पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/२४७

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अनवल अनल ज्ञानकोष (अ)२२४ कोयमवटूर, मदुरा, मलावार जिले और कोचीन तिलाजली दे वह अहमदाबाद चला आया। यहाँ राज्यके दृश्य बहुत ही सुन्दर देख पड़ते हैं। निजामुलमुल्क के पिता गाजीउद्दीनने उसे सूरत आकाश निर्मल होनेपर समुद्र भी देख पड़ता है। । नगरमें एक जिम्मेदारी की जगह दी गाज़ी उहीन कहवा वोनेके कुछ समय पहले यहाँ शिकार पाया को मृत्युके बाद जब उसका लड़का दक्षिण प्रान्त जाता था। नैऋत्य दिशामे वरसातके शुरू होते | का सूबेदार हुआ तो अनवरुद्दीन राजमहेन्द्री ही हाथियों के मुंड दिखाई पड़ते हैं। ( ई० ग०५) | तथा कर्नाटक की देखरेखको नियत किया गया। अनरण्य -सूर्यवंशी इक्ष्वाकु-कुलोत्पन्न पुरू- | इस प्रदेश की देख रेख वह १७२५-४१ ई तक कुत्सके लड़के सदस्युके यह द्वितीय पुत्र थे। उनके | करता रहा । तदनन्तर इसी प्रदेश का वह सूबेदार हर्यश्व और वृहदश्व नाम के दो पुत्र थे। ये अयोध्या बनाया गया। तदनन्तर निज़ामुलमुल्कके पोते में राज्य करते थे। इनको रावणने परास्त किया | मुजपकर जंगके साथ लड़ाई में मारा गया। कहा था। रणमें मरते समय अनरण्यने उसे श्राप दिया जाता है कि उस समय उसको अवस्था १०७ वर्ष था कि मेरा ही वशंज तेरे सब परिवारका नाश की थी। उसका बड़ा लड़का तो पकड़ गया किन्तु करेगा। (वा० रामायण, उत्तर० स० १९) दूसरा लड़का मुहम्मद अली त्रिचनापली भाग (२) सूर्यवंशी राजा ऋतुपर्णका पौत्र। इनकी गया । अवदी नामक कविने 'अनवर नामा' नामक वंशावली इस भाँति मिलती है-ऋतुपर्ण; सर्वकर्मा, उसका जीवन चरित्र लिखा है। उसमें अनवरकी अनरण्य विघ्न। बहुत प्रशंसा की है। उसमें मेजर लॉरेन्सके पराक्रम, (३) जिन प्राचीन राजाोने कार्तिक मासमें तथा अंग्रेजों और फ्रान्सीसी युद्धों का ठीक ठोक मांस निषेध किया है, उनमें से एक । महाभारत हाल दिया है। हैदराबाद के नवाब नासिर जंगने १३ ११५,५५६१.) अनवरुद्दीनके पुत्र मुहम्मद अलीको कर्नाटिक (४) सूर्योदय तथा सूर्यास्तके समय स्मरणीय | का सुवेदार बनाया। (वोल, ओरियन्टल, वायोग्रा- एक प्राचीन राजा (१३१६६७३८४) फिकल डिक्शननरी, इतिहास संग्रह घु०३० पृ०६७) अनल-(१) आग्नेय दिशाका दिग्पाल वसु।। अनवरी-अहद उद्दीन अली अथवा अनवरो इसके चार पुत्र थे। उनके नाम कुमार, शाख, एक प्रसिद्ध ईरानी कवि हो गया है। इसका विशाख, तथा नागमेय थे (महाभारत आदि. ६७) | जन्म बारहवीं शताब्दीके प्रारम्भमैं खुरासान (२) विभीषणके चार पुत्रथे। उनमें से यह नगरमें हुआ था। सुलतान सजीर इससे अत्यन्त यह भी एक राक्षस था। प्रसन्न रहता था, और हरेक चढ़ाई पर इसे साथ (३) गरुड़ का पुत्र (महा० उद्यो०१७) ले जाता था । सुलतानके हजारस्पपर घेरा डालने (४) यम सभामें एक राजा (महा सभा०) के समय अनवरी तथा उसके प्रतिपक्षी रशीदीमें अनला-(१) सुरभिकन्या रोहिणीकी द्वितीय काव्यविषयक विवाद आरम्भ होगया था। रशीदी पुत्री । इसकी कन्या शुकी थी ( महा० कर्ण) दुसरे किले में था। कहा जाता है कि इनकी कवितायें (२) माल्यवान नामक राम सुन्दरी बाणोंद्वारा इधरसे उधर भेजी जाती थी। बारहवीं नामक स्त्रीसे उत्पन्न कन्या। विश्ववसू की पत्नि । । शताब्दीके अन्तमै इसकी मृत्यु बल्खमें होगई । अनवरुदिन-कर्नाटिक का एक नवाब । इसकी कविताओं तथा वीणागीतों का संग्रह इसने प्रारम्भमैं सिपाहीके पदसे प्रारम्भ कर दीवान अनवरी' नामक ग्रंथमे मिलता है। अपने भाग्यकी परीक्षा की थी। पहले निज़ाम ! 'खुरासानके आंसू" इसका सबसे बड़ा ग्रंथ है । ने इसे कर्नाटिक के बालराजका दीवान नियत | प्रसिद्ध कवि सादीने भी कुछ कवितायें अपनी किया था। कुछ कालके बाद बालराजाकी हत्या 'गुलिस्तां' में इसके अधार पर लिखी है। अपने कर डाली गयी। इस समय इसने विश्वासघात | समय का यह एक प्रख्यात ज्योतिषि भी करके गद्दी स्वतः दख़ल कर ली। माना जाता था। पहले पहल यह देहलीके दरबार में भी काम कर अनवल-यह बोजापुर जिलेमें बहने वालो चुका था। कुछही कालके बाद वह कोरा जाहा- कलादगी नदीके आग्नेय तट पर पाँचमील दूरोपर नाबाद का सूबेदार नियत किया गया, किन्तु एक छोटा सा गाँव है । यहाँको जनसंख्या लगभग दुर्व्यवहार तथा अयोग्यताके कारण वह कर वसूल १००० है। गाँवमें अनन्त, हनुमान, और रामके न कर सका और बादशाहके पास नियत समय मन्दिर हैं । यहाँके अनन्तके मन्दिरमै शेषनागपर पर रुपया न भेज सका । अतः इस नौकरी को शयन करते हुए एक विष्णु भगवान की मूर्ति