पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/२९

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I अकियाब ज्ञानकोश (अ)६ कियाब बहुत से भाग पहाड़ी हैं, जहा आबादी बहुत | हुई थी। कम है। जिलेका मुख्य स्थान अकियाब नगर हैं व्यापार--यहां करघेपर सूती और रेशमी श्रावादी अधिकतर बौद्ध ( २८०००० ) और कपड़े बुने जाते हैं। इसके अलावा सोने चाँदीके मुसलमानों ( १५५२०० ) की है। समस्त प्रान्तमें | काम, बढ़ईगीरीका काम, कुम्हारका काम तथा जितने मुसलमान है उनके श्राधे केवल इसी सुनारीका काम होता है। श्राराकानी स्त्रियाँ एक जिले में हैं। बुनाईका काम करती हैं। सिर्फ धान और चावल श्राधेसे ज्यादा लोग श्राराकानी भाषा बोलते दोही पदार्थों का व्यवसाय होता है। अकियाब है और लगभग लोग बंगाली बोलते हैं । के बाहर रास्ते बिल्कुल नहीं हैं। अतः जलपथ खेती-यहां की जमीन वालूमिश्रित और नम से ही लोग व्यापार करते हैं। अकियाब बन्दर है। इसमें पैदावार अच्छी होती है वर्षा भी। मैं बहुत जगहोंके स्टीमर ठहरते हैं। १८४२ अधिक होती है। चौरस भागमें धान और ई. में इस बन्दरगाहमें दीप-गृह बनाया गया दुसरी जगहोमे फल इत्यादि पैदा होते हैं। पहाड़ था। इस जिलेके चार विभाग और अंतर्गत पर मामूली पैदावार होती है। जिस जमीनपर विभाग हैं । बरसातका जमा हुशा पानी बहता है वहां अधिक विभाग-प्रकियाब, मिविया, कियाक्ता, जुताई की आवश्यकता नहीं पड़ती। वर्षा बुथिडाँग, टाऊनशिप्सके नाम ऊपर के कोष्टमें अधिक होनेके कारण कुपके पानी की बिलकुल | दिये गये हैं । हरएक विभागका अधिकारी श्रावश्यकता नहीं रहती। इस जिलेमें धानके पौधे । एक्स्ट्रा असिस्टेन्ट-कमिश्नर होता है। श्राराकान एक जगहसे उखाड़कर दूसरी जगह लगानेका का कमिश्नर सेसनजजका काम करता है। रवाज नहीं है। सिर्फ गीली जमीनमें इधर उधर मालगुजारी-१-३२ ई० में कृषिसे २ लाख धानके बीज छींट देते एक तो यहांके कृषक थी। सं० १८३७ में जंगली माल. झोपड़िया, श्रालसी होते हैं दुसरे यहाँ के पशु रोगी होते हैं। नावे. कारीगर (हाथों से काम करने वाले) इन कारणों से खेती की अच्छी उन्नति नहीं होती। इ० में मछली पकड़ने वालों पर कर लगाया गया। श्रादि पर जो कर थे उठा लिये गये। १८६४.६५ खेती मजदूरों द्वारा अधिकतर होती है। उठौश्रा खेती करनेके कारण यहांके बड़े-बड़े जंगल नष्ट १८६६-६७ ई० में कुल आमदनी पांच लाख थी। हो गये हैं। स०१६०३-४ में कुल एकहजार १८७६-८० ई० में कानून वन जानेके कारण एकड़ जमीनमें खेती होती थी। जिसमें ६३१ श्रामदनी ७७ लाख हुई फिर १८:५- ई० एकड़ जमीनमें केवल धान पैदा होता था । में जाँच होने पर प्राय ८३ लाख हुई और श्रन्य उपज-तंबाकू, ऊख, मिरचा राई इत्यादि । १६०२-३ ई० में १२ लाख हो गई। हैं। १६०३-४ से कृषि-क्षेत्र उत्तरोत्तर बढ़ता आमदनी का खाका (अंक हजार के हैं) जा रहा है । चटगांवके बहुतसे लोग यहां आकर १८८०-८१-१८६०-६१-१६००-१-१६०३-४ बस गये हैं, और दिन-ब-दिन बसते जा रहे हैं। ज़मीन से ७०२--हद--११-५---१४२० उनमें बहुतसे तो ज़मीनके मालिक बन बैठे हैं। कुल श्रामदनी २३३६-२६०२----२६६७------३०६७ यहांके लोग अधिकतर भैसे पालते हैं; भेड़ कोई की संख्या कम है। केवल अकियाचमें टीका लग- जिले की जनसंख्यामें पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों नहीं पालता। निज पदार्थ --अभी इसकी अधिक खोज वाने का कानून अनिवार्य है ! (ई० ग० भाग ५) नहीं हुई है। पत्थरका कोयला रद्दी मेलका होनेके अकियाव ( विभाग) लोअर बर्मा। यह कारण उसकी खुदाई नहीं की जाती। कहा जाता अकियाब जिलेका एक विभाग है। है कि यहाँ सोने चाँदीकी खाने होगी। परन्तु अभी अकियाबके अंतर्गत विभाग---उ. श्र०२०-६ से तक पता नहीं लग सका है। मिट्टीके तेलके कुओं २० -१६, पू० रे० ६२ ४५ से २-५६। इसके का पता ३० वर्ष पहले लगा था। उनसे प्रति वर्ष अन्तर्गत विभागमें एक गाँव और ६० पुरवे हैं । ५०,००० गैलन तेल बाहर निकाला जाता है। यह | जनसंख्या करीब ४८००० है। १६०३-४ ई० में तेल श्रास पास येचा जाता है। कुएँ ३०० फुटसे मालगुजारी ५०,०००) थी। ३० वर्गमील ज़मीनमें ७.० फुट तक गहरे होते हैं। खेती होती है। जंगल-सागवानके जंगल बहुत कम हैं। सन् अकियाब खास---अकियाब शहर उ० अर १६०३-४ में जंगलकी कुल आमदनी = २००) २० । २० --' और पू० रे० १२-१५। यह कलद्न नदी - -