पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/३०

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अकिलीस । अकिलीस ज्ञानकोश (अ) २० के मुहानेके समीप बसा है। जनसंख्या करीब उसकी मांको दो वरदान प्राप्त हुए थे पर वे बैंक अड़तालीस हज़ार है। इसमें करीब आधे ल्पिक थे। यदि वह अपने पुत्रको दीर्घायु बनाने बंगाली और शेष श्राराकानी चीनी ओर. बर्मी है। की इच्छा करे तो वह दीर्घायु नो अवश्य होगा; इस गाँवके नामकरणका इतिहास ठीक २ | किन्तु घरमै बैठकर जीवन व्यतीत करेगा और मालूम नहीं है। कुछ लोगोंका कहना है कि यह संसारमें उसकी ख्याति न होगी, और अगर अस्यात् नामका अपभ्रंश है। अक्यात् बुद्ध के उसका अल्पायु होना स्वीकार करे, तो वह ट्राय जबड़ेके मन्दिरको कहते हैं। इस गाँवका बारा की समरभूमिमें अपनी कीर्तिको फैलावेगा। कानी नाम सितत्वे है। इसका अर्थ है कि जहाँ : उसने दूसरा वर स्वीकार किया। परन्तु जिस से लड़ाई शुरू हो। इस सम्बन्धमें दन्त-कथाएँ समय ट्राय पर चढ़ाईको गयी और शहरके चारों सुनने में नहीं आती। अंग्रेज़ी शासनके पहले यह तरफ घेरा डाला गया, उस समय उसकी माने मछुओका एक गाँव था। उस समय श्राराकान | यह सोचकर कि ट्रायकी समरभूमिमें ही अकि- की राजधानी म्योहंग थी। परन्तु अंग्रेजी हुक्-लिसकी मृत्यु होगी, उसे स्त्रीक भेषमें सजाकर मत शुरू होते ही यह गाँव श्राराकानकी राजधानी : लैकोमेडीस गजाके दरबार भेज दिया। वहाँ बनाया गया । बन्दरगाहमें बड़े बड़े जहाज श्राजा . राज-कन्यासे उसकी मित्रता हो गई। उसको सकते हैं। वायु अस्वास्थ्यप्रद होनेके कारण यहाँ ! निाटोलमस नामक पुत्र भी हुआ। अकिलीसके हैजा वगैरह संक्रामक रोग पैदा होते हैं। यहाँ । सिवाय ट्राय विजय कर लेना असम्भव समझकर धानका व्यापार अधिकतासे होता है और वह श्रोडेसिस (युलिसीस) उमका पता लगाने के प्रायः हिन्दुस्तानियोंके हाथमें है। १८३४ ई. में लिये सौदागरके भी वहाँ गया और उसके यहाँ म्युनिसपैलिटी की स्थापना की गई। यहाँ सामने रल और शस्त्र फैलाकर बैठ गया । स्त्री जेल, सरकारी कचहरियाँ, दवाखाने श्रादि हैं। वेषधारी अकिलीसने शस्त्र उठा लिये, जिससे अकिलीस-पौराणिक युगके यूनानी लोगोंमें तुरन्त पता चल गया कि वह पुरुष है। अनन्तर यह एक प्रसिद्ध बीर पुरुष हो गया है। होमरके अकिलीस रणमे गया और बड़ी बहादुरीसे लड़ते इलियड महाकाव्यमें तो इसका स्थान बहुत श्रेष्ठ हुए उसने शत्रुके बारह शहर जीत लिये। कुछ यह तत्कालीन यूनानी लोगोंमें सर्वश्रेष्ठ | समय बाद अगमेन्ननने उसकी दासी ब्रायसीस योद्धा था। इसके पिताका नाम मेलियस और | को जबरदस्ती उससे छीनकर अपने पास रख माता का नाम थीटिस था। इसका दादा एइकस लिया। इससे क्रोधित हो उसने युद्धस अपना ( Aeacus ) जीयसका पुत्र था। अकिलीस की | हाथ खींच लिया। उसको युद्धमें शामिल करनेके बाल्यावस्थाके संवन्धले होमर और उसके वादके लिये घोर प्रयत्न किया गया परन्तु लाभ कुछ भी लेखकोने भिन्न-भिन्न कथाएँ लिखी हैं। होमर का नहीं हुआ: किन्तु जब उसे अपने परम मित्रके मारे कथन है कि उसकी बाल्यावस्थामें उसकी माने जाने की खबर लगी तो वह अपने मित्रको मृत्यु उसे पिथिश्रा ( Pythia ) में पालपोस कर बड़ा का बदला लेने के लिये स्वयं युद्ध में सम्मिलित किया। उसे युद्ध-कला. संगीत-कला, एवं वैद्यक हुआ । उसने शत्रु पक्षके मुस्त्रिया हेक्टर के खूनसे की शिक्षा दी गई। उसके विषयमें होमरके बादके अपनी प्रतिहिंसाकी आग बुझ ई। हेक्टरकी लेखकोने एक कथा कही है कि उसकी माँ उसे अन्त्येष्टि क्रिया का वर्णन समाप्त होनेही इलियड अमर बनानेके ख्यालसे प्रति-दिन उसके शरीरमें काव्य समाप्त हो जाता है । अकिलीस की मृत्युके अमृत लगाती थी और रातको जलते हुए कोयलो | सम्बन्ध इलियडमै कुछ विशेष हाल नहीं दिया है के नीचे रखती थी। एक दिन पेलियसने यह | परन्तु एक दूसरी जगह लिखा है, कि मिनः । देख लिया और झटपट लड़के को श्रागके नीचेसे रवाके मन्दिरमै जिस समय वह प्रायमकी कन्या निकाल लिया। इसपर थिटीस क्रोधित होकर | पोलिज़ेना की मँगनी कर रहा था, उसी समय घरसे चली गई। दूसरी कथा यों है कि उसकी | पारिसने उसके तलवेपर बाग मारकर उसका मांने पांव पकड़कर उसे स्तिक्ष नदीके जलमें | वध किया। उसकी मृत्युके सबन्धर्म और भी डुबो दिया। जिससे तलवोंके सिवाय उसका अनेक कथाएँ है। मरनेके बाद देवताओंकी तरह सारा शरीर अभेद्य हो गया। आगे चलकर उसे उसकी पूजा सभी जगहोंमें, विशेषतःल्यूकस्पार्टाके बलिष्ट बनाने के खयाल से • सिंहकी अँतड़ी, | एलिस और हेलेस्पांटके सिगी स्थानमें की जाती । भालू तथा सूअर का मांस खिलाया जाता था। थी। होमरने सिद्ध किया है कि अकिसील एक - -