पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/२७

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- अकिमिनियन ज्ञानकोश (अ)१७ अकियनलोग. गस्ताम ) कहा गया है और इस प्रकारको कल्पना ! इतिहासवेत्ता प्लूटार्क वस्तुतः ज़रतुष्ट्र धर्मसे वेद नथा बौद्ध ग्रन्थों में एवं ईसाइयोंकी प्राचीन अपरिचित न था फिर भी उसने शिलालेखों में धर्म-पुस्तकोंमें दिखाई देती है। 'अर्शना' नामक उप- | वर्णित श्राक्ज़िवर्सीज़ राजाओं की उपासना के कार करनेवाले देवता तथा 'दुशियारो' नामक दुष्ट | सम्बन्धी शिलालेखों की लिखावट की पुष्टि की है। देवता जिस प्रकार दाराके लेखो दृष्टिगोचर होते | बड़े श्राश्चर्य की बात है कि इस प्रचीन राजघराने हैं ठीक उसी प्रकार उत्तर अवेस्तामें भी दिखाया का इतिहास मध्यकालीन इरानी साहित्यमें बिल- गया है। दूसरे धर्म संप्रदायोंके विषयमें उसकी कुल दिखाई नहीं देता। पहले पार्टाक्ज़ीज़ नीति भी सायरस की तरह बहुत उदार थी। का उल्लेख पेहलवी ग्रंथों में आर्देशिर के नाम से सिंहासनारूढ़ होनेके पश्चात् राज्यका संगठन करते हुया है और वही स्पेन्ददाद का पुत्र बोहुमन कहा समय गोतमद्वारा हस्त किये हुए अग्नि ग्रहों को गया है। यह विचार कुछ ही विद्वानोंका है। पर इसने ठीक कराया। फिर भी दाग अहुर्मज्द इसके लिये कहीं अाधार नहीं मिलता। ज़रतुष्टी देवताका अनन्य भक्त था। सारांश, यह नहीं पाक्ज़िीज़ स्पेन्ददाद का पुत्र था तो अकिमि कहा जा सकता कि वह कट्टर एकेश्वर-वादी था। निश्रन आर्टाक्ज़ीज़ क्ज़र्सीज का पुत्र था। (४) पहला क्ज़क्सीज़:-क्ज़ीज़ के धार्मिक अलवेरूनी ने इन दोनों व्यक्तियों को मिन भिन्न विश्वासके विषयमें शान प्राप्त करनेके लिये मुख्य बतलाया है और यह ठीक भी है। शाहनामा श्रादि साधन हिरोडोटस का ग्रंथ है। उसने बजवीज ग्रंथों में ये दोनों व्यक्ति एक ही माने गये हैं। उसका के सम्बन्ध में कहा है कि यूनान पर चढ़ाई करनेके कारण यही होगा कि इन दोनोंके दादा का नाम समय जय वह हेलेस्पांट पहुँचा, तब उसने इलिश्रम ! दारा ही था। परन्तु अवेस्ता और ज़न्द धर्म ग्रंथों के पंथीनी देवताके सन्मुख हज़ार वैलोंका बलि- की दो दो हस्तलिखित प्रतियाँ सुरक्षित रखनेकी दान तथा सूर्य, व समुद्र के देवताओं को प्रसन्न श्राशा देनेवाले जरतुष्टा का अनुयायी दारा का पुत्र करने के लिये हविर्दान किया। उसका यह भी दाग और अकमिनियन घरानेके आर्सेसीनका पुत्र कथन है कि 'नव वाटा' स्थान पर ज़ीज़ तृतीय दारा ये दोनों व्यक्ति भिन्न थे। गजाने नौ यूनानी लड़के और लड़कियों का बलि उपर्युक्त जानकारीसे पता चलता है कि अकिमि दान किया क्योकि इस समय ईगनियों में जीवित | निधन राजा सूर्य चन्द्र श्रादि इरानी देवताओं को मनुष्यको पृथ्वीमें गाड़कर बलिदान करने की प्रथा मानते थे तथा युनानी देवताओंके प्रति भी पूज्य प्रचलित थी। इस इतिहास-लेखकके इस मतका भाव रखते थे। फिर भी अहुर्मद उनके मुख्य कहीं भी उल्लेख नहीं मिलता। दूसरे ईरानी पृथ्वी राष्ट्रीय देवता और सूर्य चन्द्र आदि दूसरे देवता को भूदेवता' कहकर पूजते थे। अतः उनके मता- गौण थे। ध्यान में रखने की बात यह है कि पुराने नुसार जिन्दा आदमियों को ज़मीनमें गाड़ना देवता इरानी लेख उन गाथाओंकी अपेक्षा--जिनमें जरतुष्ट को भ्रष्ट करनेके बराबर है। इससे यह स्पष्ट है के पहले की प्रकृति की उपासना की झलक पुनः कि यह प्रथा ईरानियों की धर्मभावनाके विरुद्ध है। दिखायी देती है--उत्तर अवेस्ता से अधिक समा- इसलिये हिरोडोटसके उपर्युक्त कथन पर विश्वास | नता रखते हैं। इसी प्रकार उत्तर अवेस्तामें और नहीं किया जा सकता। एक स्थानपर हिरोडोटस । श्रासुरिक समयके वैविलोनी ग्रंथोंमें बहुत कुछ ने क्ज़ीज़की सेनाके साथ नौ सफेद घोड़ों द्वारा समानता दिखाई देती है। इन सब बातोंका विचार खींचे जानेवाले जुइस देवताके रथका वर्णन किया कर यह कहना पड़ता है कि अकिमिनियन राजा है। वह लिखता है, कि इस रथका सारथी रथ जरतुष्ट्र पंथके अनुयायी न थे बल्कि मजदयस्न- के साथ पैदल चलता था। यह रथ सेनाके पंथी थे। साथ साथ जाकर गजाको विजय प्राप्त करानेवाले अकियनलोग और उनके संघ यूनानियों इरानी राष्ट्रीय देवता अहुर्मज्द के मंदिरके समान की चार शाखाओं में से एक है। एक दंत कथा होता था। प्रचलित है कि इस शाखाका श्रादि पुरुष अकियस (५. ६) दूसरे और तीसरे पार्टाक्जर्सीज़ था । कवि होमरके मतानुसार इन लोगोंकी सत्ता राजाओंके इतिहास केवल एकही दृष्टिसे । समस्त यूनान पर थी । इनका पोलियन शाखोसे महत्वपूर्ण है। उसमें अहुर्मन्दके अतिरिक्त मिश्र बहुत कुछ साम्य है । ये ऊंचे कदके थे तथा इनकी और अनहित दो नये देवताओंके नाम आते हैं। अांखें नीले रंगकी थी। ये लोग अपने को यूना- इस सम्बन्धमें एक बात ध्यान देने योग्य है कि । नियों के इष्टदेवता जुएसके वंशज मानते थे। इनके -