) यह अफ्रीका महाद्वीपके ऐतिहासिक प्रोविड़ लिखता है कि वीर शिरोमणि उत्तरकी ओर ऊँचे पहाडोंकी श्रेणियाँ हैं। यह पेरूसियस जब मेडूसाका आश्चर्यजनक मस्तक योरपके पहाड़ोंके सिलसिलेमें हैं। इसके मध्यमें काट कर लौट रहा था तो अटलसके कु-व्यवहार उपजाऊ घाटियाँ हैं। इस प्रदेशके दो भाग हैं-- के कारण इसी मस्तक द्वारा उसको पत्थर का (१) टेल अटलस और (२) शाटस अटलस। बना दिया ( देखिये पेरूसियस)। अब भी यह टेलकी धादियोंमें गेहूँ, जौ, मका, जैतून, अंगूर, अफ्रीकामें पहाड़के रूपमें वर्तमान है। इसका श्रीर तथा नारंगी इत्यादि पैदा होती है। यहाँ उल्लेख हरकूलीसके बारह दुष्कर-कमौंमें से पर अल्फा नामकी घास बहुत होती है जो कागज (Golden apples) सुनहरी सेब लानेवाले कर्ममें बनानेके काममें आती है। यहाँ पालतू जानवर मिलता है। हरकूलीसके सिर पर ब्रह्माण्ड रख भी पाये जाते हैं। शाटसकी पहाड़ियों में अधिक | कर हरकूलीसके लिये यही सेव लाया था। घने जङ्गल ही जङ्गल हैं। यहाँ कार्क और (ोक) जव यह वापस श्राया तो हर कृलीससे यह ब्रह्मांड शाहरलतके लम्बे लम्बे वृक्ष होते हैं। ऊँचे भागोंकी | वापस नहीं लेता था किन्त उसने इसे कौशल चरागाहोंमें भेड़ इत्यादि पाली जाती है। इस तथा छलसे एक बार फिर दे दिया और उसके प्रदेशके आदि निवासी मूर जातिके मुसलमान समीपसे चल दिया। हैं। इसकी आवहवा भूमध्य सागरके समान कुछका विचार है कि यह एक बड़ा बुद्धिमान ही है। इस पहाड़ की चोटियाँ बहुत ऊँची | बादशाह था और यह ज्योतिष शास्त्रका प्रकाराष्ट्र नहीं हैं। अटलस पर जो देश श्रावाद हैं उन्हें | विद्वान था । अपनी विद्वत्तासे इसने अाकाशके वारबरी स्टेट्स कहते हैं । अटलसके उच्चतम सम्पूर्ण नक्षत्र इत्यादिका ज्ञान प्राप्त करना चाहा श्रेणियों पर गरमियोंमें हलकी सी बरफ था। बहुनौका मन है कि आधुनिक अटलस गिरती है। इसकी सबसे ऊँची श्रेणी १४००० | पहाड़को यह सव रूपक दिया गया है और इसीके फीटके लगभग है। इसकी श्रेणियाँ मोरको प्रदेश | श्राधार पर यह सब पौराणिक कथायें गढ़ी गई हैं। से ट्यूनिस प्रदेश तक फैली हुई हैं। यद्यपि अटलांटिक महासागर-इसका श्राकार इसके बहुतसे भागका अब तक पूरा पता नहीं | आंग्रेजी अक्षर 6 के समान है। योरप और लगा है तो भी कहीं कहीं ताँबा, लोहा और सीसे अफ्रिकाके पश्चिमीय तट और अमेरिकाके पूर्वीय की खाने मिलती है । इसका तद्देशीय प्राचीन नाम | तटके बीच में यह फैला हुआ है। इसके उत्तरमें 'इद्वारेन-ए-दरीं' था। आर्कटिक महासागर तथा दक्षिणमें अन्टार्कटिक अटलस-यूनान देशके पौराणिक इतिहासमै (दक्षिण ) महासागर । भूमध्य रेखा द्वारा इसे एक अत्यन्त बलिष्ठ राक्षस माना गया है। यह दो भागों में बर गया है:उत्तरीय अटला- यह ( Titan Tapetus) टीटान इएष्टस तथा टिक नथा दक्षिणीय अटलांटिक । इसका उत्त- (Cymene) लिमोनका पुत्र था। प्रोमेथेन्स रोय माग ही श्राधिक प्रसिद्ध है। इसके पश्चिम तथा एपिमेथेन्स इसके दो भाई थे। प्लेइडस और | में कॅरेबियन सागर, मेक्सिकोकी खाड़ी, सेन्द- हेइडस नामक इसके पुत्र थे। अत्यन्त शक्तिमान | लारेन्सकी खाड़ी, तथा हडसनकी खाड़ी है। होने के कारण यह अपनी जाति ( Titan) टिटान | इसके पूरबमै भूमध्यसागर काला सागर, उत्तर का शीघ्र ही नेता बन बैठा और उनकी सहायता समुद्र और बाल्टिक सागर इत्यादि हैं। यह से वर्ग (श्राकाश ) पर चढ़ाई कर दी। इसकी | आर्कटिक महासागरसे हडसन जल डमरूमध्य इस धृष्टतासे जुइस अत्यन्त क्रुद्ध हुश्रा। फलतः डेविस जलडमरूमध्य तथा नार्वेजियनसागर द्वारा इसको अपने मस्तक और भुजाओं पर ब्रह्माण्ड संयुक्त किया गया है। ६० अक्षांशके पास इसकी उठाकर खड़े रहनेका दण्ड दिया गया। पौराणिक चौड़ाई २००० मील, ५० श्र. पर १७५० मील दृष्टि से ( Hesperides ) हेस्पेरिडेस संसार और २५० के समीप 200 मील है। श्रागे का पश्चिमीय छोर (परमावधि) समझा जाता चलकर अफ्रीकाके केप पामस ( Come Palmas था और यहाँ पर दिन और रात्रिका समागम | और केप सेन्टरॉकके बीच में नो इसकी चौड़ाई होकर सूर्य भगवान विश्राम करते थे। अाधुनिक | केवल १६०० मील ही रह गई है। विचारसे यह अफ्रीका का उत्तर-पश्चिमका भागथा। दक्षिणीय अटलांटिक उत्तरीयसे कई बातोमें इसी स्थान पर स्थित रहकर अटलसका अपना भिन्न है। इसके दोनों ओरके तट सम हैं, समुद्र -