पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/१४३

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अतर ज्ञानकोष (अ (अ)१३० श्रतर स्पिरिट आफ वाइन ॥ औंस और सवित जल ६ तोला, कोष्ठ कुलिअन तोला इत्यादि घोटकर १ औस। इन सबको नोठ दिन एक बोतलमें | अगरबत्ती बनती है। भर कर रख देने के बाद व्यवहार में लाये। केसरकी गोली बनानेकी कृति-उत्तम केसर लाकर धूपबत्ती बनानेकी कृति नं० १-नरवला ४॥ | धूपमै सुखा कर उसे बारीक कूट लेना चाहिये। छटांक, गटाना २॥ छटांक, गुलाब कली छटांक, जब यह बुकनी हो जाये तो उसमें थोड़ा सा पत्थर फूल २१ छटांक, ऊदका फूल ' छटांक, गुलाबजल डाल कर हाथमें कोई सुगन्धित इत्र शिलारस छटांक, शहद छटांक, खस छटांक, इत्यादि लगा कर लम्बी लम्बी गोली बना लेना ब्राह्मी २॥ छुटांक, टोपचीनी २॥ छटांक, जटामासी चाहिये। ४॥, छुदांक, पानड़ी २॥ छटांक । उपरोक्त पदार्थों अष्टगन्ध-केसर, कस्तूरी, कपूर, गोरोचन, को वारीक पीस कर कपड़ छान कर शहतमें देवदार, कृष्णागरू, सफेद चन्दन और नागर- मिला कर काले रंगके लिये कोयलेकी बुकनी मोथा अष्टगन्ध कहे जाते हैं। मिला कर बांसकी सींकोंमें लगा कर सुखाना कृत्रिम कस्तूरी बनाना-एक ड्राम अम्बर तेल चाहिये। लेकर उसमें उससे चौगुना नमास्न ( Nitric कृति नं० २-मालावारी चन्दन । छटांक, Acid ) धीरे धीरे डालना चाहिये तदनन्तर काँच कृष्ण अगरू छटांक, चीड ॥ छुटांक, नखला के चम्मचसे वह मिश्रणकर उस समय तक हिलाते ५ तोला. कौड़िया ऊद ५ तोला, अम्बर तोला, रहना चाहिये जब तक यह पीला न हो जावे । चोपचीनी ३ तोला, गहुला १ तोला, ब्राह्मी १ तोला| इस क्रियासे उसमै असली कस्तूरीके समान चीनी,२॥ तोला, अगरू ५॥ तोला, कस्तूरी तोला, सुगन्ध आने लगेगी। तदनन्तर उसमें १५ ग्रेन इनको पीस छान कर नौ तोले शहदमें घोट कर कस्तूरी मिलाना चाहिये। यांसकी सीकमै लगाकर सुखा लेना चाहिये। अगरजा बनानेकी विधि-नागरमोथा, गवला, कृति नं० ३–गोंदके पानीमें बुक्का मिला कर जटामांसी, तज तथा खस का दो दो भाग पत्थर गाढ़ा बरक बनाना चाहिये और उसे सींक पर फूल, कृष्णागरू, जावित्री, लौंग, इलायची, 'चंदन, लगाकर सुखा कर चिकनी करनी चाहिये। जायफल, कपूर कचरी और बचकाएक एक भाग, उत्तम बत्तियाँ बनानी हो तो उस पर इत्र श्राधा भाग केसर और मोतिया, गुलाव तथा का हाथ फेर कर हाहमें सुखाना चाहिये। चन्दनका इत्र इ भाग लेना चाहिये। केसर, कृति नं० ४–नागरमोथा ४ तोला, कृष्णगरू, कस्तूरी तथा इत्रोंको छोड़ कर सबका ४ तोला, खस २ तोला, दालचीनी ४ तोला, तगर कपड़छान करना चाहिये। इसके बाद केसर, २ तोला, कचोरा २ तोला, बुरादा चन्दन १८ कस्तूरी पीस कर उसमें मिला देनी चाहिये । तोला, पत्थर फूल २ तोला, गह्वाला ६ तोला, तब उसमें इत्रकी पुट देनेसे अरगजा तयार हो गुलाबकली २ तोला, मैदान कड़ी : तोला, जाता है। कस्तूरी! तोला। इन सब पदार्थों में कस्तूरी शरीरमें लगानेका उत्तम उबटन-बारीक दालचीनी तथा सिलारसको छोड़ कर सबको पीस कर इलायची, नागरमोथा, जावित्री, कचोप, खस कपड़छान करके काला बनानेके लिये कोयलेकी और कपूरको पानीमें पीस कर लगानेसे शरीरमै बुकनी तथा कस्तूरी और शिलारस मिला कर उत्तम सुगन्ध आने लगती है बनाना चाहिये। इसके लिये गोलसे अच्छी दशांगकी गोलियाँ-हवाको सुगन्धित करने चौखू टी सींक होती है। क्योंकि गोल आकार के लिये सुगन्धित पदार्थकी गोलियां बनाकर उसे पर पदार्थ उतनी अच्छी तरह नहीं चिपकते | जलाते हैं। इसके बनानेकी विधि इस भाँति है। जितने चौरस पर चिपकते हैं। हाथमें कोयलेकी उत्तम चन्दन ८ भाग, गुगुल - भाग, बाल बुकनी लगाते रहना चाहिये जिससे वे पदार्थ तम्बोल २ भाग, धूप ४ भाग, कृष्णागरू - भाग, हाथमें न चिपके। देवदार २ भाग, जायफल ! भाग, कोल कुलञ्जन अगर-वत्ती बनानेकी कृति-कस्तूरी एक रत्ती, | २ भाग, कपूर : भाग, खस ३ भाग । उपरोक्त अस्बर दो रत्ती, चन्दन एक तोला, केसर १ तोला चीजे लेकर उनका कपड़छान करके घी में उनकी तगर २ तोला, ककोल ! तोला, लौंगफूल ! तोला गोली बना लेना चाहिये। गवल १ तोला, अगरू २ तोला, ऊद इ तोला, उपरोक्त कृतियोंसे तेल और सुगन्धित इत्र शिलारस २ तोला, इलायची १ तोला, जायफल | इत्यादि बनाये जाते हैं। किन्तु आधुनिक रासा- - । .