पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/२५९

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अनूपवायु ज्ञानकोश (अ) २३६ अनुवाई घोरपड़े तैयार होता रहता है। इसी कारण बहुधा दुर्घ १७४५ ई० में इसके पति की क्षय रोगसे मृत्यु टनाएँ होती रहती हैं। शुद्ध वायुका अंश अधिक हो गयी। फिर भी नाना साहब पेशवाकी कृपा होने पर जीवन-क्रियाम हानि नहीं होती। बिजली दृष्टिले इस कुलकी बड़ी प्रतिष्ठा एवं उन्नति हुई। की चिनगारी छोड़ने अथवा नलीमें से ले जानेसे बालाजी विश्वनाथकी कन्या होने के कारण शाहू पृथक्मवनकी क्रिया होती है। कर्बन पात्रके वायु महाराज भी उसका बहुत आदर करते थे। पर जमा होता है, और इसके दुगने प्रमाणमें उज्ज. और आजरेका पूरा महाल उसे भेंटमै दे दिया था। वायु अलग होता है। इस क्रिया वेजीन, इथेन १७५३ ई० में करवीरके संभाजी की प्रसन्नता प्राप्त इत्यादि अनेक उत्कर्बन भी अल्पांशमें तयारहोते हैं। करनेके उद्देश्यसे पेशवा कर्नाटककी लड़ाई में कर- इसकी पूर्ण ज्वलन-क्रियामें दुगुने प्रमाण में वीर गये । उस मौकेसे अनूबाईने भी लाभ उठाया प्राण-वायुकी आवश्यकता होती है। दो अंश | और वह भी पेशवाके साथ उस लड़ाई में गयी एवं अनूप-वायु और चार अंश प्राण वायुके मिश्रणको आजरे महालके ३१ गांवोंकी नयी सनद शंभू छत्र बिजलीकी चिनगारियोंसे उड़ाने पर दो अंश पतिसे कापशीकराको दिलवायी। इसी समय पेशवा कर्वन-द्वि-प्राणिद ( Carbon-Di-oxide ) और को भी संभाजीसे भीमगढ़,पारगढ़ और बल्लभगढ़ चार अंश जलकी वाष्प तय्यार होती है। अतः ये तीन किले मिले थे। सन् १७५६ ई० को सावनूर यह सिद्ध है कि अनूपमें ४ अंश उज्ज्ञ और १२ अंश की चढ़ाई में भी अनूबाई उपस्थित रही । इस युद्ध कानका संयोग पाया जाता है। में सोधाके राजाकी ओरसे मर्दनगढ़ का किला एवं यह अत्यन्त स्थिर पदार्थ है। क्रोमान और भी कई गांव मिले जिसके फल स्वरूप सब (Chromic Acid) नत्रान ( Nitric Acid ) मिलाकर धारवारका विस्तृत इलाका बना जो अथवा गंधकारन (Sulphuric Acid ) के मिश्रण पेशवाकी श्रोरसे अनूबाईको मिला। का इस पर कुछ रसायनिक प्रभाव नहीं होता। अनूचाईका पुत्र नारायण राव अब बालिग हो किन्तु हरल (Chlorine ) और ब्रम (Bromine) गया था फिर भी उसे अनुभवशून्य समझ कर के प्रयोगका प्रभाव इस पर होता है। अन्धेरेमें वह स्वतंत्र रहने देना नहीं चाहती थी। माता हरलका प्रभाव अनूप पर नहीं होता ।। परन्तु और पुत्र में कलहका यही मूल करण था। एक बार एक अंश अनूप और दो अंश हरल वायुके मिश्रण | तो १७५७ई० में नारायणराव पेशवाके विपक्षमें को सूर्य प्रकाशमें ले जाते ही उड़ जाता है, और | भी मिल गया था। पर अनूबाईने स्वयं जाकर कर्बन विलग होकर उद्धराम्न ( Hydro Chloric) समझा बुझाकर उसे वापस बुला लिया। तयार होता है। विकीर्ण प्रकाश ( Diffused सन् १७५६ ई० में मुगलौ और मराठोके युद्ध light ) में हरल उनके स्थानपर लानेसे क.उ. के समयसे ही अनूबाई पेशवाके साथ पूनामे ही यह, कउ२ ह२, कउ ह३ तथा कह ४ तयार होते रहती थी। फिर भी सन् १७६१ ई० की लड़ाई में है। किन्तु यदि जलका संयोग होता है तो वह पेशवाके साथ इसीसे नहीं गयी कि उस समय उद्धराम्न और कर्बन-द्वि-प्राणिद ( Carbon-Di-पासकी करवीर रियासतमै राज्यक्रांति मची हुई Oxide ) तयार होता है। थी। उसी वर्ष जनवरीमें शंभाजी महाराजका अनूवाई घोरपड़े-बालाजी विश्वनाथ पेशवा देहांत हो गया जिस पर उस राज्यको भी अपनेमें को यह सबसे छोटी कन्या थी। इसका जन्म मिला लेनेके लिये इचलंकरजीकी ओरसे श्रादमी १६६६ ई० में और मृत्यु १७८३ ई० में हुई । सत्रह | भेजे गये। शंभाजीकी विधवा जीजीबाईको जब वर्षको अवस्थामें इसका विवाह सताराके इचलं | यह मालूम हुआ तब उसका द्वेष अनूबाईसे करजी घरानेके. व्यंकटराव नारायण घोरपड़े से अधिकाधिक बढ़गया। फिर भी उसने एक चाल हुआ। वर्षका अधिक भाग जिसमें ये दोनों पूने चली और यह अफवाह उड़ादी कि उसकी सौत में ही बिता सके, पेशवाने १७२२ ई. में इसके गर्भसे है। उसने यह अफवाह इसी लिये उड़ायी लिये पूनेमें एक मकान बनवा दिया, एवं जिसमें थी जिसमें उसका राज्य न जब्त होने पावे । पर वहाँको गृहस्थोकी व्यवस्था सुचारु रूपसे चल | पेशवाने प्रसवके समय अनूवाईको भेजकर उस सके बड़गाँव (चाकण) एवं दो बाग उपहारमें | अफवाहकी सत्यताकी जांच करानेका प्रबन्ध कर दे दिये थे। सत्ताइस वर्षको अवस्थामें बेणूबाई | दिया था। किन्तु पानीपतकी हार और नाना नामकी एक पुत्री तथा उसके एक वर्ष बाद साहबकी मृत्युके कारण वह विचार कार्य रूपमें नारायण राव नामक एक पुत्र हुआ था। परिणत न हो सका।