पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/११८

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मुख्य है। अटलांटिक महासागर ज्ञानकोष अ) १०३ अटलांटिक महासागर श्राखात, खाड़ियाँ इत्यादि नहीं के बराबर है। संयुक्तगज्यके संशोधनके लिये गये हुए 'दलेक' ज्यों ज्यों दक्षिणको ओर जाते हैं इसको चौड़ाई जहाजने भी इसका बहुत कुछ पता लगाया था। बढ़ती ही जाती है। ३५ द० अ० पर यह ३७०० तदन्तर १४ ई. में जर्मन जहाज हाइ डिविया' मील है। समुद्र तथा खाड़ियाँ आदिको छोड़ के प्रोफेसर च्यूनने तथा १६०३-४ में अनेक अन्य कर उत्तरीय भागका क्षेत्रफल लगभग १०५:००० : संशोधक मण्डलोने इसके विषयमै बहुन कुछ ज्ञान वर्गमील है। दक्षिणीय भाग १२६२७.०० वर्गप्राप्त किया। मौल है। संसारकी बहुतसी बड़ी बड़ी और । द्वीप-अन्य महासागरोंकी अपेक्षा इसमें द्वीप मुख्य नदियाँ अटलांटिक महासागर में गिरती हैं। कम हैं। मुख्य तथा प्रसिद्ध द्वीप केवल निम्न- सेन्ट लारेन्स, मिसीसिपी, ओरोनिको, अमेज़न, लिखित ही हैं—आइसलैण्ड, ब्रिटिशद्वीपसमूह, कांगो, नाइज़र, लायर, राइन और एल्य इनमेसे न्यू-फाउण्डलैण्ड, वेस्टइण्डीज़ अजोर्स कनेरी- दीपसमूह केपवर्ड असेनशनद्वीप, सेन्ट हेलना, इसकी (अन्तस्थल) तलभूमिकी रचना-इसकी ट्रिस्टेण्डा कुहा तथा बावेट द्वीप। तल भूमिके विषयमें बहुन कुछ महत्त्वपूर्ण ज्ञान गहराई तथा अन्तस्थलकी बनावट-उत्तरीय भाग प्राप्त हो चुका है। इसके ५० उत्तर अक्षांशसे की गहराई लगभग २०४७ और दक्षिणकी २:६७ ४० दक्षिण अक्षांश तकके मध्य भागमै प्रायः पुरसा है। इस महासागरका वह भाग जिसकी चट्टानोंके पठार हैं। ये प्रायः १७०० पुरसा गहराई १००० से ३००० पुरसा है उसके अन्त- thath. ms) गहरे हैं। अजसके द्वीपसमूह स्थलकी मट्टी"लोबी जेग्लिा' ज तिकी है। जहाँ के समीप यह चट्टानी भाग बहुन चौड़ा हो गया पर ३००० पुरसेसे भी अधिक गहरा है वहाँकी न्यू-फाउण्डलैण्डसे आयरलैण्डके बीचमें मट्टी प्रायः लाल तथा चिकनी है। ऊष्ण कटिबंध ५० उ०प्र के पास तो यह करीब करीब बिल्कुल में जो छिछला भाग है उसकी मट्टी पटेरोपॉड' ही चट्टान है । ५० अ० के उत्तरमें श्राइसलैण्ड | जातिकी है। इस महासागर का दक्षिणीय भाग अथवा फैरोटापूसे लेकर स्काटलैण्ड तकका 'डाइटोम' जातिकी गीलो मट्टीका बना हुआ है। चट्टानी भाग बहुत छिछला हो गया है। यह २५. इसके अतिरिक्त कहीं कहींका अन्तस्थल नीली, पुरसा गहरा रह गया है। एक प्रकारसे इसको लाल. हरी मट्टी अथवा वालकाम्य मट्टीका है। उत्तर महासागर ( आर्कटिक महासागर और बहुत कम स्थानों में ज्वालामुखीके लाबाके अथवा अटलांटिक महासागरके मध्यका एक बाँध कह मुंगेके समान मट्टी है। सकते हैं। चट्टानोंके दोनों ओर की गहराई ३००० अभीतक यह निश्चयपूर्वक नहीं कहा जा सका पुरसा तक है। कहीं कहीं तो इससे भी अधिक कि सूल अटलान्टिक किस भाँति बना होगा। यह है। बिस्केकी खाडीके केपवर्ड द्वीपके पासका तो प्रायः सभी भूस्तरशास्त्रोका मत है कि यह भाग भी अत्यन्त गहरा है। इसको मोसेले लीप भी अन्य महासागरोंके समान ही बहुत पुराना है, कहते हैं। बहामा द्वीपके समीप यह सबसे अधिक किन्तु इ० सुज, तथा एम० म्यूमेअरका मत है कि गहरा समझा जाता है। यहाँकी गहराई ४५६१ शान्त महासागर इससे भी अधिक पुराना है । यह पुरसा है और यह नेअर्स लीपके नामसे पुकारा द्वितीयावस्था युग ( मेलोजोइक एज) का मालूम जाता है। १६०४ ई. तक ४० द. अ० के दक्षि होता है। न्यूमेयग्ने तो सिद्ध किया है कि अफ्रीका गीय भागकी गहराईका ठीक ठीक पता नहीं था। और दक्षिण अमेरिकाके मध्यमें अटलांटिक महा- दक्षिण प्रदेश (Alterotic hepion) का पना सागर में एक और भी खण्ड था। एफ कॉसमट लगानेके लिये जो स्काटलैण्डनिवासी गये थे उन्हों- का मत है कि (क्रेटेशियस एज) सीनोपल युगमे ने दक्षिणीय भागके अन्तःस्थलका भी बहुत कुछ अटलांटिक अपने आधुनिक रूपमें ही था। पता लगाया था । बोवेटद्वीप और सैण्डविच द्वीप इस महासागरके जलका तापमान-इसका भी समूहके मध्यमें एक चट्टानी पठार है। इसी प्रकार ज्ञान प्राप्त करने के लिये इस महासागरको उत्तरीय १७०० मील का एक और भी पठार है। तथा दक्षिणीय, दो विभागमें कर लेने ही से महासागर अन्तस्थल संशोधन-१८७३ ७६ ई० में सुविधा होगी: तापमानकी मध्यम रेखा अफ्रीश एचएम एस चेलेजर' औरजर्मन जहाजगजेलने के तटके ५० उ० - से निकल कर ४० मील इसका बहुत कुछ संशोधन किया। तदन्तर 'ट्राचे- पश्चिम रेखांश तक जाती है। तदनन्तर यही लियर' जहाज़ (१८८०) ने इसका काम किया। उत्तर की ओर मुड़कर करेबियन सागरकी ओर