पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/२६६

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1 अन ज्ञानकोश (अ) २४३ भोजन निश्चित करनेमें निम्न लिखित बातो मान्न' कहा गया है। छोटे बच्चों के लिये इससे का ध्यान रखना आवश्यक है:- बढ़कर दुसरा अन्न कोई कदाचित् ही हो किन्तु (१) जो अन्न ग्रहण किया जाय उसमें उप-! बड़े मनुध्योको भी यथेष्ट प्रमाण में सेवन करने रोक्त पांचौ प्रकार तथा वीटामिन का समावेश से उत्तम स्वास्थ्य तथा वल प्राप्त हो सकता है योग्य प्रमाणमें होना आवश्यक है । साथ ही साथ | हाँ, दूधमे लोह का अंश बहुत कम होनेके कारण शरीर में काफी प्रभारणमें, अनभी जाना चाहिये। शरीर हलका रहता है किन्तु लिसीथीन नामक (२)जिस देशमें मनुष्य रहता हो वहाँ की पदार्थ होनेसे बुद्धि तथा मजाके लिये यह विशेष श्रावहवा को ध्यानमें रखकर ही भोजन निर्धा- गुणकारी होता है। रित करना चाहिये। अवस्था, उद्योग, मानसिक जहाँ दूधमे अनेक गुण हैं वहाँ ही इसमें दोष तथा शारिरिक परिश्रमको ध्यान में रखते हुए ही भी हैं जो तनिक सी असावधानी होनेपर भयंकर भोजन निश्चित करना चाहिये। परिणाम उत्पन्न कर देते हैं। अस्वच्छता का (३) कोई पदार्थ चाहे कितना ही लाभदायक | इसपर बहुत जल्दो प्रभाव पड़ता है। रोग उत्पन्न क्यों न हो किन्तु रुचि और पाचन शक्तिका भी करने वाले तन्तु ( Germs ) इसमें बड़ी शीघ्रता ध्यान आवश्यक है। से उत्पन्न हो जाते हैं। यह शीत्रही विगड़ वैज्ञानिकों का मत है कि प्रति दिन साधारण भी जाता है। तया मनुष्य श्वासोच्छवासके समय २५० से खाद्यपदार्थों में श्रण्डेका भी आजकल विशेष लेकर २८० ग्राम तक कर्व ( कार्बन ), मुख्यतः स्थान होरहा है । मुर्गी, बत्तक तथा अन्य पक्षियों के कर्व-द्वि प्राणिद ( Carbon-Di-oxide ) के रूपमें | अण्डे व्यवहारमें लाये जाते हैं। अण्डेमें अफेदी बाहर फेंकता है। मूत्र में यूरीया (Uria ) नामक | ( Albumin ) बहुत होता है। यह बड़ा पौष्टिक क्षार होता है। मूत्र त्याग द्वारा १५ से १८ ग्राम होता है। इसकी जर्दी भी बड़े लाभकी वस्तु तक नत्र शरीरके बाहर फेंकता है। मलोत्सर्जन किन्तु इसको बहुन देर तक उबालनेसे न्युक्लोन द्वारा कर्व तथा नत्र जिस प्रमाणमें शरीरके वाहर नामक पदार्थ कठिनतासे पंचता है। इसी लिये निकलते रहते हैं उसके अनुसार ही अन्न द्वारा लाभ की दृष्टिसे अथवा नौषधोपचारमें कच्चे इनको शरीर में प्रवेश भी करना आवश्यक है। अण्डे खाना हो उचित है। कुछ पुराने वैज्ञानिकोंने दो प्रकारके भोजनमें निम्नलिखित प्रमाण आवश्यक बताये हैं: मांस खानेकी प्रथा थोड़ी बहुत प्राय हरेक देशमै पाई जाती है, किन्तु हरेक पशु अथवा पक्षि स्निग्ध पदार्थ १० का मांस खाने में व्यवहार नहीं किया जाता। पिष्ट पदार्थ बहुत से पशुओका मांस तो हानिके भयसे व्यवहार द्वितीयः- नत्रयुक्त पदार्थ में नहीं लाते किन्तु बहुतसे पशुओं का मांस केवल स्निग्ध पदार्थ १०० प्रथा न होने ही से नहीं खाते ।बहुत सी जातियों पिष्ट पदार्थ में इसको धर्मका अङ्ग मानकर निषेध किया है। अहार में भिन्न भिन्न पदार्थोके गुणधर्म का | भिन्न भिन्न पशुओंके मांसमें भिन्न भिन्न गुण-धर्म विचार करना भी आवश्यक है, इसका पूरा पूरा होते हैं। मांस भी बहुत पौष्टिक होता है, किन्तु व्यौरा देना तो यहाँ असम्भव है किन्तु मुख्य पचता भी कठिनता से है। इसमें च का अंश मुख्य पदार्थों पर कुछ प्रकाश डाला गया है। बहुत होता है। निम्नाङ्कित कोष्टकसे कुछ पशुओं भारत ऐसे उष्ण-प्रधान देशमै दुधको उत्त- के मांसके विषयमें विशेष ज्ञान हो जावेगा। घटक द्रव्य बछवा सूअर घोड़ा

१-जल

७६-७ ७५-६ ७२-६ ७४-३ २-घन पदार्थ २४.४ २७-४ २५.७ २६-२ २२७ '४-चरबी ६-२ ५-पिष्ट पदार्थ ०.६ ०-६ ६-क्षार नत्रयुक्त पदार्थ २५० वत्तक 0-2 9-0