पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/२२

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अकबरपुर ज्ञानकोश (अ) १२ अकराणि अकबरपुर गाँव-उत्तर अक्षां० २६२६ तथा था।(वा०प०अर०स०३१) राम-रावण युद्ध में इसने पूर्व देशां० ८२°३२ पर स्थित है। यह फजाबाद | भाग लिया था और हनुमानजी के हाथसे इसकी जिलेके एक ताल्लुकेका गाँव है और अबैध रुहेल- | मृत्यु हुई थी । (वा. ग० युद्ध० स० १६)। खण्ड रेलवेका स्टेशन है। जनसंख्या लगभग अकरमासे--(महाराष्ट्रीय) अकरमासे अर्थात् साढ़े सात हजार है। गाँवमै एक किलेका खंडहर | जो पूरे बारहमाशे वजनके नहीं है: याने जिनमें है, जिसमें एक मसजिद प्रेक्षणीय है। नदी पर | किसी भी बातकी कमी हो । आजकल इस शब्द एक बड़ा पुल बँधा हुआ है। अकबर के शासन का प्रयोग हर तहरकी जारज संतानके निर्देशमै कालमें मुहसिनखाँ नामक एक व्यक्ति था, उसीने : करते हैं। पहले धनी मराठे शादीके अवसर पर उपर्युक्त दोनों काम किये थे । यहाँ पर अनाज और अपने दामादको एक सुन्दर स्त्री नजर किया करते 'खालका अच्छा व्यापार चलता है (इ० ग० ५.)। थे। ऐसी स्त्रीसे उत्पन्न हुई संतति 'अकरमासे' अकबराबाद-अंतर्वेदीका एक महाल । पहले कही जाती थी। यह जाति थाना जिला तथा यह एक सूबा माना जाता था। अवकराबादकी | थोड़ी पश्चिम खानदेशमें मिलती है। दूसर सूवेदारी मल्हारराव होलकर तथा जयापासिंधिया जिलों में इनकी अलग जाति नहीं मिलती। ये के मार्फत दिल्ली के बादशाह तथा मराठौके बीचके | 'कडू' हुए तथा औरस संततिके लिये 'गाई' संशा इकरारनामोसे मराठौको मिली। (रा० खं०११-४) हुई। इन्हें शिंदले, लेकाबले श्रादि भी कहते शक १६७२ में अकबराबाद आदि प्रांतोंकी हैं। पहले इनका दर्जा बिलकुल हीन था। सूबेदारी तथा फौजदारी सिंधिया होलकरको इन्हें गुलामांकी भाँति मेहनत करनी पड़ती थी। दी गई और वालाजी बाजीरावके साथ समझौता | इनमें दो दर्जे हैं। पहला श्रसल तथा दूसरा हुआ। ( स० खं०६-२००-३००) आगे सिंधिया कमसल । ब्राह्मण श्रथवा मगठा पुरुषसे मगठा होलकरने वहाँ अपने प्रतिनिधि नियुक्त किये। स्त्रीकी होनेवाली संतति असल तथा कम दरजे १६७३ के ज्येष्टमै सिंधिया होलकरने अकबराबाद के पुरुषसे उत्पन्न सन्तति कमअसल कहलाती है। श्रादि दस महालोंके अधिकारी दामोदर महादेव | (मु० ग० थाना १३ पृ० १४२)। आजकल इनका और पुरुषोतम महादेवको नियुक्त किया । व्यवसाय दुकानदारी, खेती, बढ़ईगीरी, लोहारी (रा० खं०६-२२६-३२३)। आदि है। ये लोग मराठी बोलते हैं. और साफ-सुथर इसके बाद मराठी कागजों में इसके सम्बन्ध रहते है; पर स्वभावतः आलसी और शौकीन निम्नलिखित उल्लेख है। महाराजा चेतसिंहने होते हैं। ये लोग मदिग और मांसका सेवन फा० ब० ६ शके १७१८ को दौलतराव सिंधियाको | करते हैं। इनका पहनावा मराठी ढंगका होता भेजे पत्रमें इस प्रकार लिखा कि इन दिनोभी है। ये लोग स्मात अथवा भागवत पन्थी होते हैं सरकारकी फौज दतियासे अकबराबादको गई। और ब्राह्मण उपाध्यायको पूज्य मानते हैं । ये व्रतों ( रा खं०१०-४४२-३५६) शक १७१८ के एक और उपासनाओंका पालन करते हैं। जानिकी पत्र में लिखा है कि अकबराबादका किला राजश्री | पंचायत झगड़ोंका निर्णय करती है। साम्पत्तिक जगन्नाथरामके सुपुर्द किया गया। (रा. खं० दृष्टिसे इनकी हालत गिरी हुई है। लड़कोंको १०-४६४-३७०)। शिक्षा नहीं दी जाती। विधवा-विवाह हो सकता अकंपन-एक राजर्षि होगये हैं। इस बातका | है। मृत व्यक्तियोंको जलाते अथवा गाड़ते है। कहीं भी पता नहीं चलता कि ये किस समय तथा (अधर्म सन्तति देखिये) किस कुलमें उत्पन्न हुए। इन्हें हरि नामक परम अकराणि (किला )-यम्बई इलाका। पश्चिम पराक्रमी एकही पुत्र था। एक युद्ध में उसकी मृत्यु खानदेश तलोदे ताल्लुकेके अकगरिए परगनेमें एक होगी यह जानकर इन्हें बहुत दुःख हुआ और ये किला है। यह मजबूत है, परन्तु दीवारे श्रादि शोक करने लगे। इतनेमें वहाँ नारद ऋषि प्रगट | गिर गई है। (बंग १२० गवर्नमेन्ट लिस्ट श्राफ हुए और उन्होंने मृत्यु अनिवार्य हैं' के विषय पर सिविल फोर्ट १८६२)। एक कथा सुनाकर इसका समाधान किया। अकराणि (परगना)- यह परगना पश्चिम खान- (भार० द्रोण श्र०५२-५४)। देशमे मध्य ताप्ती (तापी) और नर्मदा नदियोंके २-रावणदूत । एक राक्षस। जनस्थानमें राम- यीचमें सतपुरा पर्वतका पठार प्रदेश है। इसके चन्द्रने खरादि राक्षसोंका वध किया यह-वृतान्त उत्तरमें नर्मदा नदी, पूर्वमें बड़वानी राज्य अरि रावणको पहले इसीने और पीछे सूर्पनखाने सुनाया | तुग्णमाल. दक्षिणमें सुलतानपुर और कुकुरमुण्ड