पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/२३२

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अनंकापल्ली गाँव ज्ञानकोश (अ) २०६ अनक्ज़िमॅण्डर देहात हैं। १६०३-४ई० में कुल आमदनी१२२०००) अच्छा सत्कार हुआ। वह ई० पू० ४२८ में पर थी। तहसीलके उत्तरका प्रदेश उपजाऊ है। लोक सिधारा । चावल और ईख पैदा होती है। इस तहसील में अनक्ज़गोरसने तत्वज्ञानके इतिहासमै तात्यिक केवल जमीदारियाँ हैं । गोडेघराना. कासोमकोट, विचारोंका बिल्कुल एक भिन्न ही मार्ग निकाल विजयानगरम और चिरयुरपल्ली जमीदारियाँ दिया है। दूसरी बात महत्वकी यह है कि यूनान मिलाकर एक तहसील बनी है। कासीमकोट के सब उपनिवेशोसे खसक कर अथेन्स ही तात्विक जमीदारी पहले चिकेकोल सरकारको फौजदारीका चर्चाओका मुख्य केन्द्र उस समय होरहा था। स्थान था । सं० १७६४ से १८०२ ई. तक कासीम उसके परमाणुविषयक विचारोंके कारण ही कोट जिलेका मुख्य ठिकाना था। १६०२ ई० के जगत्घटनाको उत्पत्ति पर भो ( यन्त्र शास्त्र विष- बाद इसका विजयनगरमें समावेश होगया यक तत्वों के विचार पद्धति पर) परमाणुवादके (इंग ५) प्रसिद्ध सिद्धान्तकी छाप लग गई। उसके बुद्धि अनकापल्ली गाँव-यह अनकापल्ली तहसील प्रामाण्यवादका ओगे चलकर अरस्तु (Aris- का मुख्य ठिकाना है। यह उत्तर अक्षांश १७°४२ totle ) ने बहुत कुछ अनुकरण किया। वही मत और पू० रे० ८३०२ में स्थित है। यह गाँव शारदा अनेक टीकाकारोंने भी भविष्यमें चालू रक्खा । नदीके तीर पर विजगापट्टण (विशाखपट्टनम् ) [इसके ज्योतिष संबंधी ज्ञान, प्राणीशास्त्र, भौतिक- गाँवके पश्चिममें २० मीलपर बसा हुआ है। यह : शास्त्र तथा परमाणुवादके विचारों के लिये विज्ञान इति भाग उपजाऊ है । इसलिये यहाँ से अनाज ओर हास' देखिये। गुड़ बाहरी प्रान्तोंमें भेजा जाता है। यहाँकी जन संख्या ( १९२१ ) २०३६० थी। यहाँ १८७८ ई० में प्रसिद्ध तत्ववेत्ता होगया है। इसका जन्म ई० पू० अनक्जिमेण्डर-यूनान में यह दूसरा म्युनिसीपैल्टी स्थापित हुई । १६०३-४ ई० में । ६१० में होगया था। इसके पंथको 'अयोनियन आय २५०००) और व्यय २१०००) था। यह गाँव तत्त्वज्ञान पंथ' कहते हैं। कुछका तो कथन है कि सदर्नमराठा रेल्वेके वाल्टेर लाइनपर एक स्टेशन यह प्रसिद्ध तत्ववेत्ता थेलिसका मित्र था, किन्तु है। पानी लगभग ३४-६८" बरसता है । (अर्नोल्ड कुछका मत है कि यह उसका शिष्य रहा होगा। इण्डियन गाइड, इं० गं ५) किन्तु इसके मत तथा विचारोंको देखते हुए अनक्ज़गोरस-यह आयोनियन तत्वज्ञान इसको थेलिसका शिष्य कहना उचित नहीं का बड़ा अच्छा वेत्ता होगया है। इसका जन्म जान पड़ता। ई० पू० ५०० में एशिया माइनरके प्रसिद्ध नगर थेलिसके समान इसने भी विविध चमत्कारों क्लेज़ोमनी में हुआ था। के सहारे एक अपरिमित तत्व' को खोज निकालने लगभग ई० पू० ४६४ में यह क्लेजोमॅनी छोड़ का प्रयत्न किया, किन्तु इसके अन्य सिद्धान्त कर यूनानके प्रसिद्ध नगर अथेन्समें चला आया | थेलिसके मतसे बिल्कुल भिन्न देख पड़ते हैं। था। यह ज्योतिष तथा गणित-शास्त्रको अच्छा ! थेलिसने 'जल' को एक मूलतत्व विद्वान था। दूसरे यह साधुवृत्तिका पुरुष था माना है किन्तु इसने जल, पृथ्वी, अग्नि इत्यादि और अपने उच्च विचारोंके लिये प्रसिद्ध था। किसीको मूल नहीं माना। उसका मत है कि फलतः अथेन्समें इसका अच्छा सत्कार हुआ। केवल 'अनन्त' ही एक सर्वव्यापी तत्व है। इस अथेन्सके प्रसिद्ध पुरुष पेरिक्लोज़ के साथ ही तत्वको वह 'अनन्त' अथवा 'अगणित' (Infinite) इसका अधिक समय बीतता था । प्रसिद्ध नाटक- कहता था। उसका कथन है कि जल, पृथ्वी, लेखक युरीपीडिज़का यह मुख्य शिष्य था ! तत्व- ! अग्नि इत्यादि नश्वर होनेके कारण मूलतत्व नहीं शान तथा शास्त्रीय-निदर्शनकी रुचि अथेन्स कहे जा सकते। वह अपने 'अनन्त' के विषयमें निवासियों में इसी ने पैदा की। पेलोपोनिशियन कहता है कि वह "अविनाशी' 'अगम्य', तथा युद्धके पूर्व जब परीक्लोज़का प्रभुत्व जाता रहा तो स्वयम्भू है। उसमें चालक अथवा प्रेरणाशक्ति इसपर अधर्माचरणका दोषारोपण करके अभियोग (Directive Power ) भी विद्यमान है। जिस चलाया गया। किन्तु पेरिक्लोज़के प्रसिद्ध व्याख्यान प्रकार पतवार द्वारा एक जहाज़ घुमाया जाता है । से यह निर्दोष ठहराया गया। किन्तु इसे अँधेन्स उसो प्रकार उस अनन्तरूपी पतवारसे यह संसार छोड़कर भागना पड़ा। तब यह अयोनिया | धूमा करता । विडे–डका तो कथन है कि आकर लमसकसमें बस गया। यहाँ भी इसका योरप खएडमें जो ईश्वरकी कल्पनाका . विकास धान अर्थ २५