पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/२२२

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अद्वैतानंद ज्ञानकोप (अ) १६६ अधर्मसंतति दीक्षित; नैष्कर्म्यसिद्धि-सुरेश्वर; उपदेशसाहस्री- मुनीश्वर और दूसरे कटिबंधादिक कविता करने शंकराचार्य, अद्वतकामधेनु-उमामहेश्वर, अद्वैत- : वाले अमृतराय । इनका जन्म किस शकमें हुआ कालामृत-नारायण पण्डित; अद्वतकौस्तुभ-भ- तथा मृत्युके समय इनकी क्या आयु थी इसका होजी दीक्षितः अद्वैतचन्द्रिका-अनन्तभट्ट, अद्वत पक्का पता नहीं है परन्तु अर्वाचीन कोशकारों का चिंताकौस्तुभ-महादेवानंद अहतचिंतामणी- कथन है कि शक १६८७ में पार्थिव नाम संवत्सरमें रङ्गनाथ, अद्व तज्ञानसर्वख-मुकुन्दमुनि, अद्वैत- ये काशीमै समाधिस्थ हुए। अमृतरायके गुरु तत्त्वदीप-नित्यानन्द, अद्वततरंगिणी-रामेश्वर- अम्बिका सरखती थे यह उन्हींके 'अविनाश शास्त्री; ग्रह तदर्पण-भुजराम, अह तदीपिका- सन्देहहरण' नामक ग्रंथले स्पष्ट है। एक दन्त विद्यारण्य अतिदीपिका-नृसिंहाश्रम; अद्वैतनिः कथा यह भी है कि मध्वमुनिने अपने गुरु र्णय-अप्पथ्यादीक्षित; अद्ध तनिर्णयसंग्रह-तीर्थ- अवानन्दसे राय महोदयको उपदेश दिलवाया। स्वामिन् ; अव तपञ्चपदी-शङ्कराचार्य; अतिपरि- [सं० क० का०सू श्र० का०] शिष्ट-केशव अवतप्रकाश-रामानन्दतीर्थ; अति अधर्मसंततिहरएक देशमें अधर्मयुक्त बोधदीपिका-मृसिंहभट्ट, अद्ध तब्रह्मविद्यापद्धति- आचरणके कारण संतति अवश्य उत्पन्न होती है। नन्दीश्वराचार्य गोपालश्रम, अद्वैत ब्रह्मसिद्धी- 'ऐसी सन्ततिसे अनेक तरहके विकट समाजिक सदानन्द काश्मिर; अंतिभूषण ( ? ) अद्वतमक- प्रश्न सन्मुख उपस्थित होते हैं। यह कहिये कि रंद-लक्ष्मीधर कविः अद्ध तमङ्गल-मधुसूदनवाच- वेश्यागमन अथवा शरीर-विक्रयसे ही ऐसी संतति स्पति; अद्ध तमंजरी-मधुसूदनवाचस्पति, अद्वैत- पैदा हो, सो नहीं है, और मार्गोंसे भो ऐसी मतसार-मधुसूदनवाचस्पति, श्रद्व तमुक्तासार- सन्तति पैदा हो सकती है। कमसे कम अधर्म- लोकनाथ, अद्वैतमुखर-रंगराज, अतरत्न-रंग- संतति की संख्या बढ़ाने के कारण वेश्यागमन से राज: अद्धतरत्नकोष-अखण्डानन्द, श्रद्धतरत्न अलग है । इसदेशमें अधर्म संततिके अनेक कारण कोष-नृसिंहाश्रम; अद्ध तरत्नरक्षण-मधुसूदनुसर- हैं। देव दासी प्रथाके कारण मन्दिरौको अर्पित स्वती: अद्वैतस्य मंजरी-नल्ला पण्डित श्रद्ध तर- दासियों की संतति, विधवा स्त्रियों के साथ अनीति हस्य-रामानन्दतीथ; अद्ध तरीति-नृसिंह पद्माश्र- मय आचरण करके उत्पन्न होनेवाली संतति-यही मिन् श्रद्ध तबाद-नृसिंहाश्रम; अतिविद्याविचार-दो प्रधान अधर्म सन्तति हैं। इस देशमें कुमारि- वेंकटाचार्य; अद्वैतविद्याविजय-महाचार्य; अति- योसे होने वाली संतति नहीं के बराबर हैं । परन्तु विवेक-आज्ञाधरभट्ट अतिविवेक-रामकृष्ण; अ इसका यह अर्थ नहीं है कि इसका सर्वथा अभाव द्वत-वैदिकसिद्धांतसंग्रह-नरसिंह; श्रद्वतशास्त्र. है । पंढरपूरके 'अनाथबालकाश्रम' की रिपोर्ट सारोद्धार-रंगोजीभट्टः, अद्व तसिद्धांतविवेचन- मैं कुमारियोंसे उत्पन्न संततिके आँकड़ोंका उल्लेख ब्रह्मानंद सरस्वती; अतिसिद्धांत विवेचन-विद्या रहता है। पश्चात्य देशों में 'अधर्म सन्तति' की बाढ़ नंद सरस्वती, अद्ध तसिद्धि मधुसूदन सरखती; बहुधा कुमारियों के कारण ही होती है । अद्वै तसिद्धि-सहजानंद तीर्थ, अव तसिद्धिसंडन अधर्म संततिके भिन्न भिन्न प्रमाण, समान वनमालिन् ; अतिसूत्रभाष्य-शङ्कराचार्य; अहता- : आचार विधियों से निमंत्रित समाजोंकी नैतिक नन्द-ब्रह्मानन्द: अद्वैतानन्दलहरी-वैकट शास्त्री; : कक्षा का कुछ कुछ दिग्दर्शन करते हैं। फिर भी अद्वैतानन्दसागर-रघूत्तमतीर्थः अद्ध तानुभूति- जब हम भिन्न भिन्न राष्ट्रोंकी तुलना करेंगे तो रघूत्तमतीर्थ अद्वैतामृत-जगन्नाथसरस्वती; अधर्म सन्तति के प्रमाण से उन उन राष्ट्रोंको नैतिक अद्वैतेश्वरवाद-रघुनाथ; इ.] सभ्यताका निर्णय नहीं किया जा सकेगा। मान अद्वैतानंद-इस नामके एक प्रसिद्ध महापुरुष लीजिये किसी देशकी अधर्म संतति का प्रमाण काशी क्षेत्रमै सन्यास ग्रहण करनेपर रहते थे। ये बहुत अधिक हो तो उसका कारण केवल यही नहीं मूलतः महाराष्ट्र ब्राह्मण थे और प्रचंड विद्वान थे। हो सकता कि उस देशकी नैतिक अवस्थोखराब हो बहुतसे शिष्य इनके पास विधाध्यायन के लिये गई है बल्कि यह हो सकता है कि उक्तदेश की श्राचार आते थे इसलिये काशीमें इन्हें 'गुरुस्वामी' कहते विधि ( Aforal Codes) अथवा अार्थिक अवस्था थे। शांकर वेदान्तविषयपर इनका ब्रह्मविद्याभरण' युवावस्था में विवाह के लिये पोषक न हो। अथवा नामका एक अद्वितीय ग्रंथ हैं। सदानन्दकृत यह भी हो सकता है कि बच्चा पैदा होनेपर स्त्री- 'वेदान्त सार' नामका जो ग्रंथ है उसीपर उनकी पुरुष के विवाह करनेसे संतति औरस मानली संस्कृत टीका है। इनके दो शिष्य थे एक मध्न जाती हो और कानूनन कोई अड़चन न पड़ती हो