पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/२४४

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अनन्तपुर जिला गुत्ती ६६ ६५ १११५१० ज्ञानकोश (अ) २२१ अनन्तपूर ताल्लुका १८७६ ई० के अकालने यहाँ के लोगोको बहुत काम शुरू किया था उसमै १,३७३४७ अर्थात् १८ कष्ट दिये थे। निम्नलिखित कोष्ट कसे कुल जिलेको फीसदी लोग काम करते थे। स्थिती संक्षिप्तमै अवगत हो जायगो- विजयनगरके राज्यके समय कर तथा लगान ( १९२५ के जनसंख्याके आधार पर) वसूल की क्या पद्धति थी, यह ज्ञात नहीं है। संख्या प्रतिवर्गमीलजन ऐसा सुना जाता है कि श्राधी आमदनी राजा को दो जाती थी। बीजापूरके वादशाहने कामिल ताल्लुका क्षेत्रफल गांव देहात जनसंख्या ! संख्याकाप्रमाण (कमाल) कर लगाने का प्रयत्न किया था। १३४३५५ किसानोंसे कर पटेल, पालीगार या जमीदार ताडपत्री ६४१ १७३ वसूल करते थे। ऐसा मालूम होता है कि औरङ्ग- अनंतपुर १२५ जेब बादशाहने वीजापूरके बादशाहको ही पद्धति १०६ १११८२५ १२१ कायम रखी थी। मयठोंके समय में क्या पद्धति कल्याणदुE१७ ७३ ०१६ पेनुकौड ६७ थी इसको जाननेका कोई मार्ग नहीं हैं। हैदरने जो २ ६४ नियत लगानको जारी किया था उसे टीपूने बढ़ाने धर्मवरम ७३२१ ६२ : ८६६८ १२१ मदकशीर ४४३. १ का यथासाध्य प्रयत्न किया परन्तु सब व्यर्थ SYYSY! १६३ हुआ। १७४२ ई० में जब यह भाग निज़ामको हिन्दुपुर ४२८ | १ ७८ २०८४६० २३५ मिला तो फिर अकाल पड़ा, इस कारणसे कर कम कादिरी ११६ ११३७ १५०३५३ १२९ वसूल होने लगा। कुल ६७२२१४८३६६५५३१७ यह प्रदेश कम्पनी के अधिकारमै अानेपर इस जिलेके अनन्तपूरगाँवमे ही म्युनिसीपैलटी मेजर ( सर थामस ) मनरो साहबने रय्यतवारी है। इस जिलेमें जमींदारी नहीं परन्तु प्रतिशत पद्धति शुरू की। १८०२ ई० और १८०६ ई० में १६ एकड़ जमीन इनाम है। जमीन बहुत हलके , व्यवस्थित पैमाइश होने पर लगान लगाया गया। दर्जे की है। यहाँ की मुख्य पैदावर, ज्वार, कोरा १८२० ई० में मनरोंका लगाया लगान कम किया पपीता इत्यादि है। गाय इत्यादि कम हैं परन्तु गया। १८६०-६७ ई० में फिर जांच होकर लगान भेड़ बहुत पैदा होती हैं। प्रत्येक भेंडसे प्रति वर्ष की नई पद्धति शुरू की है। चार पौंड ऊन निकलता है। निम्नलिखित अंक हजार के । इस जिलेमें जंगल ५१६ वर्गमील है। जंगल १८६०-६१ १६००-१ मैं सागवान और बांसके जंगल है। खनिज पदार्थ यहांकी इमारते केवल पत्थरों जमीनमहसूल १००६ १३३६ की है। वज्रकरूर की हीरेकी खाने अाजकल बन्द १६२४ २१७४ २१५० पड़ी हैं। करूंद कभी कभी देशी पद्धतिसे निकाला जाता अनन्तपूर विभागः-मद्रास प्रान्तके अनंतपूर उद्योग और धन्धा-यहां का मुख्य धन्धा सूती जिलेका एक विभाग! इसमें अनन्तपूर और और रेशमी कपड़ावुनना है । यहाँसे कपास. गुड़, कल्याणके दुगका समावेश होता है। तरवड़ की छाल इत्यादि बाहर भेजी जाती हैं। अनन्तपूर ताल्लुका-मद्रासके अनन्तपूर जिले मदास और सदर्न मरहठा रेलवे यहांसे होकर का ताल्लुका । यह उ० अ० १४२४ से १४५५' गुजरती हैं। और पू० रे० ७७१७' से ७७ में स्थित है। अकाल-वर्षा न होनेके कारण इस जिले में इसका क्षेत्रफल ६२५ वर्ग मील है। यहां की जन- अकाल अनेक बार पड़े हैं। १७.२-३ ई० में संख्या भाग एक लाख है। इसमें १६ देहात हैं। यहाँ अकाल पड़ा था। अनेक लेखोंसे इसका १६०३-४ ई० में कुल आय १६००००) थी। यहाँ सबूत मिलता है । १८०३, १-२४, में कुछ थोड़ा की जमीन ऊँची नीची, पथरीली तथा कम उप- अकाल पड़ा था। १८३२-३३ ई० का अकाल । जाऊ है। इस भागमें जङ्गल न होनेके कारण सबसे भयानक था। १८३८, १८४४, १८४५, प्रदेश ऊसर देख पड़ता है। उत्तरको जमीन १८५४, १८६५-६६, १८७६,१८७८, १८८४, १८४१, कुछ काली है। उत्तर और पूर्व की ओर अनुक्रम १८६६ इत्यादि सालों में भी अकाल पड़ा था। से पेन्नार, और चित्रावती नदियाँ हैं। परन्तु वे उनमें से १८७६-७८ के अकालके निवारणार्थ एक खेतीके कामकी नहीं है। कुल 'श्राय'