पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/१२५

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अॅडीसनका रोग - ज्ञानकोश (अ)११२ अँडीलेड प्रतिशत अस्लीमें पिलपिला हो जाता है। बहुधा संचारकी शिथिलता, हृदयकी क्षीणता तथा अन्य दोनों पिण्ड ही खराब होते हैं और क्षय क्रियाका : प्रकारकी शक्ति-हीनता इस रोग-परीक्षामें पर्याप्त प्रारम्भ किसी अन्य भाग पर देख पड़ता 1 सहायता देती है। इस रोगका निश्चय करनेके कभी कभी पीछेकी अस्थियाँ भी पोली हो जाती के लिये इस पिंडका श्रान्तर-रस सत पेटमें प्रविष्ट हैं और यहाँ हो से इन पिण्डोंमें भी रोग फैलता करना चाहिये। यह रोगीके रक्त सञ्चालनकी है। (२) कभी कभी क्षय क्रिया न देख पड़ने गति शीघ्रही सुधारता है परन्तु स्वस्थ मनुष्य पर. पर भी यह केवल शुष्क हो जाते हैं और संकुचित इस क्रियाका कुछ भी प्रभाव नहीं होता। होते जाते हैं। (३) पहले जलन होकर यह उपचार-स्वास्थ्य-लाभके लिये अत्यन्त उद्योग- पिण्ड शुष्क और संकुचित हो जाता है। (४) पूर्वक और सावधानीसे चिकित्सा करनी मुख्य पिंडमें कुछ भी दोष न होते हुए सहानुभूतिक | चाहिये। पौष्टिक भोजन अत्यन्त आवश्यक है मजाग्रंथिमें विकृति हो जाती है और तव रोग पूर्ण सोमल (संखिया ) और कुचला श्रादिसे मिश्रित रूपसे दवा लेता है पाचनको बढ़ाने वाली पौष्टिक औषधियोंका उप- लक्षण-रोगीको धीरे धीरे कमजोरी बढ़ती योग करना चाहिये। रोगीको खुली और स्वच्छ जाती है। निम्नलिखित नये लक्षण क्रमशः शरीर वायुमै रखना लाभकारी है। इस पिण्डके अनेक में प्रगट होते हैं। हृदय-स्पन्दन अनियमित रूप प्रकारके सत बाजार में बिकते हैं। उनके प्रयोगसे से होने लनता है। धड़कन धीमी पड़ने लगती खास्थ्यमै वृद्धि होगी। है। कभी कभी चकरा जाता है। कभी कभी श्रार्यवैद्यक शास्त्रमें इस रोगका वर्णन नहीं तो रोगी अचैतन्य अवस्थामै मर भी जाता है। है परन्तु यह रोग भारतवर्ष में भी कहीं कहीं होता रक्त-सञ्चारकी गति धीमी हो जाती है। जी है। अतएव वैद्यगणोंको इसकी ओर ध्यान देना मिचलाता है और वमन और दस्त होने लगता है। श्रावश्यक है। जब यह रोग शरीर में पूर्ण रूपसे व्याप्त हो जाता अँडीलेड--यह दक्षिण अस्ट्रेलियाकी राजधानी है तब साधारण जनताकी समझमें आने वाले है। टोरेंस नदीके मुहानेसे मील भीतर इसी नदी बाह्य लक्षण दिखाई देते हैं। वह लक्षण त्वचाका के किनारे यह शहर बसा हुआ है। यह दो भागों भूरा, पीला या काला होना है। हाथ, पैर, मुहँ, : में बँटा हुआ है। एकमें वस्ती है और दूसरेमें आदि सदैव खुले रहने वाले भागोंकी त्वचाका । औद्योगिक कारखाने हैं। इन दोनोंभागोंके बीच रंग शीव्र ही परिवर्तित होता है या स्वभावतःही में एक छोटासा जंगल है जिसमें से होकर टोरेस जो स्थान सदासे काले ही होते हैं जैसे बगल, नदी बहती है। शहरके रास्ते बहुत सुन्दर और स्तनके चारों ओरका स्थान, धोती बाँधने वाला चौड़े हैं। इमारतें और बाग देखने योग्य हैं। कमर का भाग ( कटि) आदि ऐसे स्थानों पर १९१७ ई० में जनसंख्या २२५३१७ थी। त्वचाके रंगमें शीघ्रही परिवर्तन होता है। कभी अँडीलेड विश्वविद्यालय १८७६ ई० में खुला। कभी मुखके अन्दर अवथा अन्य स्थानोंकी श्लेष्म-। इसमें शिल्प, कृषि, खनिजविद्या, वाणिज्य, आदि त्वचाका भी रंग बदल जाता है। रोगीका तापमान ! भिन्न भिन्न शास्त्रोंकी शिक्षा देनेवाले विद्यालय हैं। साधारण तापमानसे कम होता है। यह रोग शहरमै अनेक सुन्दर मूतियाँ ( Statics ) हैं । पुरुषोंको अधिक होता है। इस रोगके शिकार कर देनेवालौकी ओरसे चुना हुआ एक मेयर धनिकों की अपेक्षा निर्धन ही अधिक होते हैं।। और छ: अल्डर-मैन ( Aldermell) नगरका गरीबौको पुष्ट खाद्य पदार्थ तो नसीब होते नहीं। इंतज़ाम करते हैं। मिट्टी और लोहेके काम करने इस कारण उन्हें क्षय रोग हो जाता है। यही वाले कारखाने यहाँ बहुत हैं। शराब और साबुन उपयुक्त रोगका भी कारण है। भी बहुत तय्यार होता है। अस्ट्रेलियाका यह निक्षन-गर्भावस्था, गर्भाशयग्रन्थि, उदीत्पन्न केंद्रीय शेयरमार्केट है। रेलद्वारा मेलबोर्न अन्थि, कुछ विविक्षित हृदय रोग और ( Exoph- सिडनी, ब्रिसबेन आदि स्थानोंका संबंध है। thalmic Goitre) Me TITÄ it faena गरमीमें यहाँ बहुत गरम हवा वहती है। रंग इसी तरह बदलता है। अतएव प्रथमावस्था परन्तु समुद्र और पहाड़ पास ही में होनेके कारण में इस रोगकी ठीक ठीक पहचान होना कठिन गरमी असहनीय नहीं होती यहाँ वर्षाका है। सोमल' । सखिया) भस्म और रौप्यादि भस्म औसत २० इंच है। खानेसे भी त्वचाका रंग परिवर्तित होता है। रक्त इस नगरकी स्थापना १८३६ ई० में हुई