पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/१२१

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" " अहारह राज्यविभाग ज्ञानकोश (अ)१०८ अष्टाविंशी ५ नारद (उप), ६ कपिल, ७ मानव, उशनस, पर यह मुहकमे अदलते रहते थे। पेशवाओके ६ वरुण, १० काली, १२ वालिष्ठ लिंग, १२ माहे. हाथमें राज्यसूत्र आनेपर भी अट्ठारह मुहकमे थे। श्वर, १३ सांब, १४ सौर, १५. पाराशर, १६ शिव पेशवाके समयके अट्ठारह मुहकमौका ब्योरा (धर्म), १७ मारीच, १८ भागवत (मार्गब)। कई नीचे दिया जाता है । ग्रन्थों में ब्रह्माण्डोपपुराण १६वाँ उपपुराण माना १ तोपखाना-इसमें गोला, बारूद, खलासी, गया है। रखवाले, गाड़ी, बैल इत्यादि अनेक युद्ध के सामान अहारह राज्यविभाग (मुहकमे )-राज्यके : रहते थे। इसके अधिकारी ( १) सखाराम पंत २८ मुख्य विभाग होते थे। इनका वर्गीकरण पानशे (२) गणपतराव विश्वनाथ पानशे (३) तीन प्रकारसे किया गया है। मोलस्वर्थ और माधवराव कृष्ण पानशे (४) जयवन्तराव क्याण्डीके आधार पर निम्नलिखित नाम दिये जाते पानशे थे। है-(१) उष्ट्र (२) कबूतर (३) ज़नान (४) २ फीलखाना-इसमें १०० हाथी थे। अधि- जवाहिर (५) जमादार, (६) तालीम (शिक्षा) कारी-(१) भगवन्त परशजी, (२) मुनोम (७) तोप (८) भट्टी (६) दफ्तर(१०) बारूद रामचन्द्र राव । (११) दीवान (१२) नगाड़ा (१३) फील (१४) ३ उष्ट्रखाना-इसमें करीब १००० ऊँट थे फर्राश (१५) बन्दी (१६ मोदी १७) शिकार अधिकारी-गणपत राव मोरेश्वर । (१८) जिक्र। दूसरा वर्गीकरण तोप फ़ील, ४ शिलेखाना-इसका अधिकारी सदाशिव- उष्ट्र, फर्राश, शिकार, रथ, जमादार, जवाहिर, पन्त था। जगयत नगाड़ा, वारूद, वैद्य, लक्कड़, इमारत ५ फर्राशखाना-इसमें तम्बू, शामियाने, डेरे मुदवक, कुनविन, खासगत, तथा थट्टीसेसर । तथा कनात थे। राघोपंत श्रांबीवर । तीसरा इस भाँति है-खजाना, दफ्तर, जमादार, '६कोठी- इसकेअधिकारीनारोशिवरामखाजगीवालथे। फील. ज़रायत, अम्बर, फर्राश, मुदवक, नगाड़ा, । ७ लकड़खाना,, शरबत, आबकारी, शिकार, तालीम, बारूद, उष्ट्र, ८ इमारत बकरे, तोप, तराफ। इनमेंसे कुछ शब्दोंके अर्थ स्पष्ट नहीं होते। उनका अर्थ नीचे दिया जाता है। उष्ट = ऊँट, ११वहीतकोठी,, फील हाथी, मुदबक-रसोई घर, शरबत अर्क, १२ स्थखाना,, जगयत अनाजकी कोठी, थट्टी | १३ पूना कस्बा–यह भी उपरोक्त विभागों गोशाला. फर्राश खेमा तम्बू इत्यादि। मोदी= शामिल था किन्तु इसका खर्चा इन्होंमें शामिल युद्ध सम्बन्धी वस्तु विक्रेता। आबकारी-पानी। था या नहीं इसका ठीक ठीक पता नहीं। अम्बर अनाज, पान, सुगन्धि । १४ थट्टी-नारायण रामचन्द्र पूना सूबाके महाराज शिवाजीके राज्याभिषेकके अनन्तर | अधिकारमें था। राज्य व्यवस्थाके लिये जो अट्ठारह विभाग खोले १५ पोते तथा जमादारखाना-अधिकारी शामराव गये थे उनके विषयमें कृणाजी पंत केलुसकर | कृष्ण पोतनीस थे। इस भाँति उल्लेख करते हैं-(१) गजशाला १६ जिन्सखाना तथा वैद्यशाला-श्यामराव बाबू- (फीलखाना) (२) मल्लशाला (अखाड़ा) राव करमरकरके आधीन था। (३) धान्य संग्रह (अम्बार खाना), (४) भेरी १७ पुस्तकशाला---गोविन्द पंत आपटे । दुन्दुभी ( नक्कार खाना ) (५) यन्त्रशाला १८ खानग'-नारो शिवराम खासगीवाले। (तोप खाना ) (६) वैद्यशाला ( रसशाला) (इतिहास संग्रह पुस्तक १ ली, अंक १२ वाँ ७) शिबिरशाला (फर्राशखाना) (८) आखेट जुलाई १६०६) शाला (शिकार खाना) (8)पानीयशाला आब अट्टाविंशी-(अट्ठाविस्सी) १८वीं शताब्दी कारी) (१०) उष्ट्रशाला (११ ) रत्नशाला (जवा- के उत्तरार्द्ध में यह नाम तापी नदीके दक्षिण की हिर खाना ) (१२) पाकशाला(१३) शास्त्रशाला ओरके गयकवाड़के अट्ठाइस परगनोंको दिया (१४) ताम्बूलशाला (१५) रथशाला (१६) लेखन- गया था। इनको सूरत अट्ठाइसी भी कहते थे। शाला (१७) नाटकशाला और (१८) जिन्स खाना। १७८० में फतहसिंह गयकवाड़ने यह प्रदेश अंग्रजों ऐसा अनुमान किया जाता है कि समय समय के हवाले कर दिया। . " ” > " " 2 " 9 22 ९बाग १० घास " " " " " 22 "

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