पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/२८

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। जिले - इनकी अकियाब ज्ञानकोश (अ)१८ अकियाब नेता “वेलायूस" थे। ये लोग लोहेके शस्त्रों तथा और श्रागकान योमा । दक्षिण और पश्चिममें चौकोनी ढालोंका उपयोग करते थे। बंगालकी खाड़ी है। इनका २० गावोंका एक संघ था। मालुम बंगालकी खाड़ी और श्रागकानयामा बोचका होता है कि इन्होंने ये संघ' अपने बचावके लिये | प्रदेश चौरस है। लेम्रो नदीक पूर्वका प्रदेश पहाड़ी स्थापित किये थे । इन लोगोंमै एकता का दूसरा है। ऊपर की भूमि अर्थात् ब्रह्मदेश और कारण था जुइसकी पूजा। लगभग ईसाके २८० के मध्य पहाड़ी रास्ते हैं। परन्तु वे अत्यन्त दुर्गम वर्ष पूर्व इन लोगोंका महत्व बहुत बढ़ गया था | है। इसलिये कोई उनका उपयोग नहीं करता । इनका राज राजनैतिक सलाहकार श्रारेटस था। उत्तरका प्रदेश भी पहाड़ी है। इस भागमें तीन आरेटसके समयमें इनके अधिकारमै बहुन मुख्य नदियाँ हैं । मयूकलहन और लेम्रो, उनसे से गाँव थे। दक्षिणकी ओर बहती हैं। शेल्स सैगड म्होस नामक केन्द्रीयशासनसंस्थामें लोकमतकी । बालूके पत्थगसे यह प्रदेश भगा है यहाँ हाथी. प्रबलता थी। सालमें इस संस्थाके तीन अधिवेशन | बाघ, बारहसिंहा, बनला सूयर इग्यादि जंगली होते थे। इन्हींमें कानून वगैरह पास किये जाते ! जानवर पाये जाते हैं। समुद्रके समीप होनेके थे। इस शासन-सभाके अन्तर्गत १२० सदस्योंका कारण हवा समशीतोरण है । यहाँका जाड़ा बहुत ही एक सहायक मण्डल था । इस मण्डलके हाथमै अानन्ददायक होता है। वर्षा १८० इञ्चके लगभग मुख्य संस्थाका कार्य-क्रम निश्चित करना, शहर होती है। बवंडरसे इस भागको प्रारम्बार बहुत के झगड़ो को निर्णय करना, विदेशोंके वकीलोसे नुकसान पहुँचता है। १६८ १८४ १८४५१० इकरारनामा करना. श्रादि २ काम थे। मुख्य में भीषण वर्षा हुई थी जिससे धन और जनकी अधिकारीके पदको "स्ट्रेटेजिया" कहते थे। | बड़ी हानि हुई थी। इस अधिकारीको किसी भी योजनाके अन्तिम इतिहास-यह भाग पूर्वी श्रागकान जिलमें निर्णयका श्राधिकार था। माना जाता था। इसलिये इसका इतिहास भागफान इस मण्डलमें एक बड़ी कमी यह थी, कि जिलेके इतिहासमै दिया गया है । (देखिये श्राराकान) वह सैनिक विभागको सुव्यवस्थित रखना नहीं ! १८२६ ई० में वर्मा युद्ध समाप्त होते ही शागकान के जानता था। अपराधियों को दण्ड देनेकी ब्यव- । साथ यह जिला अंग्रेजी श्रधिकाग्मं श्राया। पाहंग स्था भी इस संस्थाके द्वारा नहीं की गई थी। मैं १५वीं और १६वीं शताब्दिके कुछ अवशेष अय रोमन लोगोने इन संघौको नष्ट कर दिया । भी मिलते हैं। महा-मुनिमै एक मन्दिर है जिसमें अकियाव--जिला! लोअर ब्रह्मदेशके आराकान | गौतम मुनिकी मूर्ति थी परन्तु १७८४ में जब कि विभागका एक जिला । उ० अ० १६४७ से २१ २७ बर्मियोंने इसभागकोजीन लिया तो यह मूर्ति श्रमर- और पू० दे० ४२११ से १३५६ है। इसका क्षेत्र- पुर ले जाई गई और वहीं स्थापित की गई। श्राज फल ५१३७ वर्ग मील है। उत्तरमै चटगांव जिला | कल वह मूर्ति मंडालेके श्रागकान देवालयमें हैं। और उत्तर श्राराकान है। पूर्व में उत्तर श्राराकान | जिलेकी जनसंख्या करीब पांच लाख तीस हजार है। इस जिलेके विभाग निम्नलिखित थे। । १६०३-४ में संख्या टाउनशिप यथवा अन्तगत विभाग क्षेत्रफल वर्गमील कृषियोग्य क्षेत्रफल प्रतियगंभीलमें जनसंख्याका जनसंख्या गाँव पुरवा प्रमाण 8 ७६५ ६२ १२६६ ६८ ५४५ २३७ " ४७४२५ ११३०१८ ४६५५५. ४३३६५. ४४६ CU - " कियाव राठेडाँग पोन्नाजियन पाँक्टाँ मिवियां कियाक्टाव मीनोहंग मांगड़ा १०४ O -- ८७


२६० २६५ ३१२ १४२ ३७० १३२६ १५२ ५३३०६ ४६६७% ८३२४७ । ३७७ १६५.