पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/२६

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। अकिमिनियन ज्ञानकोश (अ)१६ अकिमिनियन दरायस, पहला कसौज़ और द्वितीय तथा नगगेके भन्दिरोंसे वहाँके देवताओं का उठा तृतीय श्रााकीज़ हैं। कर अपनी राजधानी में पहुंचा दिया। मायरस (१) सायरस दि ग्रेट ( नौशेरवाँ )-इस गजा मार्डक देवताका प्रिय भक्त था। इसलिये उसने की धार्मिक कल्पनाओका ज्ञान प्राप्त करने के लिये फिर उसे जहाँका नहाँ रख दिया। ऊपर जिन जनोफनकी सायरोपीडिया नामक ऐतिहासिक मार्डक और उसके पुत्र नबुका जिक्र श्राया है. अद्भुत कथा, प्राचीन धार्मिक पुस्तक तथा बैबिलोनके सायरसके विश्वासानुसार वे अहमद और शिला-लेख आदि सामग्री हैं। सायरोपीडियाकी | उसके पुत्र अतर्ष (अग्नि) के ही दूसरे नाम कथाएँ कल्पित है । इस कारण उसमें दी हुई बातों | थे; किन्तु कुछ लोगोंके मतानुसार इस कथन का विचार तारतम्य बुद्धिसे करना होगा। इन | में कुछ भी तथ्य नहीं है। इन तीनों प्रकार कथाओं में कई जगह उल्लेख है कि सायरस की साधन-सामग्रियोम यूनानी लेख अधिक विश्वा- राजा जूइस, हीलिबास, जीया, हेस्टिश्रा आदि सनीय हैं, और उनके अनुसार सायरसकी अनेक यूनानी देवताओंको प्रसन्न करने के लिये यश उपासना-पद्धति उत्तर अवस्ता दृष्टिगोचर होने- किया करता था । हिरोडोटस और स्ट्रेबोने अपने वाले धर्मसे बहुत कुछ मिलती जुलती मालम अपने ग्रंथों में इस प्रकार उल्लेख किया है कि | होती है। तथापि यह कहनेके लिये कि, सायरस इरानी लोग सूर्य, चन्द्र, पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु ज़रतुटके नूतन संप्रदायका अनुयायी था, कुछ भी अफ्रीडायटि नामक विवाह-देवता, जूइस नामक आधार नहीं है। सायरस शब्द का ठीक उच्चारण आकाश देवता श्रादि की उपासना करते थे। इन ! कुरुस है। दोनों विद्वानोंके विधानोका मिलान करनेसे विदित (२) कंवायसिय--इस राजाके धार्मिक विचागें होता है, कि जेनोफोन द्वारा उल्लिखित सायरसको | को प्रगट करनेवाली सामग्री बहुत थोड़ी है । हिगे- उपासना इरानी संस्कृतिसे मिलती-जुलती एक डोटसने कम्बायसिस राजाक मतका उल्लेख करते तरहकी शक्तिकी उपासना ही थी । इस हुए कहा है कि श्रामेसिसका शव दहन करनेसे इरानी संस्कृतिका वर्णन 'छोटा अवेस्ता' नामक | अग्निकी पवित्रता कम होती है। ईगनमें और ग्रंथमें दिया हुआ है। इसके आराध्यदेवतासे अवेस्ताके मूलग्रंथ में शव द्वारा अग्निको दृषित अहमद, मिश्र. अतर्ष (अग्नि) और अन करना पक अक्षम्य अपराध माना जाता है। यद्यपि हित निस्संदेह भिन्न न थे। इनके अतिरिक्त : सामान्यतः यह समझा जाता है कि कम्बायसिस सायरस जिन कुल-देवताओंकी उपासना करता पागल था, तथापि इसके सुविख्यात देवता था, उनके बारे में कहा गया है कि वे देवता मूलतः 'नेइत' के देवालयके बारेमें कम्बायसिस द्वारा मृतलोकोके प्रेत थे और बादमें वही प्रवषी नामके | स्वीकृत नीति अत्यंत उदार तथा प्राचीन सायरस रक्षा करने वाले देवता बन गये। इसके विपरीत , राजाके समान ही थी। परन्तु कम्बायसिसने सायरोपीडियामें लिखा है कि मरणोन्मुख सायरसने एपिस देवताको प्रसन्न करने हेतु छोड़े हुए बैलको मृत्युके बाद अपने शरीरको दफन करने के लिये मरवा डाला था। उसका यह कृत्य पागलपनकी कहा था, जो जरतुष्ट्र प्रथाके विलकुल विरुद्ध है। | एक झक थी। उससे उपासना-मार्गका कुछ भी स्ट्रेबोने सायरसकी कबका जो वर्णन किया है, सम्बंध न था। उससे उपरोक्त वातकी पुष्टि होती है। साथ (३) पहला दरायस-(दाग) इस राजाके धार्मिक ही पार्सागाड़ीमें पायी गयो सायरसकी कब्र विचारोंका शान प्राप्त करने के मुख्य साधन उस वर्णनके अनुकूल ही है। परन्तु हिरोडोटसने बाविलोनी तथा श्राधुनिक 'मोलाए' भाषा और लिखा है, कि ईरानी लोग मृत शरीरोंको गिद्ध | इस राजाके पुरानी ईरानी भापाके शिलालेख है । कुत्ते आदि जानवरोंके सामने डालते हैं और पश्चात् इन शिला लेखोंमें दागने कहा है कि अहमद नाम उनपर मोमका लेप करके उन्हें जमीनके अन्दर | के सर्वोत्तम देवताकी कृपासे मुझे गज्य प्राप्त हुश्रा गाड़ते हैं। है और राज्य की सब बाते अनृत (द्रोग) से इसके उपरांत बाबिलोनी लेखोके बारे में विचार उत्पन्न हुई हैं। इस मतानुसार दागको यह शक्ति करते समय सायरसकी उपासना-संप्रदायके प्राप्त हुई कि वह अपने को असत्यवादी नहीं सम- संबंधमे दो शिलालेखोंमें उल्लेख मिलता है। इन झता था। श्रवेस्तामें व्यक्त किये हुए दुःजसे उप- दोनों उल्लेखोनें कहा गया है, कि वैबिलोन युक्त द्रौगकी समानता है। सात्विक मनुष्य के के अन्तिम राजा नवुनाइटने सुमेरू और अकड़ | अनुसरण करने योग्य पथको सत्य पथ ( त्याम