पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/१२४

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अॅडिसन जोसेफ ज्ञानकोश (अ) १.११ अॅडीसनका रोग मैं स्विट्जरलैंडसे लौटते समय “विग" दलको भाषा उसके पश्चात्के लेखकोंके लिये एक आदर्श सत्ता समाप्त हो चुकी थी। इस कारण इसे नौकरी बन गई। अभी तक उसकी लेखनशैली सर्वत्र से हाथ धोना पड़ा। अब उसकी आर्थिक अवस्था माननीय है। लेखककी दृष्टि ही से इनका स्थान बहुत खराब थी, योरपमें रहकर इसने 'केटो'। इतना ऊँचा है। और "पदकके विषयको संवाद" और "इटलीके कुछ अँडीसनका रोग-जब यह रोग पूर्ण रूपसे भाग पर विचार लेख लिखे। विनोदपूर्ण तथा शरीरमें व्याप्त हो जाता है तब त्वचाके स्वाभाविक ओजस्विनी भाषामें ये लेख लिखे हुए है, पर वण में अन्तर होना, अत्यन्त निबलता, अपच, इनमें चिकित्सा बुद्धि तथा पुरातन वास्तुज्ञान नहीं अतिसार, हृद्रोग, बढ़ी हुई ग्रंथी ( Enlarged- देख पड़ता। glands) इत्यादि रोग हो जाते हैं। इस रोग १७०४ ई० से १७१० तक इसने सरकारी के जो श्रापवादात्मक रोगी होते हैं उनकी त्वचामें नौकरी की। इसकी शक्तिका परिचय जनताको अन्तर आ जाता है अथवा पिण्डकी क्रिया विगड़ इसके लेखोंसे ज्ञात हुआ। इस कारण यह सार्व-जाती है। १८५५ ई० में अडीसन नामके डाक्टर जनिक कार्यके योग्य समझा जाने लगा | राज दर- ने इस रोगका पता लगाया था। तदन्तर पेरिस बारमें और बड़े बड़े लोगों में इसका सम्मान हुश्रा के संसार-प्रसिद्ध डा० ब्राउन स्वीकर्डको इसमें करता था। १७.४ में इसने ड्यूक ऑफ मार्लबरो अन्वेषण करनेकी प्रवल उत्कंठा हुई। इसके कई को दृष्टिगत कर एक काव्य लिखा । इस काव्यका वर्ष के पश्चात् यह पता लगा कि "मिक्सडेमा' लोगोंने बहुत आदर किया। १७०६ ई० में इसे (Myxcedema ) के रोगमें थायराइडपिंडका अंडरसेक्रेटरी (उपमन्त्री) का पद प्राप्त हुआ. सत देना उपयोगी होता है। इसका पता लगते हैलिफाक्सने १७०७ ई० में इसे सेक्रटरी बनाया, ही शरीरकी सभी ऐसे नलिका-रहित पिण्डकी और १७० ई० में इसका पालामेंटमै प्रवेश हुआ। क्रियाका संशोधन तेजीसे किया जाने लगा। इस इन सब पदोंका काम इसने योग्यतासे किया। इस कार्य में योरपमें सबसे पहले कार्य प्रारम्भ हुश्रा समय इसने कुछ राजकीय लेख लिखे थे। यह ! और सव देशोंमें लोगोंने कार्य प्रारम्भ कर दिया लज्जाशील था। इसका आचरण और व्यवहार | किन्तु सबसे पहले पूर्ण सफलता लन्दनके शेफर सरल होनेसे लोगोंका इसपर विशेष प्रेम था। नामक डाक्टरको प्राप्त हुई। इसने इस पिंडके १७१० ई० में टैटलर' १७११ ई० में 'स्पेक-भीतरी कार्यका निर्णय किया और उसपर बहुत टेटर और १७१३ में 'गार्जियन' में इसने विनोद कुछ विवेचना की। तब अडीसनके निकाले पूर्ण और शिक्षाप्रद अनेक लेख लिखे । इन लेखामें हुए रोगको और भी महत्व प्राप्त हुश्रा । 'स्पेकटंटर' नामकी मासिक पत्रिकामें लिखे हुए इसने खोजकर निन्नलिखित बातोका ज्ञान प्राप्त लेख विशेष सावधानी तथा विचारसे लिखे हुए | कियाः-(१) इस पिण्डमें अत्यन्त तीव्र सत हैं और उनका ध्येय बहुत ऊँचा है। समाजकी होता है। (२) यह सत यदि किसी तरह पेट हास्यास्पद रीतियोंका, मनुष्याकी प्रकृति वैचित्र्य में चला जाय तो विष प्रयोगके समान लक्षण का तथा समाजकी हीन दशा इत्यादिका अच्छा प्रकट होते हैं। (३) अनलिन (Adrenlin) चित्र इसने खींचा है। इन लेखोंमें बड़े मीठे इससे पृथक् की जा सकती है। (४) इसको शब्दोंमें जनता पर चुटकियाँ ली है। यद्यपि इन पेटमै पहुँचानेसे शरीरकी छोटी छोटो धमनियोंका लेखोंमें गहन तत्वज्ञान विषयक बातें नहीं हैं किंतु संकुचन होने लगता है और शरीरमें रक्त गतिका समाज-सुधारकी ओर विशेष ध्यान दिया गया है। भार बढ़ता । (५) इस पिण्डके बिगड़नेसे स्पेकटेटरका सम्पादक स्टील, अडिसनका इसकी अन्तर रसोप्तत्ति कम होती जाती है। बचपनका साथी था। इन दोनोमै आगे चलकर कभी कभी यह एक झसे भी नष्ट हो जाती है। अनबन हो गई। झगड़ेका कारण यह हुआ कि जब यह पिण्ड बिगड़ जाता है तो जो सहानुभू- स्टीलने ( Peerage ) पियरेज बिलके सम्बन्ध तिक मजा-तन्तुओंकी जालीसी पेटमें रहती है। लिखते समय जनताके पक्षका साथ दिया परन्तु उसमें एक प्रकारकी जलन हुआ करती है और अडीसनने जनताके पक्षके विरुद्ध ही टीका की। इसीसे यह रोग होता है। ऐसे ही कारणसे पोप और भेंडीसनमें भी अन मृत रोगियोंके विकृत-पिण्डोंकी परीक्षा करने बन हो गई थी। अडिसनको मृत्यु १७१४ ई० की से निम्नलिखित लक्षण प्रकट होते हैं-(१) क्षय १७ जूनको हो गई। अडिसनकी सरल तथा सुबोध | क्रिया आरम्भ होनेसे इस पिण्डका भीतरी भाग 1