पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/२९४

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अपुष्प वनस्पति ज्ञानकोश (अ) २७१ अपुष्प वनस्पति एक वलयाकृति प्रशस्त जगह होती है। जनन पेशियां बाहर आती हैं और उनसे नयी वनस्पतियाँ पेशियों में दो तन्तु-एक नाटा और लम्बा होता है। | तैयार होती हैं। कई जातियों में दो समान लिंग तत्व पेशी में से निक एक पेशीमयकी अन्य कई जातियों में उत्पादन लकर संयोग पाते हैं और उससे उत्पादन होता | करीब करीब ऊपरके अनुसार ही होता है, लेकिन है। वानस्पतिक उत्पादन पेशी विभागसे होता है। कुछ जातियोंमें पेशियोंके संघ गोल न हो कर हरित् पाणकेश ( Chlorophyceae )-इस तिरछे होते हैं। बहुधा उनमें संघही नहीं होते। जातिकी वानस्पतियोंकी विशेषता अर्थात् उनके कई एकमे योगसंभव उत्पादन में के दोनों तत्व शुद्ध हरे रङ्गका होना है । इनमें बहुत सी जातियाँ एक ही समान होते हैं। श्रतः स्त्री तथा पुरुष मीठे जल में और आर्द्र भूमिपर मिलती है । समुद्र तत्व अलग नहीं पहिचाने जा सकते। मैं भी बहुत सी जातियाँ हैं। इनमें कई समय तंतुमय वनस्पतियोमें तीन मुख्य जातियाँ पिरनॉइद कण प्राप्त होते हैं। इनमें पिष्ट सत्त्व होती हैं। पहिली जाति ऊणिका (Ulothrix ) ( Starch ) सर्वदा मिलता है। कुछ वनस्पत्तियाँ तन्तुओं द्वारा बना हुई है। दूसरी, एंटेरो मार्फा एक पेशीमय हैं तथा कुछ तन्तुमय हैं। तन्तुमय ! (Enteromorpha ) फीते की तरह या पट्टी के जातियों में भी कई एकमें डालियाँ निकलती हैं, समान चौड़ी तथा पतली होती है। इनमे शाखायें इतरोंमें नहीं निकलती। नहीं फूटती। ऊर्णिकाके तन्तुमें बहुतसी पेशियाँ एक पेशीमय जातिमें प्रत्येक पेशीके महीन २ होती हैं। प्रत्येक पेशीमे एक एक हरिद्रव्यका बालके समान तन्तु होते हैं । इन तन्तु ओंके सम्बन्ध | पट्टा होता हैं। एक पेशीसे एक अथवा अधिक से वे इधर उधर घूम सकते हैं। प्रत्येक पेशीमै | जनन उत्पन्न हो कर उनसे अयोग संभव उत्पादन एक एक केन्द्र जीवद्रव्य तथा हरि द्रव्यमय शरीर होता है। इन जनन पेशियों में बालके समान होता है। इनमें की कुछ जातियों में पेशी स्वतंत्र चार २ तन्तु होते हैं उनके कारण वे तैर सकते हैं। रूपसे सञ्चार करती हैं और कुछमें दो दो चार योगसंभव रीतियों में 'समान तत्वों' का संयोग चार एकत्र मिलकर संघबनाकर रहती हैं। व्होल- होता है। ये समान तत्व जनन पेशियोंके समान व्हाक्स नामकी जातियों में बहुत सो पेशियोंका एक ही एक पेशीसे उत्पन्न होते हैं किंतु जनन पेशी पोला गोला बनता है। सर्व पेशियोसे तन्तु निकले | की अपपेक्षा अधिक होते हैं। प्रत्येक तत्व में रहते है। अतः यह संघ पानीमें घूमता है । जहाँ- | बालके समान दो दो तन्तु होते हैं। एक वन- पर पानी किंचित् हरे रंगका दिखाई पड़ता है वहाँ स्पतिमै ही दो तत्व संयोग नहीं होते। दो भिन्नर पर ये वनस्पतियां मिलती हैं। महत्कारी शीशेमे से तन्तुओंके तत्वोका संयोग होता है तथा एक देखने पर ये संघ सुईके छेदके गोलेके समान दिखाई जननपेशीका निर्माण होता है। इस पेशीसे पड़ते हैं। सूक्ष्मदर्शक यन्त्रमें से देखनेपर इनमें एक एक पेशीमय वनस्पति होती है और वह बहुत सी पेशियां दिखाई पड़ेगी इनमें भिन्न भिन्न जननपेशी उत्पन्न करती है। इन जननपेशियों पेशियोंके जीवद्रव्य महीन महीन धागोंसे एक से पहिलेके समान तन्तुओंकी उत्पत्ति होती है 1 दूसरेमें जुड़े रहते हैं, तथा हरिद्रव्य बहुत होता जिस प्रकार चार छोटे तन्तुओंकी जनन पेशियाँ है । पेशी विभागले, या संघके टुकड़े होनेपर धान उत्पन्न होती है उसी प्रकार चार या दो तन्तुओं स्पतिक रीतिसे अनेक नयी वनस्पतियाँ उत्पन्न की बिलकुल छोटी समान तत्व स: जनन पेशी होती हैं। योगसम्भव उत्पादनमें दो तत्त्वोंके | भी उत्पन्न होती हैं और कुछ समय बाद उनसे रज अथवा रेतका संयोग होकर नयी वनस्पति | मूलके समान वनस्पति होती है। उत्पादक तैयार होती है। इन्द्रियोंकी या तत्वोंकी यह अपूर्णावस्था इस संध कुछ विशिष्ट पेशियां इसी कामके लिये वनस्पतिकी विशेषता है। रहती हैं और कुछ रेत उत्पन्न करती हैं। यह तत्व एला डोफोरा (Eladophora) नामक तन्तुमय बिलकुल सूक्ष्म, किन्तु किंचित् लम्बे अाकारका वनस्पति पिछली वनस्पतियोंकी अपेक्षा कुछ होता है और उसमें बालके समान दो धागे होते भिन्न होती है। इसमे शाखायें फूटती हैं। इस हैं। कुछ रज निर्माण करनेवाली पेशियां होती हैं | के प्रत्येक पेशीमे बहुत केन्द्र होते हैं तथा इसके इन दोनोंका संयोग संघके मध्यभागके पोले हिस्से हरिद्रव्य शरीर बहुतसे गोल धब्बोंके समान में होकर उससे एक प्रकारकी जननपेशी होती है। दिखलाई पड़ते हैं। इसके तंतुओंकी लम्बाई बाहरका संघ नष्ट होजाता है। भीतरकी ये कभी २ एक फूट तक होती है। दूसरी जाति से