पृष्ठ:ज्ञानकोश भाग 1.pdf/३१८

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आता है। अफगानिस्तान ज्ञानकोश (अ) २६५ अफगानिस्तान गर्मी में काफी गर्मी पड़ती है। ५७८ फीटको अधिक महत्व है। ये पश्चिमीय प्रान्तोमै बसे हुए ऊँचाई पर स्थित होते हुए भी ६० से १०० हैं। ये बहुंधा सुनी हैं ! अन्य जातियों की भाँति तक ताप मान हो जाता है। वर्षा यहाँ अमेल मई ये उतने लड़ाके और झगड़ालू नहीं हैं। ये शान्ति मासमें हो बहुधा होती है। अधिक तर भागोंमें प्रिय है, और खेती वारीका काम करते हैं। शहर जनवरी में ३१४, मई में ६७७, जुलाई में ७२२ में जो बस गये हैं वे अन्य औद्योगिक धन्धे करते तथा नवम्बरमें ५१२ डिग्री तापमान का औसत हैं। अफगानों को ये अपनेसे श्रेष्ठ मानते हैं और अपनेको उनकी प्रजा ही समझने में सन्तुष्ट निवासी-आधुनिक अफगानिस्तान भिन्न भिन्न हैं। दूसरी ऐसी ही मुख्यजाति कजलयाशोंकी प्रान्तोंसे बना है। एरिया, बैकट्रिया, श्राराकोशिया है। मूलतः ये भले ही तुर्क रहे हो, किन्तु अब ये इत्यादि अनेक प्रान्त हैं। इनमें ईरानी सूबेदार पूर्णतया फारसी समझे जाते हैं। ये फारसो ही भी हैं। अफगानिस्तान में भिन्न भिन्न जाति तथा बोलते हैं। ये नादिरशाहके समय में आकर बसे राष्ट्रोके मनुष्य देख पड़ते हैं। इनके विचार थे। लगभग ५०००० के हैं और प्रायः बड़े बड़े इत्यादिमें भी भिन्नता देख पड़ती है। हाँ, धार्मिक | नगरों में ये बसे हुए हैं। ये शान्त, सभ्य और विद्वान दृष्टिसे ये सब एक ही कहे जा सकते हैं क्योंकि | होते हैं। तिजारत, डाक्टरी, वैद्यगी, कारीगरीके सभी अपनेको मुसलमान कहते हैं । मुसलमानो | कार्यों में ये कुशल होते हैं। काबुलमें ये अमीरकी के मुख्य दो भेद हैं-(१) शीया और (२) फौजमें भी बहुतसे भर्ती हैं ! बहुधा ये शिया होते सुन्नी। इनके पूर्वज कदाचित् तुर्की इरानी रहे हैं। ये बुद्धिमान, कार्यपटु तथा चतुर होते हैं । होगे। अब तो इनमें सेमेटिक रक्तका भी सञ्चार हजारा पहाडी प्रदेशों में रहते हैं। इनकी देख पड़ता है । यहाँके निवासियोंके दो भाग किये आकृति मङ्गोलियन लोगोंसे मिलती जुलती होती जा सकते हैं-(१) अफगानी और ( २) अफ- है। प्रधानतः चङ्गेजखाँके साथ आई हुई सेनाके गानीसे अन्य । अफगानी गिनती तथा शक्ति दोनों ये वंशज होंगें। ये फारसी ज़बान बोलते हैं। ही में प्रबल देख पड़ते हैं। बेलोके मतानुसार गज़नी के समीपके थोड़ेसे निवासियोंको छोड़कर 'बहुतसे निवासियों को भी ये अपने में शामिल बहुधा ये दरिद्र होते हैं । जाड़ेमें घरबार छोड़कर नहीं करते। इस श्रेणीमै पठान, वरदाफ, तुरी, | कारबार की खोजमें मारे मारे फिरते हुए ये हिन्दुस्तानी, ताजिक इत्यादि की गणना को पञ्जाव तक में देख पड़ते हैं। ये बन्दूक चलाने में जा सकती है । अफगानोंकी लगभग १२ मुख्य सिद्धहस्त होते हैं। बिलूची जाति यद्यपि अपने जातियां हैं। उनमेसे दुर्रानी, गिलजई, यूसुफजई को मानते तो मुसलमान ही हैं, किन्तु इस्लाम तथा ककर इत्यादि मुख्य हैं। दुर्रानी अहमदशाह धर्मके सदुपदेशों का वे बिल्कुल पालन नहीं करते। के वंशज है। अफगानिस्तान के दक्षिण तथा ये भयङ्कर तथा जंगली होते हैं। सभ्यता, प्राचार, दक्षिण-पश्चिम प्रदेशो ये बसे हुए हैं। ये बड़े विचार, व्यवहारमें । ये बहुत गिरेहुए हैं। जादू बड़े राज्य कर्मचारी हैं। इनकी संख्या भी बहुत टोनेमें इनका विश्वास बहुत होता है । मूर्खता है। गिलज़ई अफगान-निवासियों में सबसे अधिक | तथा अन्धविश्वासके घोरतम गद्रुमे ये गिरे हुए बीर शक्तिमान जाति कही जा सकती है। पिछली | हैं। भूख प्यासकी सहन शक्ति इनमै असीम शताब्दीमै तो इनका बड़ा बोलबाला था। इनकी होती है। अश्लीलताका इन्हें ध्यान भी नहीं बस्ती कन्दहारके उत्तरीय पहाड़ों में हो अधिक होता। हिन्दुस्तानी, सिन्धी, काश्मीरी, अरबी है। अंग्रेजोसे युद्धमें इन्होंने दोस्त मुहम्मद का इत्यादि अनेक जातियाँ भी यहाँ आकर थोड़ी बड़ी वीरतासे साथ दिया था। दुर्रानी और ये बहुत बस गई हैं। इन सबके अतिरिक्त यहाँ 'मिलाकर देशमै १५ लाखसे अधिक होंगे। यूसु. अनेक जातियाँ ऐसी हैं जो सुदा धूमा ही करती फज़ई पहाड़ी प्रदेशोंमें और मुख्यतः पेशावर की हैं। इनके घरबार नहीं होता है। ये खेती इत्यादि उत्तरीय घाटियोंमे रहते हैं । ये अपने झगड़े फिसाद नहीं करते। अपने मवेशियोंको साथ लिये लिये के लिये प्रसिद्ध हैं। अफगानिस्तान के पूर्वी दक्षिणी फिरते हैं, और वही इनके जीवननिर्वाहका भागमें ककर जातिके लोग रहते हैं। इनके विषय |'साधन होता है। ये पक्के चोर तथा डाकू होते में इनके देशकी भाँति बहुत कम शान प्राप्त है। इनपर राज्य का भी पूरी अधिकार नहीं रह हो सका है। पाता । क्रय-विक्रयके हेतुके अतिरिक्त ये नगरमें अन्य बाहरी जातियोंमें ताजिकीका सबसे | कभी नहीं देख पड़ते। इनके भी नेता होते हैं।