पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/१६५

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अत्यानिष्टोम ज्ञानकोश (अ) १५२ अत्रावली इत्यादि भी लिखना छोड़ दी। उनका सबसे । कर अन्य स्थानोंकी जनसंख्या लगभग सवा चार प्रसिद्ध ग्रंथ 'संतिक-अत्तार' है इसमें उन्होंने अामा | लाख है। यहाँ ८७ प्रतिशत हिन्दू हैं । वे तेलगू का ब्रह्मपद प्राप्त करनेके उपाय तथा लाभ भली-भाषा बोलते हैं। भाँति दर्शाये हैं। खेती-प्रायः यहाँ रेतीली जमीन ही अधिक अत्यग्निष्टोम-सप्त सोमसंस्थाओं में से एक है। किन्तु कुछ स्थानोंकी मिट्टी बड़ी उपजाऊ है। याग। अग्निष्टोमयाग होने के पश्चात् यह याग ज्वार, बाजरा और चावल यहाँको मुख्य पैदावार है। करना पड़ता है। इसमेंके सब कर्म अग्निष्टोमके इस जिलेमें कंकड़, वासाज तथा ग्रॅनाइट समानही करने पड़ते हैं। इसमें यह विशेषता है इत्यादि खनिज पदार्थ पाये जाते हैं। अबरपेट कि अग्निष्टोममें सुत्याके अन्तिम दिनको बारह साल्नुकेमे अशुद्ध सोडा ( Crude Carbonate शस्त्रोंका शंसन, और बारह स्त्रोत्रोंका गान होता of Soda ) और पोतलूर ताल्लुकेमें शाहबादी है किन्तु अत्यग्निष्टोममें इनकी संख्या तेरह होती पत्थर पाये जाते हैं। है आजकल ये सह-सोम-संस्था (याग) अलग व्यापार तथा तिजारत-चांदूरमें रूमाल तथा अलग कोई नहीं करता। अग्निष्टोमके बाद । साड़ियाँ, और असफ नगरमै ताँबे और पीतलके अन्तिम सोमसंस्था जिसे 'सर्व पृष्ट नामक' याग वर्तन बड़े उत्तम बनते हैं। ज्वार, चावल, कपास, कहते हैं वही करते हैं और उसमें अत्यनिष्टोम, गुड़, तम्बाकू, चमड़ा, हड्डी इत्यादि पदार्थ इस उक्थ्य , पोडशी, अतिरात्र, वाजपेय प्रादिका | जिलेले बाहर भेजे जाते हैं। नमक, अफीम, समावेश किया जाता है। इसका उल्लेख संहिता रेशमी तथा सूती वस्त्र, करोसिनका तेल इत्यादि ग्रंथमें नहीं मिलता। बाहरसे इस जिलेमें पाते हैं। हैदराबाद ही अत्राफ एवल्दा-यह हैदरावादके चारों व्यापारका केन्द्र हो रहा है किन्तु अन्य स्थानों में तरफके स्थानको कहते हैं। (अतराफ चारों भी बाजार लगते हैं। तरफ, बल्दा हैदरावाद)। इस जिलेमें पूर्व से पश्चिममै होकर निज़ाम यह हैदराबाद रियासतके कई छोटे छोटे गांव स्टेट रेलवे गुजरी है। हैदराबाद-गोदावरी-वैली तथा कस्बोंको मिलाकर बना है। इसका अधिकांश रेलवेकी एक शाख हैदराबादसे निकलती है। भाग पहाड़ी है। मुशी तथा मांजरा नदियाँ इस हैदराबादसे ५ सड़कें निकलती हैं--(१) शमसा- जिलेसे होकर यहती हैं। संरक्षित जंगलोंमें बादसे महबूबनगर, (२) नलगोदला, (३) बीबी चीते. लूअर, भालू तथा कभी कभी वाघ भी मिल नगरसे भोगरि (४) मेदचल, तथा (५) लिंग- जाते हैं। यहाँ पर तालाब तथा झरने बहुत हैं। पल्लीसे पंतचेरू। एक सड़क धारूरसे कोहीर आबहवा सर्द और नम है। इससे बरसातमे को जाती है। मलेरिया ज्वरका प्रकोप होता है। अक्तूबरसे शाशन-प्रणाली-इस जिलेमें ६ ताल्लुके हैं- मार्चतकका मौसम अच्छा तथा स्वास्थकर रहता (१) मेहचल, (२) जकल, (३) पतलूर, (४) है। यहाँकी वार्षिक वृष्टिकी औसत ३३ इंच है। असफनगर, (५) अंबरपेट, तथा (६)शाहबाद । इतिहास-यह जिला ११५० ई० से १३२५ ई० दो ताल्लुकोको एक में मिलाकर एक भाग बनाया तक बारगंलके काकतीय राजाओंके अधिकारमै गया है। इस विभाग पर एक ताल्लुकेदार नियुक्त था। किन्तु दखिन मुसलमानोंके हाथमें श्राने पर रहता है। प्रत्येक ताल्लुका एक तहसीलदारके यह भी उन्हींके हाथमें आ गया। ब्राह्मणीवंशके आधीन होता है। इस ज़ि लेसे अब तक भी लोकल समयमै तेलंगणके सूवेदार मुहम्मदशाहने स्वतं- बोर्ड इत्यादि स्थापित नहीं किये गये हैं । रियासत त्रताकी घोषणा कर दी और १५१२ ई० में 'सुल- हैदराबाद के अन्य बहुतेरे जिलोसे शिक्षाका प्रचार तान कुली कुतुबशाह' की पदवी धारण की। यहाँ बहुत अधिक है। १६०१ ई० में यहाँके पढ़े औरंगजेबने यह जिला कुतुबबंशीय राजाऔसे लिखोकी संख्या ३५ प्रतिशत थी। छीन कर देहलीके श्राधीन कर लिया था। तद् अत्रावली--यह गाँव संयुक्त प्रान्तके अली- न्तर १८वीं शताब्दीके उत्तरार्धमें जब हैदराबाद गढ़ जिलेके अत्रावली तहसीलमें है। १६०१ ई० रियासतकी स्थापना हुई तो इस जिलेका उसमें | में वहाँकी जनसंख्या १६५६१ थी। १८५७ ई० समावेश हो गया। के गदर (विद्रोह) के समय यह स्थान जून मास हैदराबादके पश्चिममें गोलकुण्डाका किला | से सितम्बर तक विद्रोहियोंके ही हाथमे रहा था। कुतुयवंशकी राजधानी थी। हैदराबादको छोड़ लड़ाई झगड़े के लिये यहाँके लोग प्रसिद्ध हैं।