ज्ञानकोश (अ) ६ अकवर मदनगर शहर अकबरके हाथ आगया। फिर भी वह पर बैठे। अकबर धर्मके संबन्धमे बहुनही उदार अहमदनगरका सारा राज्य न ले सका। अनेक ; था, तथापि मृत्युके समय उसने इस्लाम धर्मकी राजनीतिज्ञोंने निजामशाहीका तख्त दूसरी जगह श्राक्षाओं का पालन किया। मौलवीको बुलाकर ले जाकर वहाँ कुछ दिनों तक राज्य किया । ! उससे कलमा पढ़वाया और उसके साथ साथ तत्पश्चात् अकबरने सारा खानदेश अपने अधि- , स्वयं भी पढ़ा। कारमें कर लिया। उसने बरार और खानदेश का स्वभाव-वर्णन--अकवरका शरीर मोटा और शासन-प्रबंध अपने चौथे लड़के दानियालको रंग गोरा था। उसका ललाट चोड़ा तथा चेहरा सौंपा। इसके बाद सन् १६०१ ई० में वह श्रागरे । तेजस्वी था । वह सादगीसे रहता था और प्रत्येक को लौट आया। काम नियमपूर्वक करता था। वह सदा किसी न अकबर का अन्तिम काल अत्यन्त कटके साथ किसी काममें लगा रहता था। वह बहुत कम बीता। उसके संबंधियों में से तथा मित्र मंडलीमें ' सोता था । श्रकबा बाल्यावस्था में बहुन बाना था, से बहुतसे लोग एक-एक करके मर गये, जिससे परंतु धीरे धीरे वह बहुनही मिताहारी यन गया। उसे बहुत दुःख हुआ। सलीमने भी उसे दुःख अवुलफजलका कहना है, कि वह एकही वक्त ग्याना दिया। वह विद्रोही और क्रोधी था । फैजी खाता था और उसका ध्यान पदार्थोकी ओर नहीं सलीमका शिक्षक था, परन्तु उन दोनों में बनती रहता था। अाखिर में उसने मांस खाना भी छोड़ न थी। सलीम दुष्ट प्रकृतिका मनुष्य था। वह दिया। वह बहुधा उपवास भी करता था। कभी अपनी दादीका भी अपमान करता था। इलाहा- कभी वह मद्य, अफीम और गांजंका सेवन भी बादमें सलीमने अपने बापके नियुक्त किये हुप करता था। अकबर बड़ा सहनशील था और साथ कर्मचारियोंको निकाल कर अपने कृपापात्रों को ही उसे सतत परिश्रम करनेकी श्रादत थी। कहते नियुक्त किया। इसके सिवा वह बिहारप्रान्तकी है कि वह घोड़ेपर चौबीस घण्टमै २४० मीलकी वसूलीका रुपया अपने पास रख कर वहाँ स्वतंत्र दुरी नय करता था। मदन खेल उसे बहुन अच्छे रूपसे शासन करने लगा था। इसके बाद जवअबुल- लगते थे। शिकाग्में उसे बड़ा आनन्द मिलता फ़ज़ल दक्षिणकी लड़ाईसे लौट रहा था, उसने | था। उसने अपनी बन्दुकोंक भिन्न भिन्न नाम ग्यवे ओ के राजासे उसका खून करवा डाला। इस थे और यह निश्चित कर रक्खा था किसका उप- भयंकर अपराधके लिये भी अकवरने सलोमको । योग कब करना चाहिये। वह बड़ा प्रतिभाशाली कठिन सजा न दी। इससे इतिहासवेत्ता अनुमान | था और उसे यांत्रिक कला बहुत अच्छी लगती लगाते हैं कि अकबरका हृदय अत्यन्त दुर्बल होगया थी। उसने अपनी बुद्धिसे बहुतसी युक्तियाँ निकाली था। परन्तु मालिसनका कहना है कि अकबरको थीं। वह नये प्रयोग तथा नये नये पदार्थ तैयार अन्त तक यह मालूम न हुआ कि अवुलफ़ज़लके | करना चाहता था। फिर भी यह बात नहीं है कि खूनमें सलीमका भी हाथ था। उसके सभी प्रयोग बुद्धिमत्तापूर्ण हुआ करते थे। अकबरको लड़कोसे कुछ भी सुख न मिला। ! उसने यह बात देखनक लिया कि मनुष्यका प्रथमतः उसेदो जोड़वाँ पुत्र हुए, परन्तु वे बचपन स्वभाविक धर्म कोनसा है, कुछ नन्हें-नन्हे घशाको ही में मर गये। उसका तीसरा लड़का सलीम, एक साथ बंद कर रखा श्रार ऐसी व्यवस्था चौथा दानियाल और पांचवाँ मुराद था। इनमेसे कर दी कि कोई उनसे बालन न पाये। जब दानियाल बुद्धिमान था, और हिन्दी कविताय चार वर्ष बाद बच्चे बाहर निकाले गए तो मालूम भी किया करता था। अपने दो भाइयोंकी तरह हुआ कि वे गूंगे होगय । उसने गंगाके उद्गम वह भी शराबी था।थोड़ेही दिन पहिले दक्षिणकी का पता लगाया। उसे चित्रकलाका भी शौक था। लड़ाई में जालनामें मुरादको मृत्यु हुई। सन् उसने कलाको बढ़ाया और उसका बहुत कुछ १६०५ ई० में अकबरका प्यारा बेटा दानियाल भी सुधार कराया। अकबर का गाने का भी शोक इसी कारण मर गया। इसपर अकवर पागलसा था। पहले पहल हिन्दुस्तानमें तम्बाकू उसीके होगया और बुरी तरह बीमार पड़ गया। शीघ्रही समय में श्रायी। उसने स्वयं भी उसका प्रयाग किया। १५ अक्तूबर सन् १६०५ ई० को आगरेमें अकबरकी उसने हिन्दुओका प्रसन्न रखने के लिये बहुत से मृत्यु हो गई। जिस समय वह बीमार था, उसी काम किये । हिन्दुओंकी उन प्रथाओंको जो कि समयसे राजगीके लिये झगड़े होने लगे। किन्तु उसे अच्छी नहीं ऊँची उसने बन्द कर दिया। अन्तमें अकबरने निश्चित किया कि सलीमही गद्दी उसने बालविवाह, पशु-यज्ञ आदि बन्द करा दिये
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